स्वच्छता अभियान, कम्पोस्ट खाद बनाने नगर निगम ने थोपा प्रयोग

स्वच्छता अभियान, कम्पोस्ट खाद बनाने नगर निगम ने थोपा प्रयोग


भोपाल
खाद बनाने 10 हजार बॉल्टियां बेचने का लक्ष्य भोपाल नगर निगम ने स्वच्छता अभियान के तहत गीले कचरे से बनाने की जिम्मेदारी खुद लेने की जगह शहर वासियों के सिर पर थोपने की योजना चालू कर दी है। जिसके तहत नगर निगम हर घर में तीन बॉल्टियां दे रहा है। इनका मकसद कम्पोस्ट खाद बनाना है। पड़ताल में सामने आया कि अधिकांश घरों ने इन्हें लेने से ही इंकार कर दिया। ऐसे में हालात ये हैं अभी 70 फीसदी लक्ष्य अधूरा रह गया। इसे पूरा करने निगम अमले पर जिम्मेदारी थोपी जा रही है।
जानकारी के अनुसार रियायती दरों पर 475 रुपए में ये बाल्टियां बेची जा रही हैं। नगर निगम का अमला इसमें जुटा है। नवम्बर तक शहर के करीब दस हजार घरों में इन्हें पहुंचाने का लक्ष्य नगर निगम अधिकारियों को दिया गया था। नाम न छापने के अनुरोध पर निगम के एक वरिष्ट अधिकारी ने बताया कि अब तक ये आंकड़ा तीन हजार का के पार भी नहीं पहुंच पाया।

इसकी मुख्य वजह सामने यह आ रही है कि लोग इसे घर में रखने से बच रहे हैं। इसे बंगले व बड़े मकानों में लोग ले नहीं रहे है, लेकिन घनी आबादी वाले क्षेत्र में लोग इसे घरों में रखना पसंद नहीं कर रहे हंै। ये मिली हकीकत सिंधी कॉलोनी निवासी कल्पना भार्गव ने बताया बाल्टी ले तो ली लेकिन घर के लोग इतने दिन इसमें कचरा जमा करने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में ये खाली पड़ी है। प्रक्रिया के अुनसार इन बाल्टियों में गीला कचरा डाला जाना है। 45 दिन में इस कचरे से खाद बनाने में आ रही बदबू से निजात दिलाने के लिए गंधक और किट कल्चर पाउडर भी दिया जा रहा है। ऐसे कई लोग हैं जो प्रक्रिया सुन इसे लेने से इंकार कर रहे हैं। इसी कारण ये फेल होती नजर आ रही है।

पुरानी योजनाओं में भी लगा लाखों का चूना, शुरू होने के बाद हो गईं बंद इससे पहले भी नगर निगम की ओर से स्वच्छता के नाम पर कई योजनाएं शुरू की गई। इस पर लाखों खर्च हुए लेकिन बाद में इसमें फेरबदल कर बंद कर दिया गया। पहले शहर में कचरा जमा करने के लिए कंटेनर और डस्टबिन रखवाए गए थे। इनके शहर के कोने-कोने में रखवाया गया था। बड़े कंटेनर्स को तो जीपीएस सिस्टम से जोड़ते हुए उनमें सेंसर लगवाए गए थे। लेकिन बाद में इन्हें हटवा दिया गया। इसके बाद ये नई योजना लाई गए है।

शहर की करीब 25 लाख की आबादी में बीस हजार घरों में गीले कचरे से जैविक खाद्य बनाने के लिए कम्पोस्ट यूनिट दिसम्बर तक लगाने का लक्ष्य रखा गया। नवम्बर में ही 10 हजार यूनिट लगवाने की 19 जोन के एएचओ को जिम्मेदारी दी गई है। इसकी जमीनी हकीकत यह सामने आ रही है कि लोग 475 रुपए में रियायती दरों पर मिलने वाली इस योजना का लाभ लेने से बन रहे हैं। वजह सामने आ रही है कि 45 दिन तक कचरे से खाद्य बनाकर घरों में उपयोग करने की योजना में लोग घर में गंदगी करने से बच रहे हंै। लोगों का कहना है कि इस तीन यूनिट को छांव में रखने की व्यवस्था फ्लैट्स और घनी आबादी वाले क्षेत्र में है ही नहीं। जिन लोगों ने यूनिट खरीद लिए है, वह भी इसमें अभी कचरा जमा नहीं कर रहे है।

लक्ष्य की वर्तमान स्थिति
दिसम्बर माह तक 20000 घरों में लगना है।
नवम्बर माह में 10000 घरों मे लगाने का दिया लक्ष्य।
नवम्बर में लगी करीब 3000 हजार घरों में
कम्पोस्ट कचरा रखने की तीन बाल्टियों की 50 प्रतिशत कमकर रियायती दर 475 रुपए।
इसकी अनुमानित कीमत 950 रुपए बताई जा रही है।