रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में दो दर्जन से ज्यादा तेंदुआ

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में दो दर्जन से ज्यादा तेंदुआ

सामान्य वन मंडल में भी अच्छी खासी तादाद

भोपाल। वर्तमान में दमोह सागर जिले में फैले टाइगर रिजर्व या सामान्य वनों में इनकी उपस्थिति की बात करे तो इनकी संख्या आज भी काफी है। नौरादेही के साथ तेंदूखेड़ा अनुविभाग की रेंजों में भी इनके होने की पुष्टी है। वहीं टाइगर रिजर्व में शाकाहारी जानवरों की संख्या बढ़ाने के लिए दूसरे पार्क और अभयारण्य से शाकाहारी जानवर लगातार यहां लाए जा रहे हैं।
तेंदुआ ऐसा जानवर है जिसका रहवास का कोई क्षेत्र या ठिकाना नहीं होता। ये काफी बलशाली प्राणी होता है। वजन भी इसका 60 से 70 किलो का रहता है और ताकत के मामले में इसकी फुर्ती काफी तेज होती है। यह 36 फीट लंबी छलांग लगा सकता है। तेंदुए का अधिकांश रहवास लंबी गुफाएं और पेड़ों पर होता है। यह बड़े जानवरों का शिकार करने में सक्षम नहीं होता, इसलिये हमेशा छोटे जानवर या मवेशियों के बच्चे हमेशा इसकी नजर में रहते हैं। तेंदुआ अपना शिकार करने के बाद जानवर के शरीर को पेड़ पर ले जाता है और वहीं अपना पेट भरता है।

 बाघ के पहले नोरादेही में तेंदुओं का बोलबाला था

टाइगर रिजर्व में भी तेंदुआ हैं और दमोह जिले के जिस भाग को टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है, वहां का राजा वर्तमान समय में तेंदुआ है। वहीं दूसरी तरफ यदि नौरादेही अभयारण्य में तेंदुआ की मौजूदगी की पुष्टि करें तो 2018 तक इनकी संख्या नोरादेही में दो दर्जन के करीब थी। ये कभी कभी नोरादेही के अधिकारियों को अपने बच्चों के साथ भी दिखाई दिये तो कभी पेड़ों पर सोते समय कैमरों में कैद हुये हैं। बाघ के पहले नोरादेही में तेंदुओं का बोलबाला था, लेकिन बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी के कारण तेंदुए का बोलबाला काफी कम हो गया है, क्योंकि तेंदुआ बाघ से काफी डरता है। इसलिये जिस क्षेत्र में बाघ का ठिकाना होता है वहां से तेंदुआ भय के कारण दूसरे स्थानों पर चला जाता है।

नोरादेही अभयारण्य में भी तेंदुआ, बाघों की अपेक्षा संख्या में ज्यादा 

सामान्य वन के आलवा नोरादेही अभयारण्य में भी तेंदुआ, बाघों की अपेक्षा संख्या में ज्यादा है, लेकिन बाघों की तरइ इनकी गणना या देखरेख नहीं होती। वर्ष 2022 में तत्कालीन डीएफओ ने बताया था कि नोरादेही में तेंदुआ हैं, जिनकी संख्या दो दर्जन से ज्यादा है, लेकिन बाघों से तेंदुआ भय खाता है। इसलिये जहां बाघ होता है वहां से तेंदुआ भाग जाता है। मध्यप्रदेश में अभी कुछ दिन पहले तेंदुओं का सर्वें किया गया है, जिसमें पूर्व की अपेक्षा अब तेंदुआ की संख्या दोगुनी हो गई।

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