जल संकट से उबरने की नई दिल्ली ने दिखाई राह

जल संकट से उबरने की नई दिल्ली ने दिखाई राह

 नई दिल्ली
नीति आयोग ने चेतावनी दी है कि 2020 तक दिल्ली का भूमिगत जल खत्म हो सकता है। ऊपर से तेजी से गर्मी का मौसम करीब आ रहा है। फिर भी नई दिल्ली को छोड़कर दिल्ली के जिलों ने बारिश के पानी को जमा करने के लिए कोई कारगर पहल नहीं की है। इस दिशा में नई दिल्ली की पहल सराहनीय है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की हालिया एक स्टडी में सामने आया है कि नई दिल्ली में जलस्तर में बेहतरी हुई है। इसका श्रेय नई दिल्ली जिले में बारिश के पानी को जमा करने के लिए की गई व्यवस्था को दिया गया है। इससे साफ संकेत मिला है कि राजधानी में बारिश के पानी का उचित उपयोग किया जा सकता है। उसे संग्रह किया जा सकता है जिससे जलस्तर को सुधारने में मदद मिलेगी। 
 
नई दिल्ली एकमात्र जिला जहां सुधरी हालत
नई दिल्ली एकमात्र ऐसा जिला है जहां भूमिगत जल की स्थिति 'सकारात्मक' है। 2004 में यहां भूमिगत जल का स्तर 171 फीसदी था जो 2009 में 99 फीसदी हो गया है। स्टडी में शामिल शोधकर्ता और डीयू के भूविज्ञान विभाग के शशांक शेखर ने बताया, 'जब आंकड़ा 100 फीसदी से ज्यादा होता है तो इसका मतलब है कि जमीन से पानी ज्यादा निकल रहा है और उसकी भरपाई कम हो रही है। इसका 100 फीसदी के नीचे रहना अच्छा संकेत होता है।' 

वर्षा जलसंग्रहण की सुविधा ने बदली हालत
शेखर ने बताया कि नई दिल्ली जिले में बड़ी संख्या में सरकारी इमारतें हैं। उनमें से ज्यादातर का आकार 500 वर्गमीटर से ज्यादा है। इसलिए वहां वर्षा जलसंग्रहण प्रणाली का होना अनिवार्य किया जा गया है। अन्य इमारतों में भी इस प्रणाली को स्थापित किया गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि काफी कंक्रीट वाला इलाके होने के बावजूद वहां ज्यादा से ज्यादा पानी जमीन के नीचे जमा हुआ है। शेखर ने बताया, 'अगर आप 2014 के आंकड़े को देखें और उसका मुकाबला 2004 के आंकड़ों से करें तो पता चलेगा कि नई दिल्ली क्षेत्र में जलस्तर बढ़ रहा है। यह इस बात की मिसाल है कि कैसे वर्षाजल संग्रहण भूमिगत जल की भरपाई कर सकता है।'