मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में गुणवत्ता को लेकर चिकित्सा विभाग सख्त

मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में गुणवत्ता को लेकर चिकित्सा विभाग सख्त

निगम के गठन से लेकर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं: चिकित्सा मंत्री

जयपुर। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की पहल पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता एवं आमजन को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाने की दिशा में प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। साथ ही, लापरवाही या अनियमितताओं के मामलों में सख्त एक्शन लिया जा रहा है। इसी कड़ी में आमजन को मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में गुणवत्तापूर्ण औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान मेडिकल सर्विसेज काॅरपोरेशन ने गुणवत्ता जांच में दवाओं के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर इस वर्ष में ही अब तक 7 फर्मों और 40 उत्पादों को डिबार कर दिया है। यह निगम के गठन से लेकर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के सुचारू संचालन के साथ ही हमारी प्राथमिकता है कि आमजन को गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलें। दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जीरो टोलरेंस की नीति पर काम करते हुए विभाग ने गुणवत्ता मानकों में खरा नहीं उतरने वाली दवाओं से संबंधित फर्मों के विरूद्ध सख्त कदम उठाए हैं। इसी का परिणाम है कि इसी वर्ष में 7 फर्मों एवं 40 उत्पादों को डिबार कर दिया गया है। इतनी बड़ी कार्रवाई निगम के गठन से लेकर अब तक कभी नहीं की गई।

2011 से 2024 तक केवल 26 फर्म हुई थी डिबार

प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने बताया कि निगम के गठन के पश्चात वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2024-25 के दौरान कुल 26 कम्पनियों को प्रतिबंधित किया गया था, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 में ही अमानक दवा की आपूर्ति अथवा आपूर्ति नहीं करने के कारण 07 दवा कम्पनियों को प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही, 40 उत्पादों को डिबार किया गया है, जो किसी वित्तीय वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। इसके अलावा 06 प्रकरणों में कम्पनियों पर शास्ति आरोपित की गई है।

दवा जांच का है फुल प्रूफ सिस्टम

राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पुखराज सेन ने बताया कि अस्पतालों में आपूर्ति से पहले दवाओं की जांच का निगम ने फुल प्रूफ सिस्टम विकसित किया हुआ है, ताकि कोई भी अमानक दवा रोगी तक नहीं पहुंचे। निगम की गुणवत्ता नीति के अनुसार सप्लायर्स से क्रय की गई औषधियों को जिला औषधि भंडारों में क्वारंटाइन क्षेत्र में रखा जाता है तथा प्रत्येक दवा के प्रत्येक बैच की कॉर्पोरेशन की अधिकृत प्रयोगशालाओं से जांच कराई जाती है। जांच में मानक कोटि की पाए जाने पर ही दवा को चिकित्सालयों में वितरण हेतु ई-औषधि सॉफ्टवेयर के माध्यम से वितरण हेतु रिलीज किया जाता है। अधिकृत प्रयोगशाला से जांच में अमानक पाई गई औषधि के बैच को रिजेक्ट कर दिया जाता है।

यह प्रक्रिया अपनाई जाती है प्रतिबंध के लिए

प्रारंभिक स्तर पर अमानक पाई गई औषधि की गुणवत्ता की जांच की पुष्टि हेतु राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में सेम्पल प्रेषित किए जाते हैं। निगम की गुणवत्ता नीति के अनुसार औषधि नियंत्रक को भी लिखा जाता है, जिस पर औषधि नियंत्रक द्वारा संबंधित जिला औषधि भंडार गृह से सैम्पल लेकर राजकीय प्रयोगशाला में जांच कराई जाती है। निगम के स्तर पर टेस्टिंग के अतिरिक्त विभिन्न जिलों में औषधि नियंत्रण अधिकारियों द्वारा भी जांच हेतु रैंडम आधार पर सैम्पल लिए जाते हैं।

औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से अमानक कोटि की जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर प्रकरण को अनुशासनात्मक समिति की बैठक में रखा जाता है तथा फर्म को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए अवसर दिया जाता है। निगम की अनुशासनात्मक समिति द्वारा निविदा शर्तों के उल्लंघन एवं ब्लैक लिस्टिंग या डिबारमेंट के सम्बन्ध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार फर्म अथवा प्रोडक्ट को निश्चित अवधि के लिए डिबार अथवा पेनल्टी की कार्यवाही की जाती है।

