पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा

पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
पीएम मोदी का कांग्रेस पर निशाना, आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मध्यप्रदेश की राजधानी में जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शामिल हुए। पीएम मोदी ने यहां अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर आजादी के बाद की सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों को अंधेरे में रखा। आदिवासियों की समृद्ध विरासत के बारे में देश को नहीं बताया। इससे पहले मोदी ने सम्मेलन में आए लाखों आदिवासियों का उन्हीं की बोली में स्वागत करते हुए कहा- हूं तमारो स्वागत करूं। जोहार मध्यप्रदेश। उन्होंने आदिवासियों को एक मिनट तक उन्हीं की बोली में संबोधित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है। इससे पहले मंच पर प्रधानमंत्री के स्वागत में उन्हें जनजातीय वेशभूषा पहनाई गई। आदिवासी वर्ग के नेताओं ने उन्हें झाबुआ से लाई गई पारंपरिक जैकेट और डिंडोरी का साफा पहनाया। स्वागत के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने उनके पैर छूने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री ने उन्हें रोक दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरा ये अनुभव रहा है कि जीवन के महत्वपूर्ण कालखंड को मैंने आदिवासियों के बीच बिताया है। जीवन जीने का कारण, जीवन जीने के इरादे को आदिवासी परंपरा बखूबी प्रस्तुत करती है। उनके नृत्य संगीत संदेश देते है। मैंने उनको समझने का प्रयास किया। पीएम ने एक गीत के भावों को इस तरह व्यक्त किया- शरीर चार दिनों का है। अंत में मिट्‌टी में मिल जाएगा। खाना-पीना खूब किया। मौज मस्ती में उमर बिता दी। जीवन सफल नहीं किया। अपने जीवन में लड़ाई झगड़ा खूब किया। घर में उत्पाद भी किया। जब अंत समय आया तो मन में पछताना व्यर्थ है। धरती खेत खलियान किसी के नहीं हैं। अपने मन में गुमान करना व्यर्थ है। यह धन दौलत कोई काम के नहीं है। इसे यहीं छोड़कर जाना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवराज सरकार आदिवासी समाज के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन जैसी योजना से आदिवासियों का कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि अब जब गांव में आपके घर के पास सस्ता राशन पहुंचेगा तो आपका समय भी बचेगा और अतिरिक्त खर्च से भी मुक्ति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि मध्यप्रदेश में जनजातीय परिवारों में तेजी से मुफ्त टीकाकरण भी हो रहा है। दुनिया के पढ़े-लिखे देश में भी टीकाकरण पर सवालिया निशान लगाने को लेकर भी खबरें आती हैं, लेकिन मेरे आदिवासी भाई-बहन टीकाकरण के महत्व को समझते हैं। पढ़े-लिखे लोगों को आदिवासियों से सीखना चाहिए।

रानी कमलापति का बलिदान देश नहीं भूल सकता

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज यहां भोपाल आने से पहले रांची में बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। आजादी के नायकों की वीर गाथाएं देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ मीजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गौंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की परिकल्पना भील बहादुरों के बिना नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जनजातीय सम्मेलन पर कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है। देश को अंधेरे में रखा गया। और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। आजादी के बाद इतने दशक तक सरकार चलाने वालों ने अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी। मोदी ने कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने वहां पर जनजातीय समाज में बदलाव के लिए बहुत सारे अभियान शुरू किए। जब देश ने मुझे 2014 में आपकी सेवा का मौका दिया तो मैंने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। आज सही मायने में आदिवासी समाज को देश के विकास में भागीदारी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। या बहुत कम थी। आदिवासी सृजन को बाजार से नहीं जोड़ा गया। पहले की सरकारें सिर्फ 8-10 वन उपज पर एमएसपी दिया करती थीं। आज हमारी सरकार 90 पर दे रही है। हमारी सरकार ने जंगल को लेकर भी संवेदनशील कदम उठाए। राज्य में 20 लाख जमीन के पट्‌टे देकर जनजातीय भाइयों की चिंता दूर की। आदिवासी और शिक्षा पर भी बल दे रही है।

हर साल मनाई जाएगी भगवान बिरसा मुंडा जयंती

जनजातीय समाज के बच्चों को एक बहुत बढ़ी दिक्कत भाषा की भी होती थी, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में होगी। इसका लाभ हमारे बच्चों को मिलना तय है। जनजाति समाज के आत्मविश्वास के लिए, अधिकार के लिए हम दिन-रात मेहनत करेंगे। हम इस संकल्प को फिर दोहरा रहे हैं कि जैसे हम गांधी जयंती मनाते हैं, सरदार पटेल की जयंती मनाते हैं, वैसे ही भगवान बिरसा मुंडा की जयंती हर साल जनजातीय गौरव दिवस के रूप में पूरे देश में मनाई जाएगी।