5 ट्रिलियन इकोनॉमी की तरफ बढ़ा भारत, GDP ग्रोथ पिछले 6 तिमाही में सबसे ज्यादा
नई दिल्ली, किसी ने इतना अनुमान नहीं लगाया था, केंद्रीय रिजर्व बैंक ने भी दूसरी तिमाही में 7% जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन अब चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में जबरदस्त प्रदर्शन दिखाया है। दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ पिछले 6 तिमाही में सबसे ज्यादा रही है।
दूसरी तिमाही में रियल सकल घरेलू उत्पाद 8.2% की दर से बढ़ा
दरअसल, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही में रियल सकल घरेलू उत्पाद 8.2% की दर से बढ़ा, जो कि पिछले साल की इसी अवधि की 5.6% और पिछले क्वार्टर की 7।8% से कहीं बेहतर है। तमाम ग्लोबल और डोमेस्टिक रेटिंग एजेंसियों ने दूसरी तिमाही के दौरान 7.0 से 7.3% तक जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान लगाया था, यानी सभी अनुमान से बेहतर जीडीपी के आंकड़े आए हैं।
पहले क्वार्टर में आंकड़ा 7.8% का था
IMF समेत तमाम रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था को साल 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करना है, तो जीडीपी ग्रोट रेट को 8 फीसदी के आसपास बनाकर रखना होगा। पिछले दो क्वार्टर से ये लक्ष्य हासिल हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दूसरी तिमाही में GDP दर 8.2% रही, जबकि पहले क्वार्टर में ये आंकड़ा 7.8% का था। यानी पिछली छमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट एवरेज 8 फीसदी दर्ज की गई है। अब ये अनुमान लगाया जा रहा है कि FY26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी से ऊपर रह सकती है।
पिछले 6 महीने के GDP ग्रोथ यह संकेत देता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद स्थिर गति से आगे बढ़ रही है। फिलहाल Q2 का डेटा आर्थिक मजबूती और सुधार के मजबूत संकेत दे रहा है। तमाम एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि ग्रोथ के लिहाज तीसरी तिमाही भी बेहतर रह सकती है।
IMF ने की तारीफ
इस बीच IMF ने अपनी ताजा रिपोर्ट में फिस्कल फैक्टर्स को कंट्रोल में रखते हुए हाई ग्रोथ बनाए रखने की सरकार की कोशिशों की तारीफ की है, IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ग्लोबल अनिश्चिततों के बावजूद घरेलू डिमांड के बल पर भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
दूसरी तिमाही में बेहतर जीडीपी आंकड़ों के पीछे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का मजबूत प्रदर्शन रहा है, विनिर्माण सेक्टर में 9.1% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि सर्विस समेत फाइनेंस, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सेवाओं में 10.2% की मजबूत ग्रोथ देखी गई।
दूसरी तिमाही में होटल ग्रोथ सालाना आधार पर 6.1% से बढ़कर 7.4% पर, माइनिंग ग्रोथ -0।4% से बढ़कर -0.04% फीसदी पर, कंस्ट्रक्शन ग्रोथ 8.4% से घटकर 7.2% फीसदी पर, इलेक्ट्रिसिटी ग्रोथ 3% से बढ़कर 4.4% फीसदी पर मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 2.2% से बढ़कर 9.1% फीसदी पर और एग्री ग्रोथ 4.1% से घटकर 3.5% फीसदी पर रही।
9% से अधिक की रफ्तार से बढ़ा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
दूसरी तिमाही में भारत की GDP को सबसे मजबूत सपोर्ट विनिर्माण से मिला। यह सेक्टर 9% से अधिक की रफ्तार से बढ़ा है। जो कि कच्चे माल की लागत में स्थिरता, उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपनियों की क्षमता विस्तार, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, ऑटो, EV और फार्मा जैसे सेक्टर्स में रिकॉर्ड प्रोडक्शन की वजह से संभव हुआ है। इसके अलावा सरकार की PLI योजना की बड़ी भूमिका रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर न सिर्फ GDP में बल्कि रोजगार बढ़ाने में भी अपना योगदान दिया है।
जीडीपी ग्रोथ में सर्विस सेक्टर दूसरे नंबर पर
जीडीपी ग्रोथ में तेजी का दूसरा बड़ा इंजन सर्विस सेक्टर रहा है, जिसने 10% तक की मजबूती दिखाई। इसमें खासतौर पर फाइनेंस, इंश्योरेंस और रियल एस्टेट ने बड़ी भूमिका निभाई है। घरेलू डिमांड में बढ़ोतरी भी एक बड़ा कारण है। यह सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है, इसलिए इसकी तेजी GDP में सीधे तेज रफ्तार दिखाती है।
GST ने भी GDP ग्रोथ को सहारा दिया
सरकार का आक्रामक तरीके से इंफ्रा पर कैपेक्स भी जीडीपी में उछाल का एक कारक रहा है। सड़क, रेल, लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च ने निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, GST ने भी अप्रत्यक्ष तौर पर GDP ग्रोथ को सहारा दिया है। 22 सितंबर को देश में जीएसटी रिफॉर्म लागू हुआ, जिससे देश में डोमेस्टिक डिमांड में तेज उछाल आई है। इसके अलावा GST का रिकॉर्ड कलेक्शन ने भी जीडीपी को सहारा दिया है, यही नहीं, जीएसटी दरों में बदलाव का असर आने वाली तिमाहियों में और देखने को मिल सकती है।
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