पहले बाढ किसानों की कमर, ब्लास्टर और माहू से तबाह हुई धान की फसल

पहले बाढ किसानों की कमर, ब्लास्टर और माहू से तबाह हुई धान की फसल

किसानो के दुख: दर्द का मुआवजे से समझौता बेहद जरूरी

rafi ahmad ansari बालाघाट। पिछले कई वर्षो की तुलना पर इस वर्ष जिले के किसान बेहद चिन्तित और परेशान है और इसकी मुख्य वजह है फसलो की तबाही। किसान धरती का सीना चीर करके मेहनत,मशक्कत कर अन्न उगाता है, लेकिन जब प्रकृति का कहर बरसता है और उसकी फसले तबाह हो जाती है तो उसकी आशाओ पर पानी फिर जाता है। ऐसा ही हुआ है कि इस बार किसानो के साथ, जहां तेज तुफानी बारिश और बाढ ने किसानो की फसलो को तबाह करके रख दिया है जहा किसानो को खाने के लाले तक पड सकते है। लेकिन जिन किसानो क0की फसल बारिश और बाढ की चपेट से बच गई, उन फसलो पर विभिन्न प्रकार की बिमारीयों का साया बढ गया है। जहां अधिकांश किसानो की धान की फसल अब बलास्टर और माहू नामक बिमारी का संक्रमण बढने लगा है। जहां धान के पौधो पर माहू नामक बिमारी के कीडो की संख्या बढने लगी है। जिससे किसानो को काफी नुकसान होने की आंशका भी बढ गई है। ऐसी स्थिति में किसान करें भी तो क्या करें, जैसे जैसे मौसम करवट लेता है वैसे वैस इस बिमारी का संक्रमण बढता जाता है, जिससे पिडित किसान हाथ पर हाथ धरे बेहद उदास और चिन्तित बैठे है। किसानो ने बताया है विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान की फसल खराब होने का आंकडा बढ गया है। पहले तेज बारिश और बाढ से कुछ हिस्सो की फसलो को चौपट कर दिया, लेकिन जो सुरक्षित बची हुई थी उस पर बिमारीयों का हमला हो चुका है। किटनाशक और रासायनिक दवायें भी बेअसर साबित हो रही है। किसान फसलो की बिगडती स्थिति को देखते हुए क्षमता के अनुसार जैविक खाद , रासायनिक एंव किटनाषक दवाओ का उपयोग तो कर रहे है, लेकिन खराब मौसम फसलो पर बिमारियो को निमंत्रण दे रहा है, जिससे धान की फसल खराब हो चुकी है। इस वर्ष किसानो का दुख दर्द समझता बेहद जरूर है। चारो ओर से किसान प्राकृतिक आपदा से नष्ट हुई फसलो का सरकार से समर्थन मूल्य पर मुआवजा मांग रहे है लेकिन किसानो की इस पीडा पर अब तक सरकार का कोई ध्यान नही है। पहले तेज बारिश और बाढ से धान की फसल पर बर्बाद हो गई और अब माहू,ब्लास्टर जैसे कई बिमारीयों का प्रकोप बढ रहा है जिससे किसानो की 50 प्रतिषत फसल खराब होने की कगार पर है।