प्रदेश में सरकारी जमीन की जांच के लिए राजस्व विभाग ड्रोन कैमरे का सहारा लेगा

प्रदेश में सरकारी जमीन की जांच के लिए राजस्व विभाग ड्रोन कैमरे का सहारा लेगा

ग्वालियर
प्रदेश में सरकारी जमीन पर काबिज हो चुके ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की कब्जे वाली संपत्ति की जांच के लिए राजस्व विभाग अब ड्रोन कैमरे का सहारा लेगा। इस कैमरे के माध्यम से सरकारी जमीन के वास्तविक नक्शे बनाए जा सकेंगे और सरकार को रिक्त और आबाद भूमि की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा।

राज्य में दो हजार वर्ग किमी से अधिक की आबादी भूमि पर लोगों का कब्जा है। यह जमीन ग्रामीण क्षेत्रों में नदी-नालों, सड़कों, तालाबों के किनारे की है जो सरकारी है। सालों से यहां रह रहे लोगों को सरकार अब हटाने के बजाय उन्हें जमीन का भू अधिकार प्रमाण पत्र देती है। प्रदेश में सैकड़ों ऐसे आबादी वाले गांव हैं जिनका नक्शा मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं इनकी जानकारी राजस्व रिकार्ड में भी नहीं है। इसलिए सरकार को यहां बसे लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ अन्य प्रशासकीय कार्यों में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए अब विभाग ड्रोन कैमरों के सहारे आबादी वाले गांवों का नक्शा बनाने की तैयारी कर रहा है।

आबाद ग्रामों के नक्शे और राजस्व रिकार्ड में रहवासियों की एंट्री के लिए ड्रोन कैमरों से नक्शे तैयार कराने का काम श्योपुर जिले से शुरू किया जाने वाला है। अभी तक सेटेलाइट इमेज से काम होता रहा है पर उसमें ग्राम की वास्तविक स्थिति सामने नहीं आती है। ड्रोन कैमरे से सड़क, खेत, बाग-बगीचे, नदी, नाले और मकानों की स्थिति साफ दिखाई दे सकेगी। इसके बाद ड्रोन कैमरे से ली गई इमेज के आधार पर पटवारी मौके पर जाकर संबंधित मकान में रहने वाले लोगों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज कर सकेंगे।