राफेल मुद्दाः मोदी सरकार ने SC में सौंपा संशोधित हलफनामा, कहा- टाइपिंग में हो गई थी गलती

राफेल मुद्दाः मोदी सरकार ने SC में सौंपा संशोधित हलफनामा, कहा- टाइपिंग में हो गई थी गलती

नई दिल्ली
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को शुक्रवार को क्लीट चिट तो मिल गई लेकिन शनिवार को मोदी सरकार फिर से शर्ष कोर्ट के दर पर पहुंची गई। दरअसल केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधित हलफनामा सौंपा है। केंद्र ने कोर्ट राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष न्यायालय के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में संदर्भ है। सरकार ने कहा है कि उसके नोट की अलग-अलग व्याख्या के कारण विवाद पैदा हो गया है।
 केंद्र में याचिका में ये कहा 
केंद्र ने कोर्ट को हलफनामे में बताया कि पहले सौंपे गए एफिडेविट में टाइपिंग में गलती हुई थी, जिसकी कोर्ट ने गलत व्याख्या की है। सरकार ने नए हलफनामे में साफ किया कि सीएजी की रिपोर्ट अभी तक पीएसी ने नहीं देखी है। केंद्र ने कोर्ट में साफ किया कि उसने यह नहीं कहा कि पीएसी ने सीएजी की रिपोर्ट का परीक्षण किया या कोई संपादित हिस्सा संसद के सामने रखा गया है। सरकार ने कहा कि हमने कि नोट में कहा  था कि सरकार सीएजी के साथ कीमतों का ब्योरा ‘पहले ही साझा कर चुकी' है। यह नोट भूतकाल में लिखा गया था और ‘तथ्यात्मक तौर पर सही' है।
 बता दें कि राफेल पर कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद कांग्रेस ने हंगामा किया था और मोदी सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था। विवाद और न बढ़े इसके लिए केंद्र ने कोर्ट में संशोधन का हलफनामा दिया और कहा कि उनके शब्द को अलग-अलग अर्थ निकल रहे है जिसकारण विवाद हो रहा है।
 सरकार ने ऐसे वक्त याचिका दायर की है जब विपक्षी कांग्रेस और अन्य ने मुद्दे पर सवाल उठाए हैं और सरकार पर कैग रिपोर्ट को लेकर शीर्ष न्यायालय को गुमराह करने के आरोप लगाए हैं। मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह राफेल लड़ाकू विमान सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया से ‘‘संतुष्ट’’ है। शीर्ष अदालत ने जांच की मांग खारिज कर दी जिसके बाद इस फैसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उसे फ्रांस से 36 विमान खरीदने के ‘‘संवेदनशील मुद्दे’’ में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं लगता।