मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट

मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट
नई दिल्ली, संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के लिए विपक्ष एकजुट होने की कवायद में जुट गया है। कोरोना से निपटने से लेकर तमाम मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने के लिए जल्द ही देश की 22 विपक्षी पार्टियां एक बैठक करने वाली है। यह बैठक 14 सितंबर से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र से पहले वर्चुअल तरीके से होगी। यह जानकारी इस मामले से जुड़े कुछ विपक्षी नेताओं ने दी है। 22 मई को भी विपक्षी पार्टियों की इसी तरह एक बैठक हुई थी, जिसमें कोरोना वायरस कहर के बीच मोदी सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन की आलोचना की गई थी। सोनिया गांधी ने कहा था कि कोरोना को 21 दिन में खत्म करने की पीएम का दावा धराशायी हुआ और सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई प्लान नहीं था। सोनिया ने प्रधानमंत्री मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को देश के साथ एक क्रूर मजाक बताया था। विपक्षी दलों की आगमी बैठक में कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण अभियान को शुरू करने की योजना तैयार करने की उम्मीद है। विपक्षी दलों के नेताओं ने कोरोना महामारी और इसे लेकर राहत प्रदान करने में सरकार की विफलता की पहचान की है। मामले से जुड़े नेताओं ने कहा कि जिस संवैधानिक व्यवस्था को खत्म किया जा रहा है, उसकी रक्षा करने की आवश्यकता और आर्थिक परेशानियों की पृष्ठभूमि में लोगों को तत्काल राहत देने की जरूरत है। इस योजना में शामिल नेताओं ने कहा कि विपक्षी पार्टियां इस बात पर भी चर्चा करेंगी कि दिल्ली में फरवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा में केंद्र और उसकी एजेंसियों ने 'पूर्वाग्रह से ग्रस्त' होकर कैसे काम किया और कैसे 'असंतोष की किसी भी आवाज को राष्ट्रविरोधी करार दिया गया। बता दें कि दिल्ली दंगे में करीब 53 लोगों की जानें गईं थीं। माना जा रहा है कि कांग्रेस या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी इस कार्यक्रम के केंद्र में होगी, जो एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन को दिखाने की कोशिश करेगी। योजना में शामिल एक विपक्षी नेता के अनुसार, हम इसे अगस्त में करना चाहते थे, मगर कांग्रेस प्रबंधकों ने हमें बताया कि वे राजस्थान संकट से जूझ रहे हैं। फिर वे कांग्रेस कार्य समिति की बैठक तक का समय चाहते थे। अब हम एक उपयुक्त तिथि तय करने के लिए एक दूसरे से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी देवगौड़ा, शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, डीएमके के एमके स्टालिन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख सीताराम येचुरी इस विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होंगे। इनके अलावा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी), राष्ट्रीय जनता दल, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेताओं के बैठक में शामिल होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक, केरल कांग्रेस (मणि), स्वाभिमान पक्ष, विदुथलाई चिरुथिगाल काची और तेलंगाना जन समिति जैसे छोटे दलों को भी इस बैठक में आमंत्रित किया जाएगा। यह बैठक संसद के मॉनसून सत्र के लिए विपक्ष के एजेंडे को भी निर्धारित कर सकती है, मगर चर्चा का मुख्य विषय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासन के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई है।