अब मुक्तिधाम में बनेगा पितृ वन, जिसमें आपने पितरों की याद में करेंगे वृक्षारोपण

awdhesh dandotia मुरैना/पोरसा। कोई दुनिया का रहे न रहे फिर भी गये हुए लोगों को याद किया जाता है कि और तो और गये हुई आत्माओं को कनागतों में आत्मा की याद में भोजन कराया जाता है, ताकि मृत आत्माओं को शांति मिल सके व मृत आत्मा अपने परिजन को सुख, समृद्धि को दे सके। Now in Muktidham will be made in the honor of Fathers, in which you will plant vineyardsनागाजी मुक्तिधाम पोरसा जो औषधि उपवन व सुन्दरता का वह प्रति विम्ब है जो तहसील स्तर पर देश के सर्वश्रेष्ठ मुक्तिधामों में से एक है। इस मुक्तिधाम को इतनी ऊंचाई पर पहुंचाने का श्रेय समाजसेवा का एक ऐसा जुनून सवार है जो थमने का नाम नही ले रहा है। वर्ष 1995 से आज 23 साल से लगातार जनता से मिलकर बराबर सहयोग लेकर मुक्तिधाम को यहां तक पहुंचाया है। अब मुक्तिधाम में ज्यादा से ज्यादा लोग जुड सके इसके लिए पितृवन तैयार किया जा रहा है। जिससे आगे अपने पितरों की याद में पौधारोपण वह वृक्षों की परिवरिश करेंगे, प्रत्येक वृक्ष पर जिस पितृ आत्मा के लिए रोपण किया गया है उस का नाम उस वृक्ष पर नेम प्लेट लगाई जायेगी तथा प्रत्येक अमावस्या को वृक्ष के नीचे दीपदान करेंगे। ज्ञात हो कि इस मुक्तिधाम में हजारों पक्षी प्रतिदिन अपना दाना पानी ग्रहण करते है। मुक्तिधाम में लगभग दो दजन से अधिक सकोराओं के माध्यम से पक्षियों के लिये पानी पिलाया जाता है। सकोरों को दिन में तीन बार भरते है। पक्षियों को गर्मी से निजात दिलाने के लिसे तीन कुण्ड बनाये गये है। इन कुण्डों में पक्षी स्नान करते है और गर्मी की तपन को शांत करते है।