मनोज प्रभाकर ने महिला टीम के कोच लिए किया आवेदन, कपिल कर सकते है साक्षात्कार

मनोज प्रभाकर ने महिला टीम के कोच लिए किया आवेदन, कपिल कर सकते है साक्षात्कार

नयी दिल्ली
पूर्व तेज गेंदबाज मनोज प्रभाकर ने महिला टीम के राष्ट्रीय कोच के लिए आवेदन किया है और अगर उनके आवेदन का चयन होता है तो भारतीय टीम के उनके पूर्व सहयोगी कपिल देव की अध्यक्षता वाला पैनल उनका साक्षात्कार कर सकता है। टीम में एक साथ खेलने से लेकर 2000 में उठे मैच फिक्सिंग विवाद तक कपिल देव और मनोज प्रभाकर की कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है। बीसीसीआई ने महिला टीम के कोच के लिए विज्ञापन दिया था जिसके लिये प्रभाकर के अलावा दक्षिण अफ्रीका के हर्षल गिब्स ने भी आवेदन किया है। प्रभाकर ने कहा कि हां, मैंने मुख्य कोच के पद के लिए आवेदन किया है। राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की किसी भी हैसियत से जुड़ना गर्व की बात है।

क्रिकेट पर प्रभाकर के ज्ञान पर किसी को कोई संदेह नहीं है लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि कोच चयन समिति साक्षात्कार के लिए उनका चयन करती है या नहीं। चयन समिति पैनल के अध्यक्ष पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव है जबकि अंशुमन गायकवाड़ और शांता रंगास्वामी इसके अन्य सदस्य है। प्रभाकर को जब बताया गया कि चयन समिति पैनल के अध्यक्ष कपिल देव हो सकते है तो उन्होंने बेरूखी से इसका जवाब दिया कि आपने मुझसे पूछा कि मैंने आवेदन किया है या नहीं? मैंने कहा कि हां, किया है। मैंने आवेदन क्यों किया? क्योंकि मुझे लगता है क्रिकेट के अपने ज्ञान से मैं योगदान दे सकता हूं। उन्होंने कहा कि महिला क्रिकेट में काफी प्रतिभा है और मुझे लगता है कि मिताली राज, हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ियों को मदद करने का मेरे पास अनुभव है। 

प्रभाकर से यह भी पूछा गया कि क्या 2000 की विवाद के बाद वह कभी कपिल से मिले है। उन्होंने कहा कि इस मसले से इसका कोई सरोकार नहीं है। कोच पद के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 14 दिसंबर है लेकिन प्रभाकर और गिब्स दोनों का नाम मैच फिंिक्सग मामले में जुड़ा रहा है जिससे उनके आवेदन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा कि अगर समिति उनकी उम्मीदवारी को उपयुक्त पाती है तो साक्षात्कार के लिये उनका चयन होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक विवादों का सवाल है तो विवाद के बाद भी गिब्स आईपीएल में 2008 के बाद डेक्कन चर्जर्स के लिए खेले थे जबकि प्रभाकर रणजी ट्राफी में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान टीम के कोच रह चुके हैं। इसलिए यह बड़ा मुद्दा नहीं है।