इस वर्ष में इन 7 फर्मों को किया डिबार

निगम ने अमानक श्रेणी या मिलावटी दवाओं की आपूर्ति करने पर इस वर्ष 5 फर्मों को 5 वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया है। मेसर्स एरियन हेल्थकेयर को सिप्रोफ्लॉक्सासिन और डेक्सामेथासोन आई एवं ईयर ड्राॅप, मेसर्स एग्रॉन रेमेडीज प्रा.लि. को सेफ्युरॉक्सिम एक्सिटिल टैबलेट तथा टोब्रामाइसिन आईड्रॉप, मेसर्स एफी पेरेंटेरल्स को कैल्शियम व विटामिन डी3 टैबलेट्स, जेपीईई ड्रग्स को कैल्शियम व विटामिन डी3 सस्पेंशन और मैसर्स साई पेरेंटेरल्स लि. को हेपरिन सोडियम इंजेक्शन अमानक श्रेणी का पाया जाने पर डिबार किया है। इसी प्रकार 2 फर्मों को सेवा शर्तों की पालना नहीं करने पर 3 वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया है। मैसर्स बायोजेनेटिक ड्रग्स प्रा.लि. एवं मैसर्स स्माइलैक्स हेल्थकेयर ड्रग कंपनी को सेवा शर्तों में उल्लंघन पर डिबार किया गया है। 

इन उत्पादों पर लगाया प्रतिबंध

जांच में दवाओं के नमूने अमानक पाने पर कुल 40 दवाइयों की बिक्री व बेचान पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें मेसर्स मैक्सवेल लाइफ साइंसेज प्रा. लि. की प्राइमाक्वीन टैबलेट, मेसर्स स्कॉट एडिल फार्मेशिया लि. के हेपरिन सोडियम इंजेक्शन व मेसर्स यक्का फार्मास्युटिकल्स प्रा.लि. की कैल्शियम और विटामिन डी3 सस्पेंशन पर 3 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। इसी प्रकार मेसर्स सेंटलाइफ फार्मास्युटिकल्स लि. की फेक्सोफेनाडाइन टैबलेट, मैसर्स लाइफ मैक्स कैंसर लैबोरेट्रीज की लेवेटिरासिटम टैबलेट, मैसर्स टाइटेनियम टेक्नोलॉजीज (इंडिया) प्रा.लि. के कैल्सिट्रायॉल कैप्सूल, मैसर्स स्टेरिमेड मेडिकल डिवाइसेस प्रा.लि. के सक्शन कैथेटर स्टेराइल साइज एफजी-14 व सक्शन कैथेटर स्टेराइल साइज एफजी-12, मैसर्स लाइफ मैक्स कैंसर लैबोरेट्रीज के क्लोपिडोग्रेल और एस्पिरिन टैबलेट्स, मैसर्स एफी पेरेंटेरल्स की मेटफॉर्मिन एचसीएल (सस्टेन्ड रिलीज) और ग्लिमेपिराइड टैबलेट, मेसर्स सेंटलाइफ फार्मास्युटिकल्स लि. के कैल्शियम और विटामिन डी3 सस्पेंशन एवं मेसर्स अस्तम हेल्थकेयर प्रा.लि. की सेफिक्सिम टैबलेट, डिस्पर्सिबल टैबलेट को 2 वर्ष की अवधि के लिए प्रतिबंधित किया गया है। मैसर्स साई पेरेंटेरल्स लिमिटेड की सेफ्पोडॉक्सिम प्रॉक्सिटिल टैबलेट, मैसर्स कैप्टैब बायोटेक यूनिट-दो के ब्यूडेसोनाइड रेस्पिरेटरी सॉल्यूशन, मैसर्स जी लैबोरेट्रीज लि. के इट्राकोनाजोल कैप्सूल एवं मैसर्स विटाल हेल्थकेयर प्रा.लि. के ब्यूपिवाकेन हाइड्रोक्लोराइड इन डेक्सट्रोज इंजेक्शन पर 18 माह का प्रतिबंध लगाया गया है। मैसर्स रिलीफ बायोटेक प्रा.लि., रुड़की के ग्लिमेपिराइड 2 मिग्रा. पियोग्लिटाजोन 15 मिग्रा. मेटफॉर्मिन एचसीएल एसआर टैबलेट, मेसर्स एमेक्सफार्मा, तेलंगाना के लोसार्टन पोटैशियम हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड टैबलेट, मेसर्स एग्रॉन रेमेडीज प्रा.लि., काशीपुर की मेटफॉर्मिन एचसीएल एसआर ग्लिमेपिराइड टैबलेट  एवं मैसर्स सेंचुरियन रेमेडीज प्रा. लि., वडोदरा की पिरफेनीडोन टैबलेट अमानक पाए जाने पर 1 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।