सतना में जातीय गणित हाबी, ग्रामीण मतदाताओं पर दारोमदार

सतना में जातीय गणित हाबी, ग्रामीण मतदाताओं पर दारोमदार
सतना, विन्ध्य क्षेत्र का सतना प्रमुख राजनैतिक केंद्र माना जाता है। लोकसभा सीट सतना में 20 साल से कब्जा जमाए भाजपा को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों ने मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। सांसद गणेश सिंह अपने 15 साल के कार्यकाल को सफल बताते हुए सतना को दिए सौगातों के आधार पर वोट मांग रहे हैं तो कांग्रेस के राजाराम त्रिपाठी सांसद की नकामियां गिना रहे हैं। वहीं, बसपा के अच्छेलाल कुशवाहा जातीय और परंपरागत वोटों के गणित में हैं। जिले के 78 फीसदी ग्रामीण मतदाता चुनाव की दिशा तय करेंगे। लंबी लड़ाई लड़ने पर बाण सागर का पानी मिला। लेकिन, नागौद और मैहर विधानसभा क्षेत्र में बरगी के पानी की डिमांड है। मेडिकल कॉलेज के लिए राज्य सरकार ने मंजूरी परंतु अब तक शुरू नहीं हो पाया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं। आदिवासी बाहुल्य इलाकों स्वास्थ्य जागरूकता की बेहद कमी है। जिले की 78 फीसदी आबादी ग्रामीण है। रोजगार गारंटी योजना को जिले में फेलुअर माना जा रहा है। तालाबों का संरक्षण नहीं होने से सिंचाई और पशुओं के लिए पानी नहीं मिल रहा। 15 साल से सांसद हूं। सतना के विकास में ही जुटा रहा। सदन में मेरी सक्रियता इसी से जानी जा सकती है कि उपस्थिति 88 प्रतिशत रही। 145 बहस में हिस्सा लिया और 386 सवाल किए। मेरे कार्यकाल को देखते हुए फेम इंडिया ने 2019 का सर्वश्रेष्ठ सांसद का खिताब से नवाजा। फिर मैदान में हूं। मौका मिला तो सतना को स्मार्ट सिटी बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों मे बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने में फोकस रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी अंडर करंट मेरी जीत का माध्यम बनेगा। मैहर और नागौद के लोगों को नर्मदा का पानी उपलब्ध कराना मेरी प्राथमिकता में है। बरगी डेम से आने वाले इस पानी के लिए प्रोजेक्ट तैयार होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को रोकना और सतना के लोगों को फैक्ट्रियों में रोजगार दिलाने के लिए संघर्ष होगा। भाजपा से मुझे कोई चुनौती नहीं है। जनता जान गई है कि सांसद ने सतना के लिए कुछ भी नहीं किया। मेडिकल कॉलेज का सिर्फ हऊआ है। सतना की जनता परिवर्तन देख रही है।