पहले चाचा अब भतीजा बना नक्सली, 17 वर्षीय हीरसिंह की दलम में एंट्री..?

पहले चाचा अब भतीजा बना नक्सली, 17 वर्षीय हीरसिंह की दलम में एंट्री..?

रफी अहमद अंसारी
बालाघाट। म.प्र का बालाघाट जिला अति नक्सल प्रभावित जिला है। जहां नक्सलियों की घुसपैठ अक्सर बनी रहती है। छ.ग और महाराष्ट में जब दबाव बढता है तो नक्सली बालाघाट के जंगलो में सुरक्षित ठिकाना ढूंढकर योजनायें बनाते है और गांव गांव बैठके लेकर लोगो को बरगलाते हुए दलम में शामिल करने की कोशिश में जुट जातें है। जिनके बहकावे में आकर बालाघाट जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में रहने वाले ग्रामीणो को अक्सर नक्सलवाद की राह अपनातें देखा गया है।

इसी तरह की एक सन-सनीखेज जानकारी लांजी क्षेत्र की देवरबेली ग्राम पंचायत के अति नक्सल प्रभावित ग्राम चिलकोना से प्राप्त हुई है जहां एक 17 वर्षीय युवक नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर नक्सली दलम में शामिल हो गया, जो पुलिस और प्रशासन को शर्मशार करने वाली घटना है और पुलिस के लिये एक नई चुनौती भी। जब मामले की जानकारी हमें लगी तो हमने इस खबर पर पडताल की और ग्राम चिलकोना का दौरा किया। जहां गांव पहुचतें ही हमें पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ नजर आया और लोग दहशत में डूबे नजर आयें। फिर भी हमनें इस खबर की पुख्ता जानकारी जुटाने का प्रयास किया और गा्रमीणो से चर्चा की। जहां यह खुलासा हुआ कि वाकई में 17 वर्षीय हीरसिंह पिछले डेढ माह से लापता और उसका कुछ पता नही है। लेकिन इसी बीच कुछ ग्रामीणो ने दबी जुबान से कहा कि हो सकता है हीरसिंह नक्सली दलम में शामिल हो गया होगा। यह बात हमारे लिये अस्पष्ठ थी, जिस पर गंभीरता जताते हुए हमने हीरसिंह के परिजनो से मुलाकात कर चर्चा की और इस खबर का खुलासा किया।

करीब 02 घंटे के इंतजार के बाद हमारी मुलाकात, हीरसिंह की मॉ दशवंती बाई पुषाम से हुई, जिन्होने चर्चा में पुष्टी करते हुए बताया कि वे खेत में थें और उनका बेटा पेज पीने घर आया था। तभी कुछ लोग उसे अपने साथ ले गये। मॉ दशवंती बाई पुषाम का कहना है कि उन्होने अपने बेटे को बचपन से पाल पोस कर बडा किया, पढाया-लिखाया। लेकिन पिछले दो महिने से वह लापता है। जिससे उन्हे लग रहा है कि उनका बेटा हीरसिंह नक्सली दलम में शामिल हो गया है और वह अब लौटकर नही आयेगा।

बेटे के वियोग के जिंदगी जीने का दंभ भरती मॉ दशवंती पुषाम बेटे की तस्वीर देखकर आंसूओ में डूब जाती है और आशा करती है कि उसका बेटा लौट आयें। इस बात की सच्चाई जानने के बाद ग्रामीणो में दहशत का माहौल बढ गया है और लोग अपने घरो में ही दुबके नजर आ रहे है। गांव में यदि कोई चेहरा नजर आता है तो ग्रामीण इधर उभर भागने पर विवश हो जाते है।  

जिला मुख्यालय से करीब 110 किलो मीटर दूर बसा देवरबेली ग्राम पंचायत का चिलकोना गांव पहले से ही नक्सली गतिविधियों से मशहूर है। पूर्व में भी इस गांव के कुछ गा्रमीण नक्सली संगठनो से ताल्लुक रख चुके है तो कुछ अब भी नक्सली दलम की कमान संभाले हुए है। हीरसिंह पुषाम, अपने परिवार का दूसरा सदस्य है जो नक्सली दलम में शामिल हुआ है। इसके पूर्व उसके चाचा जगदीश पुषाम भी नक्सली दलम में शामिल हो चुके है। इनके अलावा गणेश भी नक्सली दलम में शामिल हुआ था, जिसकी टेÑक्टर हादसे में जान चले गई। साथ ही साथ इसी गांव के निवासी नेगलाल पंद्रे की नक्सलियों ने मुखबीरी के शक में हत्या कर चुके है, जिसका पुलिस ने कंकाल बरामद किया था।

इन तमाम लोगो के नक्सली संगठनो से जुडे रहने और आंकडे बढने के कारण ग्रामीण डर और दहशत के चलते बिती भूली बिसरी बातें बताने में भी हिचक रहे है। जबकि कुछ ग्रामीण दबी जुबान में यह भी स्वीकार कर रहे है कि जब वे लोग हथियार लेकर सामने आते है तो ग्रामीण दहशत में डूबकर उनके साथ चले जाते है। नक्सल गतिविधियों की दृष्टि से देवरबेली के चिलकोना गांव में अक्सर नक्सलियो की आवाजाही बनी रहती है और गा्रमीण उनके संपर्क में रहते है। हीरसिंह के दलम में शामिल होने की चर्चा को लेकर भी यह माना जा रहा है कि हीरसिंह कही ना कही नक्सलियों के संपर्क में था और परिवार को अलविदा कहकर चला गया, जो पिछले करीब दो माह से वापस लौटकर नही आया है।

हीरसिंह के दलम में चले जाने की बात को भले ही परिजनो ने स्वीकार कर लिया हो लेकिन इधर पुलिस अधिक्षक अभिषेक तिवारी इस विषय पर अस्पष्ठता जाहिर की है। एसपी तिवारी ने कहा कि वे इस मामले की अंतिम तह तक जायेगें और जो भी जानकारी आयेगी, उस आधार पर अपना अधिकारिक तौर पर ब्यान देगें।  

इनका कहना है

दो माह हो चुका है हीरसिंह पुषाम नक्सली दलम में शामिल हो चुका है। जिसकी चर्चा पूरे पंचायत क्षेत्र में है और जानकारी पुलिस को भी है। लेकिन डर के मारे कोई बता नही रहा है।
शिवकुमार बोरकर, ग्राम प्रधान
ग्राम पंचायत देवरबेली।