देश के गद्दार विद्यालयों को धार्मिक आडंबरों का आखड़ा न बनाएं: जैन संत क्षुल्लक पर्वसागर

देश के गद्दार विद्यालयों को धार्मिक आडंबरों का आखड़ा न बनाएं: जैन संत क्षुल्लक पर्वसागर

कड़वे प्रवचनों के लिए विख्यात जैन संत क्षुल्लक पर्वसागर की नसीहत-इतना बवाल क्यों

देवास। देशभर में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर अब जैन संत की प्रतिक्रिया सामने आई है। कड़वे प्रवचनों के लिए विख्यात समाधिस्थ आचार्य तरुणसागर महाराज के एकमात्र शिष्य क्षुल्लक पर्वसागर ने कहा है कि हिजाब की आड़ में संस्कृति व संस्कारों को धूमिल करने का षडय़ंत्र रचने वाले आस्तीन के सांपों को समय रहते नहीं कुचला तो भारत का भविष्य एक और पाकिस्तान होगा। मध्यप्रदेश के देवास जिले में पुष्पगिरि जैन तीर्थ है, जो देवास-भोपाल मार्ग पर सोनकच्छ के समीप स्थित है। यहां दिगंबर जैन संत गणाचार्य पुष्पदंत सागर की प्रेरणा से पुष्पगिरि तीर्थ का निर्माण हुआ है। गणाचार्य के सान्निध्य में ही क्षुल्लक पर्व सागर पुष्पगिरि में साधनारत हैं, जो समाधिस्थ जैन आचार्य तरुण सागर महाराज के एकमात्र शिष्य हैं।  

धर्म की पहचान धार्मिकता से 
पर्व सागर विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं और इस बार हिजाब को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि धर्म की पहचान धार्मिकता से है, तो देश व संस्कृति की पहचान देश के संविधान व शिक्षा से है। धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारे हैं न कि शिक्षा के मंदिर विद्यालय। विद्यालयों  में चले आ रहे नियमों व वेशभूषा में हस्तक्षेप उचित नहीं है। हिजाब पर इतना बवाल क्यों मचा है। इसका मतलब साफ है कि एक और पाकिस्तान की साजिश है। 

समरसता में जीता देश
क्षुल्लक पर्व सागर ने कहा कि कुछ दिनों से हर समय धर्म की आड़ में पहले संस्कृति की सुरक्षा को और अब शिक्षा को अपने स्वार्थ की भोज सामग्री समझ संस्कृति और संस्कारों का ह्रास करने कुछ लोग तुले हैं। माना कि भारत सबको निभाता है। यह देश समरसता और वसुधैव  कुटुंबकम् की शिक्षा व संस्कृति को देता व जीता है पर इसका मतलब यह नहीं कि जो भूल हम अतीत में कर चुके उन्हें पुन: दोहराने देंगे। 

हिजाब बवाल बेबुनियाद
हिजाब पर इतना बवाल बेबुनियाद है। शिक्षा स्थलों पर पहले देश का संविधान और विद्यालय के नियम मुख्य है, उसके बाद ही धर्म और धार्मिक पौशाक को इस विषय पर स्थान देना चाहिए। देश में रहने वाले देश के गद्दार विद्यालयों को धार्मिक आडंबरों का आखड़ा न बनाएं। इस तरह के हिजाब की आड़ मे संस्कृति व संस्कारों को धूमिल करने का षडय़ंत्र रचने वाले आस्तीन के सांपों को समय रहते नहीं कुचला तो भारत का भविष्य एक और पाकिस्तान होगा।