52 प्रतिशत युवा शहरी भारत एक से ज्यादा भाषाओं में कर रहा है बात

52 प्रतिशत युवा शहरी भारत एक से ज्यादा भाषाओं में कर रहा है बात

  नई दिल्ली 
यंग इंडिया अपनी पिछली पीढ़ी के मुकाबले ज्यादा जुबानें बोल रहा है। 15 से 49 साल की उम्र की शहरी आबादी 2 भाषाएं बोलती है। इसके साथ ही हर छठा व्यक्ति तीन भाषाएं जानता है।  
 
जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है एक से ज्यादा भाषाएं जानने वाली आबादी का अनुपात कम होता जाता है। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों तरह का भारत शामिल है। हाल ही जारी हुए जनगणना के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि इस मामले में शहरी और ग्रामीण भारत में जेंडर गैप लगातार कम होता जा रहा है। 

जनगणना में यह बात सामने आई है कि देश की करीब एक चौथाई आबादी दो भाषाएं बोल सकती है वहीं सिर्फ सात प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो तीन भाषाएं जानती हैं। इस आंकड़े में शहरी और ग्रामीण भारत का अंतर नजर नहीं आता। एक ओर जहां ग्रामीण भारत में करीब 22 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो दुभाषिये हैं वहीं शहर में यह आंकड़ा 44 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। जहां तक तीन भाषाएं जानने का सवाल है गांवों में रहने वाली सिर्फ चार प्रतिशत आबादी ही इस श्रेणी में आती है जबकि शहरों में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत है। 

14 साल की उम्र तक भाषाओं को जानने की बात करें इसमें लिंग के आधार पर अंतर नजर नहीं आता। 15 साल की उम्र के बाद पुरुषों और महिलाओं के भाषाएं जानने में काफी अंतर नजर आता है। 

20-24 साल का आयुवर्ग ऐसा है जो सबसे ज्यादा भाषाएं बोल सकता है। लिंग के आधार पर अंतर 70+ की उम्र के बाद भी बढ़ता जाता है। 25 प्रतिशत पुरुष दो भाषाएं जानते हैं वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा सिर्फ 16 प्रतिशत है। यानी दोनों के बीच में करीब 9 प्रतिशत का अंतर है। हालांकि तीन भाषाएं जानने वाले आंकड़े में यह अंतर उतना बड़ा नहीं है लेकिन उम्र के साथ अंतर बढ़ने का पैटर्न यहां भी है। 

यहां तक कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में भी आयुवर्ग और लिंग को लेकर कई आयाम दिखाई देते हैं। सबसे ज्यादा अगर कोई आयुवर्ग दो भाषाएं जानता है तो वह शहरों में रहने वाला 20-24 साल का युवा है। इसमें 52 प्रतिशत लोग दो भाषाएं जानते हैं। शहरी इलाकों में दो भाषाएं जानने वालों में 15 साल की उम्र तक लिंग के आधार पर भी कोई अंतर नजर नहीं आता। हालांकि ग्रामीण इलाकों में यह अंतर काफी जल्दी, 10-14 साल के आयुवर्ग में नजर आना शुरू हो जाता है। इसका संबंध गांवों में स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या से भी हो सकता है। शायद इसी वजह से वे सिर्फ अपनी मातृभाषा ही जानती हैं। 

जहां तक शहरी इलाकों में दो भाषाएं जानने का सवाल है यह अंतर ग्रामीण इलाकों के मुकाबले काफी कम है। रोचक बात है कि जब बात तीन भाषाएं जानने की आती है तो शहर में रहने वाले 50-69 आयुवर्ग के करीब 20 प्रतिशत लोग इस श्रेणी में आते हैं।