आगामी मानसून में बाढ़ आदि नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने आवश्यक व्यवस्था करने अधिकारियों को निर्देश

आगामी मानसून में बाढ़ आदि नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने आवश्यक व्यवस्था करने अधिकारियों को निर्देश

रायपुर
प्रदेश में बाढ़ आदि नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक मंत्रालय महानदी भवन में अपर मुख्य सचिव वित्त अमिताभ जैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में आगामी मानसून में बाढ़ एवं वर्षा से उत्पन्न विपत्तियों की तैयारियों के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में राज्य एवं जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष सहित आपदा प्रबंधन के लिए कार्ययोजना के संबंध में विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। कार्ययोजना के तहत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को उत्तरदायित्व दिए गए है। बैठक में राज्य शासन के राजस्व विभाग की सचिव सुरीता शांडिल्य ने बताया कि बाढ़ एवं नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने के लिए राज्य स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना कर दी गई है और इसके लिए नोडल अधिकारी भी बनाए गए है। इसी तरह से राज्य के सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए है।

बैठक में बाढ़ आदि नैसर्गिक विपत्तियों से निपटने हेतु विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी तय की गई है। इसमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को पहुंचविहीन क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति में जहां पहुंच पाना संभव नहीं होता है वहां पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, नमक, केरोसिन, जीवन रक्षक दवाएं आदि पहले से ही संग्रहित करने की जिम्मेदारी दी गई है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पेयजल की शुद्धता एवं स्वच्छता को दृष्टिगत रखते हुए कुओं, हैण्डपंप और अन्य पेयजल स्त्रोतों के लिए बिलिचिंग पाउडर इत्यादि की व्यवस्था की जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहां प्रतिवर्ष बाढ़ आती है इन क्षेत्रों में सत्त निगरानी रखने की विशेष व्यवस्था की जाएगी और आवश्यकता पड?े पर ऐसे क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने एवं उन्हें ठहरने के लिए कैम्प आदि की सम्पूर्ण कार्ययोजना तैयार कर आवश्यक कार्यवाही करने की जिम्मेदारी दी गई है।

नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे बाढ़ से बचाव संबंधित जो भी उपकरण जिलों में उपलब्ध है उनकी दुरस्ती करायें और मोटर बोर्ड उपलब्ध करायें। इन सब की जानकारी शीघ्र की राहत आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है। नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा के अधिकारियों को यदि बाढ़ आपदा राहत के लिए यदि नगर सेना के जवानों को प्रशिक्षण की जरूरत है तो उन्हें तत्काल प्रशिक्षण दिया जाए। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को नगरीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति आवश्यक व्यवस्थाएं करने की जिम्मेदारी दी गई है। नगरीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति नाले व नालियों के अवरूद्ध होने के कारण होती है। इस संबंध में नगरीय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे अपने संबंधित नगर निगम और नगरपालिका या नगर पंचायत के अंतर्गत शहर के तमाम नाले व नालियों की निरंतर साफ-सफाई करवायें। नगरीय क्षेत्र में जर्जर भवनों की पहचान कर आवश्यकतानुसार मानसून के दौरान भवनों की निगरानी करें तथा उन मकानों में निवासरत परिवारों को अन्यत्र बसाये जाने की व्यवस्था करें।

जल संसाधन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि जिन जिलों में बड़ी नदियां बहती है वहां पर नदी के जल स्तर पर बराबर नजर रखी जाये और जल स्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की संभावना होने पर इसकी पूर्व सूचना राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम को दी जाये। निचले स्थानों के जिलों को लगातार जल स्तर की स्थिति की जानकारी लगातार दी जाए। इसी तरह से जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को बड़े जलाशयों पर कंट्रोल रूम स्थापित कर जल स्तर की जानकारी समय-समय पर शासन को देने के निर्देश दिए गए है। जलाशयों से जल छोड?े पर विशेष ध्यान रखने और बांधों का जल स्तर बढ?े पर जल निकासी हेतु निचले जिलों और सीमावर्ती राज्यों को 12 घंटे पूर्व आवश्यक रूप से सूचना दी जाए। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वे शीघ्र ही राज्य के विभिन्न जिलों में कमजोर हो चुके पुल-पुलियों एवं इमारतों की पहचान कर मरम्मत कराए साथ ही बाढ़ के समय दुर्घटना जन्य स्थानों पर बेरियर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की जिम्मेदारी यह होगी कि बाढ़ की स्थिति में संक्रामक बीमारियों की संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा दल का गठन कर आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

वन विभाग की जिम्मेदारी तय की गई है कि बाढ़ से प्रभावित व्यक्तियों के मकान क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में बांस एवं बल्ली की व्यवस्था सुनिश्चित करें। ऐसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के नजदीकी विभागीय डिपो में पर्याप्त मात्रा में पहले से ही बांस बल्ली का भंडारण कर लिया जाए। कृषि विभाग के अधिकारियों को मानसून के दौरान किसानों को खाद एवं बीज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह से जिला स्तरीय विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि बाढ़ राहत शिविरों में कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण से बचाव और रोकथाम के लिए शिविरों में रखे जाने वाले व्यक्तियों में दो गज की दूरी, सेनेटाइजर एवं मास्क आदि की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सचिव श्रीमति निहारिका बारिक सिंह, नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग की सचिव सुअलरमेल मंगई डी., खाद्य विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।