5G की तैयारी में चीन-अमेरिका से तीन साल पीछे है भारत

5G की तैयारी में चीन-अमेरिका से तीन साल पीछे है भारत

 कोलकाता 
देश के किसी दूरदराज के गांव में गंभीर रूप से बीमार कोई व्यक्ति यात्रा करने की स्थिति में नहीं है तो 5G की मदद से उसका इलाज वर्चुअल रियलिटी कंट्रोलर्स के जरिए किया जा सकता है। 5G से स्मार्टफोन्स में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। इससे कार, घर, मशीनों और गैजेट्स को एक इंटरनेट कनेक्ट से जोड़ा जा सकेगा। इसकी स्पीड 4G नेटवर्क से 100 गुना तक अधिक हो सकती है। 
 
सरकार को देश में 5G की शुरुआत 2020 के अंत में होने की उम्मीद है। हालांकि, टेलिकॉम सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि 5G लॉन्च करने को लेकर भारत की तैयारी धीमी है। दक्षिण कोरिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, चीन, फ्रांस और जर्मनी इस लिहाज से कम से कम तीन साल आगे हैं। 

5G में भारत के पिछड़ने की एक बड़ी वजह फाइबर नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर की खराब स्थिति है। टेलिकॉम इंडस्ट्री पर वित्तीय दबाव की वजह से पहले ही 5G स्पेक्ट्रम की बिक्री 2019 के अंत तक टल गई है।

टेलिकॉम कंपनियों पर अधिक कर्ज होने और स्पेक्ट्रम के ऊंचे रिजर्व प्राइस की संभावना से 5G स्पेक्ट्रम खरीदने में टेलिकॉम कंपनियों की दिलचस्पी भी घट सकती है। इन कंपनियों में विशेषतौर पर वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल शामिल हैं, जो अभी घाटे में चल रही हैं। फाइबर नेटवर्क तैयार करने और उसके मेंटेनेंस और गांवों और छोटे शहरों में 4G इंटरनेट की स्थिति ठीक न होने से भी 5G के लॉन्च में देरी हो सकती है। देश में 2020 से पहले 5G स्मार्टफोन नहीं आएंगे। हालांकि, कुछ देशों में ये अगले वर्ष बिकने लगेंगे। 

खराब फाइबर कनेक्टिविटी 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 5G की राह में फाइबर कनेक्टिविटी की कमी बड़ी बाधा है। देश में टेलिकॉम टावर्स में से 20 पर्सेंट से कम फाइबर से लिंक्ड हैं। 5G डेटा की तेज स्पीड के लिए एक मजबूत फाइबर बेस्ड नेटवर्क महत्वपूर्ण है। 

टावर ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स असोसिएशन के डायरेक्टर जनरल टी आर दुआ ने बताया, '5G को सफल बनाने के लिए कम से कम 70-80 पर्सेंट टेलिकॉम टावर्स को फाइबर से लिंक करना होगा। ऐसा न होने पर डेटा की स्पीड को लेकर मुश्किलें जारी रहेंगी।' एसोसिएशन के सदस्यों में इंडस टावर्स, भारती इंफ्राटेल, अमेरिकन टावर कॉरपोरेशन, रिलायंस इंफ्राटेल और टावर विजन शामिल हैं। 

फाइबर कनेक्टिविटी के लिहाज से चीन काफी आगे है। चीन में 75-80 पर्सेंट मोबाइल टावर्स फाइबर से कनेक्टेड हैं। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि चीन 2019 के अंत या 2020 तक 5G सर्विसेज लॉन्च कर देगा। इसका ट्रायल पहले ही शुरू हो चुका है। चीन सरकार ने इस महीने तीन टॉप टेलिकॉम कंपनियों- चाइना मोबाइल, चाइना यूनिकॉम और चाइना टेलिकॉम को फील्ड ट्रायल के लिए 5G स्पेक्ट्रम अलॉट किया है। इसके विपरीत, भारत के टेलिकॉम डिपार्टमेंट का कहना है कि 5G स्पेक्ट्रम की बिक्री 2019 की दूसरी छमाही में होगी। टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने 5G के ट्रायल के लिए हाल ही में टेलिकॉम कंपनियों, इक्विपमेंट वेंडर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स को आमंत्रित किया था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रायल में अभी कुछ समय लगेगा। 

ग्लोबल रेटिंग कंपनी फिच के डायरेक्टर (कॉरपोरेट्स) नितिन सोनी ने कहा कि उन्हें देश में 2022 से पहले 5G के 5G लॉन्च होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि टेलिकॉम इंडस्ट्री अगले एक वर्ष में 5G स्पेक्ट्रम खरीदने की स्थिति में नहीं है।