छत्तीसगढ़ चुनाव: चौथे चुनावी संग्राम में भी चावल हो सकता है प्रमुख मुद्दा

छत्तीसगढ़ चुनाव: चौथे चुनावी संग्राम में भी चावल हो सकता है प्रमुख मुद्दा

रायपुर
छत्तीसगढ़ में जिस चावल के मुद्दे पर भाजपा ने तीन बार प्रदेश मे अपनी सरकार बनाई हो. जिस चावल को बेच कर किसान की आर्थिक स्थिती सुधरी हो. वही चावल इस बार भी प्रदेश के प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है. क्योंकि एक तरफ नेता प्रतिपक्ष ने जहां गरीबों के हक का भरपूर चावल उन्हें ना मिलने का आरोप लगाया है. तो दूसरी तरफ भाजपा ने अपने तरीके से टीएस पर कटाक्ष किया है.

दल कोई भी हो सब गरीबों के पेट को सहारा बनाकर सरकार बनाने की कोशिश करते हैं. मतलब हम बात कर रहे हैं उस चावल के मुद्दे कि जिसके बलबूते भाजपा ने छत्तीसगढ़ मे तीन बार अपनी सरकार बना ली हो. तो भला चौथी बार उसे रोकने के लिए कांग्रेस क्यों न सामने आती. लिहाजा छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और अम्बिकापुर से कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव ने चावल पॉलिटिक्स शुरू कर दी है.

दरअसल टीएस ने ये आरोप लगा कर प्रदेश मे चावल संग्राम शुरू कर दिया है कि उनकी सरकार आई तो वो प्रत्येक परिवार को 35 किलो चावल देंगे. जबकि बीजेपी सरकार 35 किलो की जगह 7 किलो चावल ही दे रही है. इतना ही नहीं ऐसे 35 किलो देने वाले राशन कार्ड को टीएस सबसे पहले रमन सिंह के घर पहुंचाएगें.

कागजों में तो छत्तीसगढ़ के पीडीएस सिस्टम की चर्चा समूचे देश मे होती है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस इस मुद्दे को भाजपा से लपक कर प्रदेश की सत्ता मे काबिज होने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे मे भला उनके चिर प्रतिदंद्दी और अम्बिकापुर से भाजपा प्रत्याशी अनुराग सिंहदेव कैसे चुप रहते. अनुराग ने कहा कि सरकार 7 किलो प्रति व्यक्ति चावल देती है, मतलब एक घर मे अगर 10 लोग है तो सरकार 70 किलो चावल दे रही है. जिसे टीएस सिंह घटा कर 35 किलो करने की बात कर रहें हैं.