बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर सुबोध के बेटे ने कहा- पिता की हत्या के पीछे बड़ी साजिश

बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर सुबोध के बेटे ने कहा- पिता की हत्या के पीछे बड़ी साजिश

 
नई दिल्ली 

बुलंदशहर हिंसा में मारे गए उत्तर प्रदेश के इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के बेटे श्रेय और अभिषेक ने आज तक से खास बातचीत में अपने पिता की मौत के पीछे बड़े षड्यंत्र का शक जताया है. इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के बच्चों का कहना है कि 3 दिसंबर को एक बड़े सांप्रदायिक तनाव को फैलाने की साजिश रची जा रही थी, जिसका विरोध करने और उसे रोकने के चलते उनके पिता को शिकार बनाया गया.

सुबोध सिंह के बेटे श्रेय ने कहा, सिस्टम गंभीर रहे क्योंकि यह कोई मामूली घटना नहीं है बल्कि कुछ बड़ी साजिश है. जिसकी कई बातें मिसिंग हैं और जिनको जल्दी जोड़ने की जरूरत है, जिससे सच सामने आ सके. वहीं अभिषेक ने कहा कि जब पिता जी को मारा गया और उन्हें निकाला गया तो उनकी गाड़ी कैसे जलाई? मौके पर पुलिस क्यों नहीं थी और जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया तो मौका-ए-वारदात का सीन खाली कैसे छोड़ा गया?

अभिषेक ने कहा कि इसके पीछे षड्यंत्र नजर आ रहा है. ऐसा कैसे हो सकता है कि गोवंश काटकर खुले खेतों में छोड़ दिया जाए. ऐसा तभी हो सकता है जब गोवंश को इसलिए काटा जाए कि दूसरे लोगों को पता चले और उससे हड़कंप मच जाए.

श्रेय ने कहा, ड्राइवर ने घटनाक्रम सबसे पहले बताया था. वो यह दावा कर रहा है कि चारों तरफ से पत्थरबाजी हो रही थी. जब पत्थरबाजी ज्यादा हो गई तो वो गाड़ी छोड़कर भाग गया. श्रेय ने कहा कि उसके पिता की किसी से निजी दुश्मनी नहीं थी लेकिन उनके चेहरे पर दबाव दिखाई देता था.

इंस्पेक्टर सुबोध ने गोहत्या के आरोपी को किया था गिरफ्तार

अभिषेक ने कहा कि  पिताजी का काम करने का तरीका अलग था. वह हर चीज की तह तक जाते थे और यहां कई वरिष्ठ अधिकारियों से उनका तालमेल नहीं बैठ रहा था. अभिषेक ने बताया कि 3 दिसंबर को हुए हत्याकांड से कुछ दिन पहले ही उनके पिता यानी इंस्पेक्टर सुबोध ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था, जो गोहत्या के मामले में आरोपी थे. इस मामले में इंस्पेक्टर सुबोध को दबा दिया गया था और गिरफ्तार शख्स की जमानत हो गई थी.

अभिषेक ने बताया कि तब उन्होंने (सुबोध) ने बताया था कि उस आरोपी ने कहा था, इसका अंजाम बुरा होगा. अभिषेक ने कहा कि इसका रिकॉर्ड पुलिस के पास दर्ज भी होगा क्योंकि गोहत्या के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी और जो शख्स पकड़ा गया था उसने पिताजी ( इंस्पेक्टर सुबोध) को धमकी दी थी. श्रेय ने कहा कि अगर पूरे घटनाक्रम को देखें तो समझ में आएगा कि इस घटनाक्रम में मेरे पिताजी को शिकार बनाया गया है.

अभिषेक ने कहा कि स्थानीय तौर पर भी पिताजी पर दबाव था. स्थानीय विधायक ने कह दिया कि उनकी हत्या नहीं हुई बल्कि हार्ट अटैक आया था. ऐसे में वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी बदल सकते हैं, जिस इंसान पर आरोप हैं वह तो अपनी सफाई में कुछ न कुछ कहेगा.

श्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि सारी कड़ियां जोड़ी जाएंगी. उन्होंने यह भी कहा था कि जितने भी लोग बयानबाजी कर रहे हैं उन सब चीजों का संज्ञान लिया जा रहा हैं.  अभिषेक ने कहा, लिंचिंग एक दुर्घटना कैसे हुई कि एक पुलिस वाले को गोली मार दी गई. अगर मुख्यमंत्री इस बात को दुर्घटना बोल रहे हैं तो किसी रिपोर्ट के तहत ही बोल रहे होंगे, वह रिपोर्ट दिखाएं.

अभिषेक ने कहा, प्रशासन को यह लगता है कि गोहत्या के जो कातिल हैं, अगर वह मिल जाएं तो उनसे मेरे पिताजी के कातिल मिल जाएंगे. लेकिन हमें यह जानना है कि किसी गोहत्या के कातिल के बारे में जानना ज्यादा जरूरी है या यह जानना जरूरी है कि किसी इंसान की मौत कैसे हुई है?

श्रेय ने कहा कि कुछ व्यक्ति हैं, जिनके नाम एफआईआर में दर्ज हैं और जो मुख्य अभियुक्त हैं, लेकिन पकड़े नहीं गए हैं. अगर वीडियो निकालकर खुद को निर्दोष साबित कर रहे हैं तो सामने क्यों नहीं आ रहे और वह भाग क्यों रहे हैं? अगर उन्हें कोई बचा रहा है तो मेरा मानना है कि पुलिस पकड़ कर रहेगी.

अभिषेक ने कहा हमें लगता है कि ये एक तरह की साजिश है, जिससे हिंदू-मुस्लिम विवाद बनाने की कोशिश की जाए. जिस दिन यह घटना हुई तब एक तरफ इजतमा था और दूसरी तरफ हिंसा भड़क गई. पिताजी (इंस्पेक्टर सुबोध) ने हिंसा को शांत करने की कोशिश की. हो सकता है कि किसी ने बात बढ़ाने की ठान ली हो और इसलिए उन्हें मार दिया हो.

अभिषेक ने कहा कि पिताजी कभी हिंसा नहीं चाहते थे, वह सकते थे समाज का कल्याण तभी हो सकता है जब शांति बनी रहे. उन्होंने सिखाया है कि अच्छे नागरिक बनिए. सभी जाति, धर्म एक हैं, जितनी पवित्र गीता है उतना ही पवित्र कुरआन है.

अभिषेक ने कहा कि गोहत्या की शिकायत पर कुछ कार्रवाई हो रही थी, लेकिन जो आग में चिंगारी डालने वाले लोग थे वह अचानक वहां आ गए. सब कुछ सोची समझी साजिश के तहत हुआ है, क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि एक छोटी सी कार्रवाई इतनी बड़ी हिंसा बन गई.