कांग्रेस की हार पर लक्षमण का ट्वीट वार, लिखा- कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सुनो तो मिलेगी जीत

भोपाल। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने फिर एक बार पार्टी पर सवाल उठाया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों पर उन्होंने ट्वीट किया। कांग्रेस को मिली हाट पर ट्वीट में उन्होंने लिखा कि हार-जीत का कारण संगठन के निर्णय होते हैं। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सुनेंगे, फिर निर्णय लेंगे तो अवश्य जीतेंगे। गौरतलब है कि गुना की चांचौड़ा सीट से विधायक लक्ष्मण सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। पहले भी कई मौकों पर वह चर्चित ट्वीट करते नजर आए हैं।
लक्ष्मण अपने बड़े भाई दिग्विजय सिंह के बयानों पर भी वह कई बार सवाल उठा चुके हैं। राम मंदिर, धारा 370 को लेकर दिग्गी द्वारा दिये गए बयानों की वह खुद मुखालफत कर चुके हैं। लक्ष्मण सिंह ने सोमवार को फिर एक ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार पर उन्होंने ट्वीट किया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा- कांग्रेस की नीति, योजनाएं हमेशा आम आदमी के लिए बनीं हैं, बनती रहेंगी। चुनाव की हार-जीत का कारण संगठन के निर्णय होते हैं। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सुनेंगे, फैसले फिर लेंगे तो अवश्य जीतेंगे।
बदलाव में जुटे कमलनाथ
इधर, अब प्रदेश कांग्रेस की चिंताए भी बढ़ गई हैं। इसकी वजह से अब प्रदेश में कांग्रेस मुखिया कमलनाथ ने बड़ा परिवर्तन करने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके तहत संगठन में बदलाव के साथ ही मैदानी स्तर पर सक्रियता बढ़ाने की रणनीति तैयार की जा रही है। इसके लिए अब प्रदेश के सभी छह अंचलों की जिम्मेदारी अलग-अलग नेताओं को सौंपने की तैयारी है। यह वे नेता होंगे जिनकी अपने अंचलों में मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसके तहत प्रदेश को जिन छह जोन में बांटा जाएगा , उसमें विंध्य, बुंदेलखंड, मालवा- निमाड़, मध्यभारत, महाकोशल तथा ग्वालियर व चंबल क्षेत्र शामिल है।
तो खत्म हो जाएगी कांग्रेस
दरअसल, कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि अगर 2023 में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव के परिणाम पार्टी के अनुकूल नहीं आए तो प्रदेश में पार्टी पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने प्रदेश के कांग्रेस नेताओं की धड़कनें बढ़ा रखीं है। इसकी मुख्य वजह पंजाब व उत्तराखंड के चुनाव परिणाम हैं। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस के भीतर जारी गुटबाजी की वजह से ही कांग्रेस की सत्ता में वापसी नही हो सकी है।
अरुण को रिझाने में जुटे दिग्गज
पार्टी में जारी मंथन के बीच डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा के चुनावों को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह, डॉ. गोविन्द सिंह, सज्जन सिंह वर्मा से बेहतर समन्वय बनाकर कार्य करने पर विचार किया। सभी नेताओं ने कहा कि प्रदेश संगठन से नाराज चल रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव से चर्चा कर उन्हें भी प्रमुख जिम्मेदारी दी जाए। इसका जिम्मा दिग्विजय और डॉ. गोविंद सिंह को दिया गया है। चूंकि यादव प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा हैं।
नाराज नेताओं पर नजर
कांग्रेस पार्टी ने योजना बनाई है कि पार्टी प्रदेश के उन नेताओं पर भी नजर रखने का काम करेगी, जो भले ही दूसरे दलों में, लेकिन वे अपने दलों से नाराज चल रहे हैं। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी ऐसे नेताओं से संपर्क कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से चर्चा कर उन्हें पार्टी में शामिल कराने का प्रयास करेगी। इसमें भी ग्वालियर-चंबल संभाग पर पूरी तरह से फोकस किया जाएगा।
हारने वाली सीटों पर फोकस
कांग्रेस ने चुनावी तैयारी के तहत उन सीटों पर भी पूरा फोकस करने का निर्णय लिया है, जिन पर पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी सीटों पर पार्टी नए चेहरों को उतारने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अभी से सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से तीन से चार युवाओं का चयन पहले से ही करने की तैयारी है।