संविधान की उपेक्षा करने पर भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम: CJI गोगोई

संविधान की उपेक्षा करने पर भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम: CJI गोगोई

 
नई दिल्ली

 भारत के प्रधान न्यायाधीश(सीजेआई) रंजन गोगोई ने सोमवार को कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना ‘हमारे सर्वश्रेष्ठ हित’ में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी। प्रधान न्यायाधीश ने संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज है और यह अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में सतत् मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। 

संविधान देश का अभिन्न अंग 
सीजेआई ने कहा कि संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेजी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान भारत की जनता के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, अदालतें रोजाना जिस प्रकार के भिन्न मुद्दों पर सुनवाई करतीं है उसे लोगों को देखना चाहिए। 

संविधान ने आलोचकों को दिया जवाब 
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमारा संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की आवाज है। इसका विवेक अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में हमारा मार्गदर्शन करता है। उन्होंने कहा कि जब संविधान लागू किया गया था उस वक्त व्यापक पैमाने पर इसकी आलोचना हुई थी लेकिन वक्त ने आलोचनाओं को कमजोर किया और बेहद गर्व की बात है कि पिछले अनेक दशक से इसका जिक्र बेहद जोश के साथ किया जा रहा है। 

भविष्य के लिए तैयार करें खाका
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि संविधान‘‘वक्त से बंधा दस्तावेज भर नहीं है’’ और आज जश्न मनाने का नहीं बल्कि संविधान में किए गए वादों की परीक्षा लेने का वक्त है। उन्होंने कहा कि क्या हम भारतीय आजादी, समानता और गरिमा की शर्तों के साथ जी रहे हैं? ये ऐसे प्रश्न हैं जिन्हें मैं खुद से पूछता हूं। निसंदेह काफी तरक्की हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आज हमें सिर्फ जश्न नहीं मनाना चाहिए बल्कि भविष्य के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए। गौरतलब है कि 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।