महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय दिखाएगा मंगल यान फिल्म 'यानम्' 

महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय दिखाएगा मंगल यान फिल्म 'यानम्' 

फिल्म का प्रदर्शन, संस्कृत विश्वविद्यालय और स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रयास से 

फिल्म संस्कृत में बनी है, जिसके सब टाइटल्स अंग्रेजी में प्रदर्शित होंगे

उज्जैन। धरती से मंगल पर भारतीय यान पहुंचने की पूरी कहानी 14 अक्टूबर को महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय दिखाएगा। उन शख्स से मुलाकात भी कराएगा, जिनके प्रयास से भारत मंगल ग्रह पर यान भेजने वाला चौथा देश बना था। दरअसल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अध्यक्ष रहे पद्मश्री विज्ञानी डाक्टर के. राधाकृष्णन के मार्गदर्शन में बनीं 40 मिनिट की डाक्यूमेंट्री फिल्म 'यानम्' का प्रीमियर 14 अक्टूबर को उज्जैन के पीवीआर में दिखाया जाना है। फिल्म का प्रदर्शन, संस्कृत विश्वविद्यालय और स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रयास से होगा।

युवाओं को मंगल मिशन के पूरा होने की जानकारी: डा. सी. विजयकुमार 
कुलपति डा. सी. विजयकुमार ने बताया कि युवाओं को मंगल मिशन के पूरा होने की जानकारी मिले, इसके लिए विनोद ने डाक्टर के. राधाकृष्णन के मार्गदर्शन में डाक्यूमेंट्री फिल्म 'यानम्' बनाई है। यह फिल्म संस्कृत में बनी है, जिसके सब टाइटल्स अंग्रेजी में प्रदर्शित होंगे। फिल्म का प्रिमियर पहली बार मध्यप्रदेश में उज्जैन शहर में होने जा रहा है। ये शो परी तरह निःशुल्क होगा। खास बात यह है कि इस दौरान विद्यार्थी पद्मश्री डाक्टर के. राधाकृष्णन से मुलाकात भी कर सकेंगे। फिल्म की कहानी, भारत के मंगल ग्रह की कक्षा में अंतरिक्ष यान भेजने की है।

प्रक्षेपण यान का नाम पीएसएलवी सी-25 था
भारत ने 5 नवंबर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए अंतरिक्ष यान आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा था। प्रक्षेपण यान का नाम पीएसएलवी सी-25 था। 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में यान के पहुंचने पर भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया था। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी था। मिशन मंगल का उद्देश्य अन्तरग्रहीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबंधन और क्रियान्वयन का विकास करना था। यान ने मंगल की परिक्रमा कर आंकड़े और तस्वीरें पृथ्वी पर भेजीं।

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