बिहार में एनडीए का दोहरा शतक, 36 सीटों पर सिमटा महागठबंधन
पटना। बिहार की जनता ने विधानसभा चुनाव में प्रचंड जनादेश दिया है, जिसमें एनडीए ने दोहरा शतक जडते हुए कमाल कर दिया तो महागठबंधन 36 सीटों पर सिमट कर रहा गया। बडे बडे दावे करने वाले हवा हवाई साबित हुए।
पंडित जवाहर लाल नेहरू की जन्मतिथि पर बिहार का एनडीए को तोहफा
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जन्मतिथि पर बिहार के ऐतिहासिक जनादेश से राजग की ऐसी आंधी चली, जिसमें राजद-कांग्रेस की अगुआई वाला महागठबंधन उड़ सा गया। यदि कहा जाए कि चाचा नेहरू के जनमदिन पर बिहर ने कांग्रेस को भूलकर एनडीए को तोहफा दिया।
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
शुक्रवार को हुई मतगणना का परिणाम से स्पष्ट हो जाता है कि लगातार बीस वर्ष के शासनकाल के प्रति न कहीं नाराजगी दिखी और न सरकार के प्रति अविश्वास। 89 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। जदयू को 85 सीटें मिली हैं। मतदाताओं ने भी 243 में 202 सीट देकर किए गए वादों के पूरा होने की अपेक्षा जता दी। महागठबंधन 36 सीटों पर सिमट गया। अन्य को छह सीटें मिली हैं।
वादों पर नहीं किया जनता ने भरोसा
रोचक यह कि दोनों प्रमुख गठबंधनों राजग और महागठबंधन की ओर से जनता के हित के बड़े-बड़े वादे किए गए, लेकिन आखिरकार मतदाताओं ने आजमाए हुए पर ही विश्वास किया। स्वतंत्रता के बाद पहली बार रिकॉर्ड तोड़ मतदान (67.13 प्रतिशत) ने राजनीतिक खेमों में कौतूहल भी पैदा किया कि बढ़े हुए वोट किसके हैं। दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे थे।
अपनापन जताकर दिया संदेश बिहार चुनाव के दौरान अपनी रैलियों में मोदी गमछा घुमाकर वहां की जनता को मंत्र मुग्ध करते रहे, अब प्रचंड नतीजों के बाद उन्होंने जनता का आभार भी उसी उपक्रम को दोहराकर जताया।
शुक्रवार शाम दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पहुंचकर मोदी ने बिहार की जनता से अपनापन जताते हुए संदेश देने का काम भी किया। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें मखाने की माला पहनाकर उनका आभार प्रकट किया। जाहिर है दुनिया भर में गमछा घुमाने की कला, मखाना बिहार से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं।
पीके भी हवा—हवाई!ओबैसी का दिखा सीमांचल में प्रभाव
इस बार चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा लग रहा थ कि प्रशांत किशोर बिहार में कुछ नया करेंगे, लेकिन बिहार की जनता ने उन्हें भी हवा—हवाई साबित कर दिया और एनडीए को आशीर्वाद प्रदान किया। प्रशांत किशोर की नई-नवेली पार्टी जनसुराज ने तीसरा विकल्प होने का माहौल जरूर बनाया, मगर यह सब हवाबाजी ही साबित हुई। पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम सीमांचल में पांच सीटों पर प्रभावी रही।
एनडीए की जीत के ये प्रमुख कारण
— मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ने बड़ा प्रभाव डाला। महिलाएं नीतीश कुमार के के लिए कैडर वोट की तरह दिखीं।
— वृद्धजन पेंशन योजना की राशि 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये कर देना भी कारगर रहा।
घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा का भी ग्रामीण के साथ-साथ शहरी मतदाताओं पर पड़ा।
— पीएम मोदी ने मंच से जब तेजस्वी के आने पर कट्टा वाले आडियो-वीडियो की बात की तो नई पीढ़ी के साथ साथ पुरानी पीढ़ी के वोटरों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। इसके साथ ही नीतीश कुमार के सुशासन पर भरोसे ने राजग की झोली वोटों से भर दी।
इंडिया गठबंधन के हार के प्रमुख कारण
— नेतृत्व का अस्थिर ढांचा रहा। राजद और कांग्रेस के बीच नेतृत्व, समन्वय और चेहरे को लेकर उत्पन्न विवाद में गलत प्रभाव डाला।
— जातीय व सामाजिक समीकरणों के आकलन में चूक हुई। महिलाओं, युवाओं और गैर
परंपरागत जातीय समूहों में पकड़ नहीं बना सका।
— महागठबंधन का एक बड़ा स्तंभ होने के बावजूद कांग्रेस बोझ साबित हुई। टिकट वितरण को लेकर भारी नाराजगी थी।
— चुनावी एजेंडा तय करने में पूरी तरह असफल रहा, महागठबंधन की आवाज मतदाताओं तक बिखरी हुई और अस्पष्ट पहुंची।
— बड़ी समस्या थी स्थानीय स्तर पर संगठन की निष्क्रियता।
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