राजीविका एसएचजी उद्यमों और अग्रणी कंपनियों के बीच हुआ समझौता ज्ञापन (LOIs)
डायरेक्ट मार्केटिंग चैनल से बिचौलियों से मिली मुक्ति
जयपुर। राष्ट्रीय कृषि एवं पशुपालन उद्यमिता कार्यशाला के समापन सत्र के रूप में आयोजित बॉयर– सेलर मीट ने एसएचजी उद्यमों, उत्पादक समूहों (PGs), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और देशभर के प्रमुख संस्थागत खरीदारों के बीच प्रत्यक्ष बाजार के लिए अहम मंच तैयार किया।
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) और ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित इस बैठक का उद्देश्य महिला संचालित ग्रामीण उद्यमों के लिए मुल्य श्रृंखला एकीकरण को मजबूत करना और DAY-NRLM के अंतर्गत सतत क्रय साझेदारी को प्रोत्साहित करना हैं।
बैठक की अध्यक्षता सुस्वाति शर्मा, आईएएस, संयुक्त सचिव (ग्रामीण आजीविका), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा सुनेहा गिरि,आईएएस, राज्य मिशन निदेशक, राजीविका ने की।
इस अवसर पर सुआर.वी. शाजीवना, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, तमिलनाडु एसआरएलएम भी उपस्थित रहे, जिन्होंने बाजार पहुँच एवं उद्यम विकास के लिए टीएन-एसआरएलएम द्वारा अपनाई गई प्रमुख रणनीतियों को साझा किया।
राजीविका द्वारा राजस्थान के 41 जिलों से बाजार-उपयुक्त उत्पादों का प्रदर्शन किया गया, जो मसाले, शहद, पशुधन उत्पाद, अनाज, प्राकृतिक खेती उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में संलग्न हजारों एसएचजी महिलाओं के कार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बॉयर–सेलर मीट में खाद्य, कृषि, मसाले, पशुधन, प्रसंस्करण और निर्यात क्षेत्रों की 25 से अधिक कंपनियाँ शामिल हुईं, जिन्होंने सामुदायिक संस्थानों के साथ संरचित संवाद स्थापित किए।
महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (LOIs)
कई प्रमुख कंपनियों ने राजीविका के साथ समझौता ज्ञापन (LOI) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें एसएचजी उद्यमों से बड़े पैमाने पर क्रय की तत्परता व्यक्त की गई। ये प्रतिबद्धताएँ ग्रामीण उत्पादकों के लिए सुनिश्चित बाजारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
खरीदार–विक्रेता बैठक के प्रमुख परिणाम
इस बैठक से प्रत्यक्ष विपणन चैनल स्थापित कर एसएचजी, पीजी एवं एफपीओ ने बिचौलियों को दरकिनार करते हुए सीधे खरीदारों से संबंध स्थापित हुए। राजस्थान के ग्रामीण उत्पाद अनाज, शहद, पशुधन नस्लें एवं प्राकृतिक खेती उत्पादों में उच्च मात्रा की खरीद में रुचि दिखाई।
कई खरीदारों ने एसएचजी महिलाओं को खरीद, प्रसंस्करण और लॉजिस्टिक्स श्रृंखला में शामिल करने की तत्परता दिखाई। राष्ट्रीय स्तर के खरीदारों ने एसएचजी उत्पादों की गुणवत्ता, स्थिरता और विविधता की सराहना की।
25 से अधिक राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों (SRLMs) की भागीदारी से अंतर-राज्यीय सीख और सहयोग को बढ़ावा मिला।
राष्ट्रीय कार्यशाला का ऐतिहासिक समापन
तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन बाजार विश्वास, संस्थागत सहयोग और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ हुआ। खरीदारों की सक्रिय भागीदारी, एसएचजी उत्पादों में गहरी रुचि और ग्रामीण महिला उत्पादकों के उत्साह ने राजस्थान की महिला संचालित ग्रामीण उद्यमिता में अग्रणी भूमिका को पुनः स्थापित किया। यह कार्यशाला ग्रामीण मूल्य श्रृंखलाओं के विस्तार, आजीविका विविधीकरण को गहराने और लाखों एसएचजी महिलाओं को सतत उद्यमी एवं भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की प्रमुख योगदानकर्ता बनने के लिए सशक्त करने हेतु एक मजबूत आधार तैयार करती है।
मुख्य LOIs:
अल्लाना ग्रुप – 3,000 बकरियों, भेड़ों एवं भैंसों की खरीद, एनिमल टेक्नोलॉजीज – 10 लाख पशु सखियों के लिए सेवा संबंध, एफ एंड वी एक्सपोर्टर – 200 मीट्रिक टन मक्का की खरीद, सिद्धिविनायक एग्रो, पुणे – बकरी, लहसुन एवं ताजे उत्पादों की खरीद, एशियन स्पाइसेस – 2,900 मीट्रिक टन जीरा, सौंफ, धनिया, मिर्च, हल्दी, अजवाइन की खरीद, अभिनव एंटरप्राइजेज – 100 मीट्रिक टन कच्चे शहद की खरीद एवं मधुमक्खी कॉलोनी स्थापना में सहयोग, स्वामी जी शहद उद्योग – 10 मीट्रिक टन जंगली/कच्चे शहद की खरीद, मूल्यं एग्रोनॉमिक्स प्रा. लि. – लहसुन, सीताफल, प्याज आदि की खरीद, स्पेक्ट्रा क्रायोजेनिक सिस्टम्स प्रा. लि. – क्रायोजेनिक मसाला ग्राइंडिंग मशीनरी में सहयोग, नेचर संपन्न – 80 मीट्रिक टन मसालों (जीरा, सहजन, धनिया, मिर्च, अदरक स्लाइस) की खरीद, मेडिटेरेनियन फूड्स कंपनी – 340 मीट्रिक टन सौंफ, जीरा, धनिया और मेथी की खरीद, प्रीथि ग्लोबल (तेलंगाना) – लाल मिर्च और हल्दी की खरीद, एसयूएस एग्री डेवलपमेंट (बेंगलुरु) – 350 मीट्रिक टन धनिया, लाल मिर्च, हल्दी एवं सहजन पत्तियों की खरीद,
समस्ता फूड्स प्रा. लि. – 250 मीट्रिक टन हल्दी, अदरक एवं इलायची की खरीद, अमिगो – देशी नस्ल की बकरियों (सीरोही, मारवाड़ी, जमुनापारी, जकराना) की खरीद, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) – 1050 मीट्रिक टन सरसों, मक्का, लहसुन, धनिया एवं मूंगफली की खरीद। ये साझेदारियाँ राजस्थान के एसएचजी उत्पादों की मजबूत मांग को दर्शाती हैं और दीर्घकालिक व्यापारिक संबंधों के लिए नए मार्ग खोलती हैं।
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