मनरेगा से आत्मनिर्भरता की ओर पिपरिया के किसान केषेलाल के लिए मिनी तालाब निर्माण बना बदलाव का मजबूत आधार
रायपुर, मनेंद्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरिया में महात्मा गांधी नरेगा के तहत स्वीकृत पिपरिया मिनी तालाब निर्माण कार्य ने ग्रामीण विकास, जल संरक्षण और किसानों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव की एक सशक्त मिसाल पेश की है। व्यक्तिगत लाभार्थी केषेलाल सिंह के नाम पर स्वीकृत यह कार्य वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3 लाख रुपये की स्वीकृत राशि से ग्राम पंचायत द्वारा सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया। यह परियोजना न केवल एक निर्माण कार्य रही, बल्कि ग्रामीण जीवन में स्थायित्व, आत्मनिर्भरता और समृद्धि का आधार भी बनी।
जल संरक्षण से सिंचाई तक : आवश्यकता से समाधान की यात्रा
इस परियोजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर निस्तार और सिंचाई की स्थायी एवं भरोसेमंद व्यवस्था सुनिश्चित करना था। ग्राम पिपरिया जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में खेती लंबे समय से वर्षा पर निर्भर रही है, जिसके कारण अनिश्चित मौसम और जल की कमी का सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता था। पानी की अनुपलब्धता के कारण खेतों में समय पर सिंचाई नहीं हो पाती थी, जिससे फसलों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित होती थीं। ऐसे में मिनी तालाब का निर्माण जल संरक्षण की दिशा में एक दूरदर्शी पहल साबित हुआ। तालाब में वर्षा जल का संग्रह होने से न केवल जल का संरक्षण हुआ, बल्कि जरूरत के समय खेतों तक सिंचाई जल की उपलब्धता भी सुनिश्चित हुई। इस पहल ने खेती को जोखिम से निकालकर स्थायित्व की ओर अग्रसर किया।
तकनीकी क्रियान्वयन और खेती में आया सकारात्मक बदलाव
कार्य की मांग और लाभार्थी की योग्यता के अनुरूप तकनीकी दृष्टिकोण अपनाते हुए निर्माण प्रक्रिया को विभागीय मार्गदर्शन में सुनियोजित ढंग से क्रियान्वित किया गया। स्थल चयन से लेकर खुदाई, जलभराव क्षमता और संरचना की मजबूती तक प्रत्येक चरण में तकनीकी मानकों का पूरी तरह पालन किया गया, जिससे तालाब वर्ष भर उपयोगी बना रहे। इस कार्य में किसी अन्य योजना का अभिसरण नहीं किया गया और संपूर्ण क्रियान्वयन ग्राम पंचायत द्वारा किया गया। मिनी तालाब निर्माण से पूर्व लाभार्थी मुख्यतः मनरेगा आधारित कृषि कार्यों पर निर्भर थे, किंतु पानी की कमी के कारण फसलों की सिंचाई समय पर नहीं हो पाती थी और उत्पादन सीमित रह जाता था। तालाब निर्माण के पश्चात खेतों को नियमित रूप से पानी मिलने लगा, जिससे सिंचाई की समस्या पूरी तरह दूर हुई। इसका प्रत्यक्ष परिणाम यह हुआ कि लाभार्थी अब एक फसल के स्थान पर दो फसलों का उत्पादन करने लगे हैं, जिससे उनकी कृषि आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
आजीविका संवर्धन की ओर मजबूत कदम
आज इस परियोजना के प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। ग्राम पिपरिया के हितग्राही द्वारा लगभग 4 से 4.40 एकड़ कृषि भूमि में धान की अच्छी और गुणवत्तापूर्ण फसल के साथ-साथ आलू और अरहर जैसी अतिरिक्त फसलों का सफल उत्पादन किया गया है। इससे न केवल कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि खेती में विविधीकरण को भी बढ़ावा मिला है। अतिरिक्त फसलों से प्राप्त आय ने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है और आजीविका संवर्धन की दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान किया है। यह मिनी तालाब निर्माण कार्य ग्राम पंचायत पिपरिया में जल संरक्षण आधारित विकास की एक प्रेरक कहानी बनकर उभरा है। सीमित संसाधनों में किए गए इस प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही योजना, तकनीकी मार्गदर्शन और स्थानीय सहभागिता के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन संभव है। यह सफलता कहानी न केवल ग्राम पिपरिया के लिए गौरव का विषय है, बल्कि अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है, जहाँ जल संरक्षण को केंद्र में रखकर कृषि और ग्रामीण जीवन को नई दिशा दी जा सकती है।

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