मिशन 2019: कुर्सी जाने के बाद ट्रांसफर, दिल्ली आएंगे शिवराज-रमन!

मिशन 2019: कुर्सी जाने के बाद ट्रांसफर, दिल्ली आएंगे शिवराज-रमन!

 
भोपाल/रायपुर

छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव हारने के बाद बीजेपी वहां के दोनों बड़े नेताओं को राज्य में विपक्ष का नेता बनाने की बजाय दिल्ली भेजना चाहती है। एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ाने का प्लान बनाया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का तर्क है कि दोनों ही नेताओं ने 15-15 साल तक राज्यों में सरकारें चलाईं। पार्टी अब चाहती है कि नई लीडरशिप सामने आए ताकि जब अगले विधानसभा चुनाव हों तो पार्टी नए सेनापतियों के साथ मैदान में उतरे। 

मध्य प्रदेश में विपक्ष के नेता पद के लिए विधायकों में से किसी एक को चुन लिया जाएगा और शिवराज सिंह चौहान को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। वहीं छत्तीसगढ़ में कौशिक को प्रतिपक्ष का नेता बनाने से यह साफ संकेत है कि अब रमन सिंह को राज्य की राजनीति से निकालकर केंद्र में लाया जाएगा। ऐसे में यह लगभग तय है कि उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ाया जाए। इससे पार्टी को लोकसभा चुनाव के वक्त छत्तीसगढ़ की अन्य सीटों पर भी फायदा मिलेगा और अगर बीजेपी सत्ता में लौटती है तो उन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है। 

मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक धरमलाल कौशिक प्रतिपक्ष के नेता होंगे। कौशिक को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। हालांकि कौशिक के चयन के बाद ही पार्टी में नाराजगी के स्वर उठने लगे हैं। उधर अब यह माना जा रहा है कि डॉ. रमन सिंह को पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार सकती है। 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार सत्ता में रहने के बाद इस बार बीजेपी को राज्य में करारी हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली से शुक्रवार सुबह पहुंचे सुपरवाइजर की मौजूदगी में धरमलाल कौशिक को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। कौशिक को डॉ. रमन सिंह ग्रुप का ही नेता माना जाता है। इस वजह से पार्टी में विरोधी गुट खुलकर नाराजगी जता रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सीनियर विधायक ब्रजमोहन अग्रवाल और ननकीराम कंवर के समर्थक खुलकर अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि कौशिक जब चुनाव जीते तो उन्हें विधानसभा का स्पीकर बना दिया गया। पिछली बार खुद चुनाव हार गए तो उन्हें प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया। इस बार उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने चुनाव लड़ा और पार्टी बुरी तरह से हार गई लेकिन इसका भी उन्हें प्रतिपक्ष का नेता बनाकर पुरस्कार दिया गया है। 

मैं विपक्ष का नेता नहीं बनूंगा: शिवराज 
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद को विधानसभा में विपक्ष के नेता की दौड़ से बाहर कर लिया है। उन्होंने कहा है कि वह विपक्ष के नेता पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं। बीजेपी नेतृत्व ने इस पद के लिए नाम तय कर लिया है। बता दें कि अभी तक बीजेपी यह तय नहीं कर पाई है कि विधानसभा में उसके विधायकों का नेतृत्व कौन करेगा। विधानसभा सत्र अगले सोमवार से शुरू होने वाला है। विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद मिली हार के बाद शिवराज अचानक सक्रिय हुए थे। वह दो तीन दिन तक लगातार प्रदेश बीजेपी कार्यालय भी जाकर बैठे थे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह प्रदेश के मतदाताओं का आभार व्यक्त करने के लिए आभार यात्रा पर जाएंगे। लेकिन पार्टी ने उनकी आभार यात्रा को शुरू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। 

6 जनवरी को विपक्ष के नेता का चुनाव 
बाद में उनके खेमे से यह खबर आई कि 13 साल मुख्यमंत्री रहने का रेकॉर्ड बना चुके शिवराज अब विपक्ष के नेता की भूमिका निभाएंगे। वह अपने स्तर से इसकी कोशिश भी कर रहे थे, लेकिन उन्होंने यह ऐलान कर दिया कि वह नेता प्रतिपक्ष पद की दौड़ में नही हैं। साथ यह भी कहा कि नेतृत्व ने तय कर लिया है कि कौन इस पद पर बैठेगा। उधर, बीजेपी कार्यालय से जानकारी मिली है कि 6 जनवरी को बीजेपी विधायकों की मौजूदगी में विपक्ष के नेता का चुनाव होगा। वैसे इस पद के लिए बीजेपी के आधा दर्जन विधायक दौड़ में हैं। इनमें राजेन्द्र शुक्ल, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल और नरोत्तम मिश्रा के नाम शामिल हैं।