मध्यप्रदेश में फेल हुआ कांग्रेस का मिशन, कागजी साबित हुआ सेटअप..

मध्यप्रदेश में फेल हुआ कांग्रेस का मिशन, कागजी साबित हुआ सेटअप..

भोपाल
 विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में सेवादल संगठन को रिफॉर्म करने का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रयोग फेल हो गया है। आरएसएस की तर्ज पर संगठन को खड़ा करने के प्रयास हुए थे लेकिन पूरा प्रयास कागजी ही रहा।

सेवादल संगठन कांग्रेस की रीड़ माना जाता है, इसलिए इस संगठन को नए सिरे से खड़ा करने के लिए अलग सेटअप तैयार किया गया। यहां तक की इसे कांग्रेस संगठन के सामान्तर खड़ा करने की कोशिश हुई। सेवादल के प्रति लोग आकर्षित हों, इसलिए इसका ड्रेस कोड भी बदला गया। यही नहीं युवा और महिला विंग अलग से बनी।

हालांकि नए सिरे से ढांचा खड़ा होने पर सेवादल ने सक्रियता दिखाई। आमजन में घुसपैठ बनाने के लिए संगठन ने प्रदेशभर में कार्यक्रम भी आयोजित किए, लेकिन चुनाव में सेवादल उपेक्षित ही रहा। वहीं, संगठन चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभााने की बात करता है।

विधानसभा चुनाव में मांगे थे 10 टिकट

चुनाव में सेवादल ने संगठन कोटे से 10 टिकट मांग थे। इनमें बुदनी के साथ जबलपुर की पनागर, मेहगांव, विदिशा, टीकमगढ़, घट्टिया सीट शामिल हैं। बुदनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदान में थे। लिहाजा, कांग्रेस ने सेवादल की मांग को नजर अंदाज कर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव पर भरोसा किया।

सेवादल का ऐसा दावा

सेवादल ने पूरे प्रदेश को पांच भागों में बांटकर प्रभारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में मोर्चा संभाला। 

प्रदेश की एक-एक विधानसभा का दौरा किया गया। इसके लिए राज्य की हर विधानसभा सीट पर दो-दो प्रभारी नियुक्त किए गए थे।

संगठन के जिला अध्यक्ष भी सक्रिय रहे। सेवादल प्रदाधिकारियों ने विभिन्न विधानसभाओं में चुनावी सभाएं कर कांगे्रस पार्टी के लिए वोट मांगे।

यह सही है सेवादल कोटे से किसी को टिकट नहीं मिला। फिर भी सेवादल ने पूरी तत्परता से काम किया। उपेक्षा के बाद भी संगठन चुनाव में सक्रिय रहा। हम अभी भी तत्परता से काम कर रहे हैं।

- योगेश यादव, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश कांग्रेस सेवादल