प्रमोशन में आरक्षण अभी नहीं, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दिया है और साथ ही नए नियमों के क्रियान्वयन पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक किसी को भी प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जाए। सपाक्स संघ की याचिका पर एमपी हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच में सुनवाई हुई जिसके बाद हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और एक हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने 15 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
प्रमोशन में आरक्षण पर तीन याचिकाएं लगाई गई थीं
दरअसल, प्रमोशन में आरक्षण के नए नियम के खिलाफ भोपाल निवासी वेटनरी डॉक्टर स्वाति तिवारी व अन्य सहित तीन याचिकाएं लगाई गई थीं। याचिकाओं में कहा गया था कि प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में यथास्थिति के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने संशोधित नियम 2025 के तहत प्रमोशन में आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया था।
नए नियम और पुराने नियम एक सामान्य
हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। इस मामले में उन्हें बताया गया कि प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के लिए गजट नोटिफिकेशन भी दायर किया गया था। लेकिन याचिका में राहत चाही गई कि प्रमोशन में आरक्षण के नए नियम और पुराने नियम एक सामान्य हैं और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में पुराने नियमों को लेकर ही मामला लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था— क्रीमी लेयर वाले को प्रमोशन में आरक्षण नहीं
याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने एम नटराजन व जरनैल सिंह मामले में आदेश जारी किये थे कि आरक्षित वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण तब दिया जाए, जब उनके वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हो। इसके अलावा इससे किसी भी तरह की प्रशासनिक बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिए। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में आदेश दिए थे कि एससी एसटी वर्ग के क्रीमी लेयर वाले कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं प्रदान किया जाए।
सरकार के पास आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों का डाटा उपलब्ध नहीं
सुप्रीम कोर्ट में ये मामला अबतक लंबित है। दरअसल, सरकार के पास आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का डाटा उपलब्ध नहीं है। याचिका में आगे कहा गया कि पूरे नियम के अनुसार ही नए नियम की आड़ में प्रमोशन में आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। हालांकि, याचिका की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की ओर से अंडरटेकिंग दी गई कि आरक्षण प्रदान करते हुए प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन दिए जाने का आदेश मध्य प्रदेश सरकार जारी नहीं करेगी।
हाईकोर्ट ने कहा...
मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहते सरकार नहीं दे सकती प्रमोशन में आरक्षण।
राज्य सरकार ने हाल ही में बनाई थी प्रमोशन पॉलिसी, जिसके तहत 9 साल बाद मध्य प्रदेश में आरक्षण के साथ दिए जाने थे प्रमोशन।
मध्य प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता ने नए नियमों के तहत प्रमोशन नहीं करने की हाई कोर्ट में दी अंडरटेकिंग।
जून 2025 में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण के बनाए थे नियम।
तीन अलग-अलग याचिकाओं के जरिए सरकार की नीति को एमपी हाई कोर्ट में दी गई थी चुनौती, जिसपर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया है।
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