नर्सरी ऐडमिशन में अपर एज लिमिट: जो पिछले साल चूके, इस बार भी अनलकी!

 नर्सरी ऐडमिशन में अपर एज लिमिट: जो पिछले साल चूके, इस बार भी अनलकी!

 
नई दिल्ली 

नर्सरी ऐडमिशन में अपर एज लिमिट लगने से इस बार दिल्ली के कई बच्चे ऐडमिशन में फंस गए हैं। अकैडमिक सेशन 2019-20 के लिए शिक्षा निदेशालय ने अपर एज क्राइटेरिया लागू किया है और इसके हिसाब से 4 साल का बच्चा भी नर्सरी में ऐडमिशन नहीं पा सकता। पैरंट्स का कहना है कि बच्चे का डायरेक्ट केजी पढ़ाना भी एक मुश्किल है, क्योंकि केजी में दिल्ली के कई स्कूलों में तो सीटें ही नहीं हैं और कुछ स्कूल केजी में बच्चे पर दबाव की बात करते हुए लेने को तैयार भी नहीं है।  
 एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैरंट्स को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि दिल्ली में सैंकड़ों ऐसे स्कूल हैं जहां केजी की सीटें खाली रहती हैं, हालांकि पैरंट्स को पसंद के साथ समझौता करना होगा। वहीं अपर एज लिमिट के खिलाफ याचिका पर अभी भी हाई कोर्ट ने अंतिम फैसला नहीं दिया है, यह केस 2017 से ही अदालत में है। अगले महीने इसमें सुनवाई भी हो सकती है। 

नर्सरी समेत केजी और क्लास 1 में प्राइवेट स्कूलों में ऐडमिशन के लिए (75% सीटों के लिए) फॉर्म 15 दिसंबर से 7 जनवरी तक भरे जाएंगे। नर्सरी के लिए कम से कम 3 साल, केजी के लिए 4 साल और क्लास 1 के लिए 5 साल होनी चाहिए। नर्सरी के लिए अपर एज 4 साल से कम, केजी के लिए 5 साल से कम और क्लास 1 के लिए 6 साल से कम (31 मार्च तक) होनी चाहिए। वे बच्चे इस नियम में फंस गए हैं, जिनका पिछले साल ऐडमिशन नहीं हो पाया। आर के पुरम में रहने वाली रीमा चौधरी कहती हैं, मेरा बेटा मार्च में 4 साल दो महीने का हो जाएगा। हमें ऐसा लग रहा है जैसे पिछले साल ऐडमिशन ना करा कर हमने बड़ी गलती कर दी। अब केजी में उसे सीधे कैसे डालें? 
स्कूल इस दिक्कत का हल देने में नाकाम हैं। पूसा रोड स्थित स्प्रिंगडेल्स स्कूल की प्रिंसिपल अमित वट्टल कहती हैं, एंट्री क्लास नर्सरी ही है, तो वहीं ऐडमिशन होगा, डायरेक्ट केजी में ऐडमिशन नहीं दिया जा सकता। वहीं माउंट आबू पब्लिक स्कूल, रोहिणी की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं, नर्सरी के बच्चे ही केजी में प्रमोट होते हैं, किसी बच्चे के स्कूल छोड़ने पर ही केजी में सीट खाली होती है, इसलिए हम भी मदद नहीं दे सकते। 
हालांकि एजुकेशन डायरेक्टर संजय गोयल का कहना है, पैरंट्स के पास एक ऑप्शन है कि वे एक साल सरकारी स्कूल में केजी में बच्चे को पढ़ा सकते हैं और चाहें तो बाद में ट्रांसफर कर सकते हैं। सरकारी स्कूल में यही एज लिमिट है, ऐसे में नर्सरी तो वहां भी नहीं हो सकती। दूसरी ओर, एजुकेशन ऐक्टिविस्ट खगेश झा का कहना है, यह उतनी चिंता की बात नहीं है क्योंकि उम्र की वजह से नर्सरी में दिक्कत तो हर स्कूल में आएगी मगर डायरेक्ट केजी में ऐडमिशन की दिक्कत सिर्फ 100-150 नामी स्कूलों में होगी। दिल्ली में हजार से भी ज्यादा स्कूल हैं, जहां केजी की कई सीटें खाली रहती हैं। पैरंट्स अपनी पसंद से समझौता करके ऐडमिशन करवा सकते हैं। 
एनजीओ 'जस्टिस फॉर ऑल' के जरिए इस मामले को भी हाई कोर्ट ले गए खगेश का कहना है, वैसे अपर एज लिमिट के खिलाफ हम पहले से रहे हैं। यह मामला अभी भी कोर्ट में है। हम गाइडलाइंस और उसके पहलुओं पर भी गौर कर रहे हैं, ताकि कोई हल निकले।