पूरा सत्र निकल गया लेकिन प्रदेश के स्कूलों में नहीं पहुंची साइकिलें

पूरा सत्र निकल गया लेकिन प्रदेश के स्कूलों में नहीं पहुंची साइकिलें

रायपुर
 सरकारी योजनाएं मतलब लेटलतीफी। इस दर्जे से शिक्षा विभाग उबर नहीं पा रहा है। दावा किया जाता है और तैयारियां जोर-शोर से होती हैं, लेकिन तय वक्त पर सुविधाएं नहीं मिलने से हर साल बच्चों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। किताब, ड्रेस पहले पहुंचता है, लेकिन सरस्वती साइकिल योजना के तहत लड़कियों को साइकिल अभी तक नहीं मिली है। नतीजा यह हुआ कि लड़कियां पैदल स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं।

शिक्षा अफसरों का कहना है कि सारी व्यवस्थाएं हो गईं हैं, जल्द ही साइकिल मिल जाएगी, लेकिन कब, इसकी कोई तारीख फिक्स नहीं है। आलम यह है कि हर साल एक सत्र बीत जाने के बाद ही लड़कियों को साइकिल नसीब होती है। हालांकि यह चुनावी साल है, इसलिए अफसर यह कहकर संतोष जताते हैं कि काम में व्यस्त रहे, लेकिन पिछले सालों का रिकॉर्ड खंगालें तो मामला उलट-पलट ही है।

कुछ स्कूलों में नहीं बांटी हैं साइकिलें

राजधानी में कुछ ऐसे भी हायर सेकंडरी स्कूल हैं, जहां पिछले साल की साइकिलें पड़ी हुई हैं और जिम्मेदारों ने नहीं बांटीं। इन जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। दरअसल कितनी साइकिलें आईं और कितनी बच्चों को मिल पाईं, इसका फिजिकल वेरीफिकेशन ही नहीं कराया जा रहा है। जांच हो तो कई बड़े जिम्मेदार कटघरे में होंगे। फिलहाल बच्चियों को साइकिल मिल जाए, इसके लिए वे एक बार फिर प्रशासन का मुंह ताक रहे हैं।

फर्नीचर में भी गड़बड़झाला

रायपुर समेत प्रदेश के तमाम जिलों में हर साल फर्नीचर की सप्लाई की जाती है लेकिन इसका फिजिकल वैरीफिकेशन तय समय पर नहीं हो पाता है। जब तक वैरीफिकेशन होता है तब तक फर्नीचर भी खराब हो जाता है। प्रयोगशाला के उपकरणों की बात हो या फिर स्पोर्ट्‌स के सामान तय समय पर स्कूलों में नहीं पहुंच पाने से हर साल बच्चे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।


साइकिल मिल जाएगी

ड्रेस, किताबें तो सब समय पर मिल गई थी अब साइकिलों में थोड़ी सी देरी जरूर हुई है लेकिन अब सभी जिलों में इसकी व्यवस्था की गई है। सभी को साइकिल जल्द ही मिल जाएगी। - एस प्रकाश, संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय