यहां नरभक्षी बाघ का आतंक, घर से घसीट कर ले जाता है जंगल

यहां नरभक्षी बाघ का आतंक, घर से घसीट कर ले जाता है जंगल

कांकेर
 छत्तीसगढ़ और गढ़चिरौली के सीमा से लगे जंगलों में नरभक्षी बाघ ने चंद्रपुर के ग्रामीण नरेश मूले पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल है। उसका अस्पताल में इलाज जारी है। इसके पहले दो ग्रामीणों को अपना शिकार बना चुके नरभक्षी बाघ ने आसपास के कई गांव में दर्जनभर मवेशियों को भी शिकार कर मार डाला। इस इलाके में वन विभाग के 150 अधिकारी कर्मचारी तैनात हैं, जो बाघ को जीवित पकड़ने के लिए जाल बिछाए हैं। मगर बाघ सबको चकमा देकर लगातार रघुनाथपुर, अमरावती, सावरगांव, धवनगांव आदि से लगे जंगलों में घूम रहा है।

वन विभाग के कर्मी फिंजरा, जाल, रस्सा और बेहोश करने का इंजेक्शन लेकर तैनात हैं। मगर बाघ भी वन विभाग के पहुंच से बाहर है। जिस तरह इसका आतंक बढ़ता जा रहा, डरे हुए ग्रामीण रात में निकलना छोड़ दिए हैं जबकि रघुनाथपुर नरभक्षी बाघ एक ग्रामीण को घर से निकालकर भी अपना शिकार बना चुका है।


ग्राम रघुनाथपुर के राजेंद्र निमकर और अंजन सिंघी के मोरेश्वर चालके को बाघ ने अपना शिकार बनाया था, जिसमें मोरेश्वर के घर में घुसकर बाघ घसीटते हुए जंगल ले गया। टुकड़ों में क्षत-विक्षत लाश मिलने के बाद इस क्षेत्र के ग्रामीण खुद को अपने घरों में सुरक्षति नहीं मान रहे हैं।

हालांकि इलाके में वन विभाग के शार्प शूटर भी तैनात है मगर महाराष्ट्र के प्रमुख प्रधान वन संरक्षक के बाघ को बेहोश कर पकड़ने का आदेश दिया है। जिसके चलते बेहोशी का इंजेक्शन लेकर बाघ के दिखने का इंतजार किया जा रहा है।

यह बाघ मानसिक रूप से विचलित है और लगातार अपनी टेरेटीरी बदल रहा है। जंगलों में सीसी टीवी कैमरे भी लगाए गए हैं और मचान बनाकर वन कर्मी लैस होकर बैठे हैं। कोशिश जारी है और जल्द ही नरभक्षी बाघ काबू में होगा। - राजेंद्र बोड़े, सहायक वन संरक्षक