बाफना हॉस्पिटल की इमारत को नीलाम करेगा स्टेट बैंक !

इंदौर,  गंगवाल बस स्टैंड से लगी इमारत में बाफना हॉस्पिटल शुरू होना था, जो कुछ कारणों से अटक गया है। अस्पताल संचालक पर 54 करोड़ का लोन है, जिसे न चुकाने पर बैंक कब्जा लेकर नीलाम करना चाहती है। चूंकि जमीन हाउसिंग बोर्ड की है, जिसके आपत्ति लेने पर मुश्किल खड़ी हो गई है। मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने एमओजी लाइन गंगवाल बस स्टैंड से लगी जमीन 2003 में बाफना हॉस्पिटल एवं ऑर्थोपेडिक रिसर्च सेंटर को लीज पर दी थी। संचालक डॉ. अनिल जैन व सृष्टि जैन ने इमारत बनवाकर अस्पताल खोलने की तैयारी कर ली थी। भारतीय स्टैट बैंक (एसबीआई) से लोन भी लिया था। लोन न चुकाने पर नवंबर 2017 को बैंक ने सरफेसी एक्ट में भवन पर कब्जा दिलाने के लिए कलेक्टर निशांत वरवड़े की अदालत में आवेदन किया। बैंक ने 53 करोड़ 82 लाख रुपए लेना बताया। इसको लेकर कलेक्टर की अदालत ने सभी को नोटिस जारी किया। इस पर हाउसिंग बोर्ड ने आपत्ति दर्ज करा दी। हाउसिंग बोर्ड की आपत्ति ने उलझाए एसबीआई के करोड़ों रुपए  उपायुक्त यशवंत कुमार दोहरे का कहना था कि बाफना हॉस्पिटल एंड ऑर्थो रिसर्च सेंटर को प्लॉट ३० साल के लिए लीज पर दिया था। लीज अवधि २७ नवंबर २०३३ को समाप्त होगी। संपत्ति लीज पर आवंटित है और वास्तविक मालिक शासन है। लीज की संपत्ति का विक्रय करने के सभी अधिकार मंडल के पास ही सुरक्षित हैं। एसबीआई ने अस्पताल को कब्जे के लिए नोटिस दिया है। इसे वर्तमान में स्थगित रखने के लिए कार्रवाई की जाए। इस मामले में बोर्ड हाई कोर्ट जाएगा। बोर्ड की आपत्ति पर बैंक के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है, क्योंकि 54 करोड़ की राशि काफी ज्यादा है। निकाला जा रहा रास्ता बोर्ड की राय आने के बाद बैंक को बचाने के लिए अब रास्ता निकाला जा रहा है। मानना है कि बोर्ड ने अस्पताल के लिए जमीन लीज पर दी थी, जो २०३३ तक है। नीलामी में लीज पर दिए जाने की बात ही कही जाएगी, ताकि संपत्ति बिक जाए और खरीदने वाला लीज पर ही रहे। लीज भविष्य में ट्रांसफर कर दी जाएगी। इसमें मालिक हाउसिंग बोर्ड ही रहेगा। संभावना है कि उसी आधार पर कलेक्टर ही केस का फैसला दे सकते हैं।