यह रज़ा साहब को मरणोत्तर जीवन देने की कोशिश है - अशोक वाजपेयी

यह रज़ा साहब को मरणोत्तर जीवन देने की कोशिश है - अशोक वाजपेयी
यह रज़ा साहब को मरणोत्तर जीवन देने की कोशिश है - अशोक वाजपेयी

यह रज़ा साहब को मरणोत्तर जीवन देने की कोशिश है - अशोक वाजपेयी

महान चित्रकार पद्मविभूषण सैयद हैदर रज़ा की नवमीं पुण्यतिथि पर चादर पेश कर दी गई पुष्पांजलि

मंडला - बुधवार को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की 9वीं पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि दी गई। रज़ा फाउंडेशन द्वारा आयोजित रज़ा स्मृति में शामिल होने आए कवि, विभिन्न कलाकार व उनके सभी चाहने वाले स्थानीय बिंझिया स्थित कब्रिस्तान में हैदर रज़ा और उनके पिता की कब्र पर चादर चढ़ाई व पुष्प अर्पित किए। बता दे कि हैदर रज़ा का लगभग 95 वर्ष की आयु में 23 जुलाई 2016 को दिल्ली में निधन हुआ था। उनकी इच्छा के मुताबिक उनके पार्थिव शरीर को मंडला लाकर उनके वालिद की कब्र के बगल में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द ए खाक किया गया था। तब से ही रज़ा फाउंडेशन द्वारा उनकी याद में रज़ा स्मृति का आयोजन मंडला में किया जा रहा है। इसमें स्थानीय कलाकारों के साथ - साथ देश के अलग - अलग जगहों से कलाकार शामिल हो रहे है।

अपने मित्र हैदर रज़ा को पुष्पांजलि देते हुए रज़ा फॉउण्डेशन के प्रबंध न्यासी अशोक वाजपेयी कहते है कि यह सोचना हम जैसे लोगों के लिए बहुत कठिन है कि 9 वर्ष हो गए हैं। क्योंकि रज़ा साहब से जो दोस्ती थी, जो याराना था, जो नजदीकी थी, वह इतनी लंबी थी और अब उसको खत्म हुए 9 बरस बीत गए हैं। तो हम लोगों की यह कोशिश है कि रज़ा साहब भले उनका जो कायिक शरीर है, वह भले यहां दफन है, उनका जो आत्मिक शरीर है, उनका जो कलात्मक शरीर है वह तो जीवित है और उसको जीवित रखने की हम लोग थोड़ी बहुत कोशिश करते हैं। कोई जीवित तभी रह सकता है जब और कलाकार और संस्कृति कर्मी और कवि और संगीतकार और नृत्यकार उस रचनात्मकता में शामिल हो, जिसके वह बहुत बड़े प्रतीक थे। तो यह कोशिश है इसलिए हर वर्ष हम उनकी पुण्यतिथि पर 5 दिनों का आयोजन करते हैं। फरवरी में भी आयोजन करते हैं। यही कोशिश है उनको मरणोत्तर जीवन देने की और खुद उनमें ही जीवन देने की नहीं, उनके बहाने औरों को भी कलात्मक जीवन देने की कोशिश है।

काशी से राम की शक्ति पूजा का मंच व काव्य पाठ करने मंडला पहुंचे व्योमेश शुक्ल ने कहा कि रज़ा साहब का कृति व्यक्तित्व, भारतीय कलाओं, समकालीन भारतीय साहित्य और सभ्यता के दूसरे कलात्मक अनुसंगों के उत्थान में संशोधन और प्रवर्धन में बहुत काम आया है। रज़ा साहब जितने बड़े चित्रकार थे कलाओं के अभिभावक भी थे और उन्हीं के समक्ष उनकी लीला सहचर अशोक वाजपेयी जी की प्रेरणा और समर्थन से हिंदी साहित्य, रंगमंच और ललित कला की न जाने कितनी पीढ़ियों ने बदलती हुई दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सीखा है। राम की शक्ति पूजा कल मंडला में देखी गई और सराही गई। यह मेरे लिए और मेरे रंग समूह के लिए और जिस महान सभ्यता से मैं आता हूं काशी से, स्वयं काशी के लिए बहुत सौभाग्य की बात है। मैं कल कह भी रहा था कि हमने मैं गंगा जी और नर्मदा जी के जल को आपस में मिला दिया है। कुछ वैसा ही अनुभव आज यहां रज़ा साहब की समाधि स्थल पर पहुंचकर उनको अपनी श्रद्धा के फूल निवेदित करके मैं बहुत कृतज्ञ ता का अनुभव कर रहा हूं। यह जो कृतज्ञता का भाव है, जो शब्दातीत है, शब्दों में लिखकर, किताबें तैयार कर, वह कभी संपूर्ण नहीं हो सकता, मेरा ऐसा ख्याल है, जब तक आपकी पार्थिव और भौतिक उपस्थिति से सीधे-सीधे ना जुड़ जाए, आपके दिल को ठंडक नहीं मिलती। यहां आने के बाद मेरा अंतर करण जो है संपूर्ण है और यह देख पा रहा है कि मंडला की जनता सब का मरणोत्तर जीवन है उनके पार्थिव देव की मृत्यु के बाद नया जीवन शुरू हुआ है 2016 के बाद जो कलात्मक प्रसंग यहां किया जा रहे हैं उससे बहुत आंदोलित है। यह सांस्कृतिक साक्षरता का अभियान इसी तरह चलता रहे यह शुभकामनाएं।

पूर्व विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले भी रज़ा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे। उन्होंने ने कहा कि यह हमारे मंडला के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है कि इतने बड़े कलाकार, इतने बड़े कला के ज्ञानी हमारे मंडला के है। रज़ा फाउंडेशन द्वारा कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी पुण्यतिथि और जन्म तिथियां पर जो कार्यक्रम आयोजित होते हैं उसमें पूरे देश से कलाकार आते हैं। इससे स्थानीय कलाकार अपनी कला में निखारे ला सकते है। हमारे मंडला में भी एक से बढ़कर एक प्रतिभा है। यदि उन्हें सही मौका मिले तो वे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम बना सकते है।

इस दौरान रज़ा उत्सव में शामिल होने आए कवि, साहित्यकार, नृत्यकार, रंगकर्मी, कलाकारों के साथ - साथ रज़ा साहब के चाहने वाले बड़ी संख्या में उपास्थि थे। रज़ा साहब को पुष्पंजलि अर्पित करने के साथ ही 5 दिवसीय रज़ा स्मृति का भी समापन हो गया। रज़ा स्मृति 2025 के आयोजन में जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद्, मण्डला, इनर वोइस सोसाइटी, नागपुर कॉलेज ऑफ आर्ट बतौर सहयोगी शामिल थे। रज़ा फाउंडेशन के सदस्य सचिव संजीव चौबे ने रज़ा स्मृति के विभिन्न आयोजनों को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन, जिला पुलिस बल, नगर पालिका परिषद्, स्थनीय कलाकार, कला प्रेमियों, मीडियाकर्मियों सहित उन सभी लोगों के प्रति आभार ज्ञापित किया है जिन्होंने रज़ा स्मृति को सफल बनाने में एहम भूमिका का निर्वहन किया है।