राजीविका द्वारा आयोजित सुमंगल दीपावली मेले का समापन समारोह संपन्न

राजीविका द्वारा आयोजित सुमंगल दीपावली मेले का समापन समारोह संपन्न

जयपुर। राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका), ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आयोजित सुमंगल दीपावली मेला 2025 का रविवार को समापन समारोह इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान, जवाहर लाल नेहरू मार्ग, जयपुर में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता परियोजना निदेशक (प्रशासन) श्रीमती प्रीति सिंह ने की। इस अवसर पर ज़िला परियोजना प्रबंधक, जयपुर, तथा राजीविका के अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्य उपस्थित रहीं।
स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों ने राजीविका के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राजीविका ने उन्हें अपने हुनर को प्रदर्शित करने और आर्थिक रूप से सशक्त बनने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान किया। कई महिलाओं ने साझा किया कि वे पहली बार मेले में शामिल हुईं और उनके लिए इस वर्ष की दीपावली विशेष और रंगीन बन गई है क्योंकि उनके उत्पादों की बिक्री ने उन्हें आत्मनिर्भरता और खुशहाली की नई अनुभूति दी।
ज़िला परियोजना प्रबंधक, जयपुर ने अपने संबोधन में कहा कि “कई महिलाएं पहली बार मेले में शामिल हुई हैं और अपनी मेहनत से कमाई कर प्रसन्न हैं। महिलाएं एक-दूसरे की प्रेरणा स्रोत बन रही हैं। जीवन का उद्देश्य आनंद है और यह मेला उस दिशा में पहला कदम है जो उन्हें नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।”

मेले में सक्रिय भागीदारी करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही सर्वश्रेष्ठ बिक्री उत्पाद और फूड स्टॉल श्रेणियों में पुरस्कार भी वितरित किए गए।

सर्वश्रेष्ठ विक्रेता श्रेणी में प्रथम पुरस्कार गोविंग स्वयं सहायता समूह, जयपुर (ब्लू पॉटरी) को द्वितीय पुरस्कार चामुंडा स्वयं सहायता समूह, बाड़मेर (कशीदाकारी उत्पाद), और तृतीय पुरस्कार गणेश स्वयं सहायता समूह, जयपुर (बगरू प्रिंट उत्पाद) की मिला। इसी प्रकार फूड स्टॉल श्रेणी में प्रथम पुरस्कार जय बजरंग बली स्वयं सहायता समूह, सीकर (राजस्थानी व्यंजन)
द्वितीय पुरस्कार सरस्वती स्वयं सहायता समूह, सवाई माधोपुर और तृतीय पुरस्कार पापलाज माता स्वयं सहायता समूह, जयपुर को मिला।

इस वर्ष के मेले में पारंपरिक उत्पाद, शिल्प, परिधान, त्योहारी उपहार और खाद्य सामग्री विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। ब्लू पॉटरी, टेराकोटा और ब्लैक पॉटरी जैसी पारंपरिक मिट्टी शिल्पकला, बांधणी–अज्रक प्रिंट, ऊनी शॉल-जैकेट, एप्लिक सूट, जूट उत्पाद तथा मंडला, मंडना और पिचवाई जैसी लोक चित्रकलाएं प्रदर्शनी में प्रमुख रहीं। साथ ही त्योहारी उपहार हैम्पर्स ने पारंपरिक कला, आधुनिक साज-सज्जा और ग्रामीण सृजनशीलता का अनूठा संगम प्रस्तुत किया।

मेले में रिकॉर्ड एक करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री हुई, जो स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की बढ़ती लोकप्रियता और उनके उत्पादों की उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है। मेले के दौरान विभिन्न जिलों से आई महिला उद्यमियों ने अपने उत्पादों का सफल प्रदर्शन एवं विक्रय कर आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय कदम बढ़ाए। यह मेला न केवल ग्रामीण महिला उद्यमिता का उत्सव रहा, बल्कि आत्मनिर्भरता, परंपरा और नवाचार की नई उड़ान का प्रेरक मंच भी बना।