नसबंदी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है- हाईकोर्ट

नसबंदी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है- हाईकोर्ट

रायपुर 
छत्तीसगढ़ में हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बैंच ने बुधवार को नसबंदी कराने पर लगी रोक के आदेश को हाईकोर्ट ने बु‌धवार को निरस्त कर दिया. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि नसबंदी हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. इसके लिए किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. बता दें कि हाईकोर्ट में रानीचन्द बैगा और 9 अन्य ने हाईकोर्ट की अधिवक्ता रजनी सोरेन के माध्यम से जनहित याचिका दायर किया था, जिसमे राज्य शासन के आदेश को चुनौती दी गई थी.

बता दें कि अविभाजित मध्यप्रदेश में बैगा जनजाति को संरक्षित जनजाति घोषित करने के साथ ही 1979 में इस जनजाति के लोगों की नसबंदी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. नया राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश शासनकाल में जारी आदेश-निर्देश लागू किए गए थे, लिहाजा नया राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में भी बैगा जनजाति के लोगों की नसबंदी पर प्रतिबंध जारी है.

हाईकोर्ट में रानीचंद बैगा समेत 9 अन्य और जन स्वास्थ्य केंद्र के हरेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट अधिवक्ता रजनी सोरेन के माध्यम से जनहित याचिका लगाई थी. इसमें मध्यप्रदेश में नसबंदी पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की जानकारी देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि बच्चों की संख्या तय करना जीवन के अधिकार में शामिल है और दंपती तय कर सकते हैं कि उन्हें कितने बच्चे रखने है.