24 घंटे के लिए खुले नागचंद्रेश्वर भगवान का पट, विधि-विधान से हुआ पूजन

24 घंटे के लिए खुले नागचंद्रेश्वर भगवान का पट, विधि-विधान से हुआ पूजन

वर्ष में एक बार नागपंचमी पर्व की मध्यरात्रि 12 बजे पट खुले,लाखों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन 

Brijesh parmar
उज्जैन। सोमवार मध्य रात्रि श्री महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट साल में एक बार 24 घंटे के लिए खोले गए। पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडे के महंत विनीत गिरी ने विधि विधान से भगवान की भित्तती प्रतिमा का पूजन किया। श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की प्रतिमा के पूजन के पश्चा‍त वहीं गर्भगृह स्थित शिवलिंग का भी पूजन किया गया।करीब 3 लाख श्रद्धालुओं के दर्शन का अनुमान है।

श्रावण मास में वर्ष में एक बार नाग पंचमी के अवसर पर खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट सोमवार रात्रि खोले गए। विधि विधान से पूजन अर्चन के उपरांत दर्शनार्थियों के लिए दर्शन प्रारंभ हो गए।अखाड़ा की और से पूजन के उपरांत सामान्य श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन के लिए प्रवेश दिया गया। अखाड़ा की पूजन के दौरान मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, कृषि मंत्री कमल पटेल, मध्यप्रदेश धार्मिक मेला एवं मठ-मंदिर समिति के अध्यक्ष माखन सिंह चौहान, मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय , श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ उपस्थित थे।श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए देर शाम से ही सामान्य दर्शनार्थियों की लाईन लगना शुरू हो गई थी।
दोपहर में शासकीय तहसील की पूजा-

वर्ष में एक बार खुलने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर में मंगलवार दोपहर मध्यकाल में 12:00 बजे तहसील की शासकीय पूजा की गई ।  शासकीय  पूजन में संभागायुक्त संदीप यादव , आईजी संतोष कुमार सिंह  ,कलेक्टर आशीष सिंह  व पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल सपत्नीक शामिल हुए।  पूजन महंत  विनीत गिरी महाराज एवं अन्य पुजारियों ने करवाया। पूजन के दौरान कलेक्टर श्री सिंह द्वारा ध्वज पूजन किया गया। जिसे मंदिर के शिखर पर चढ़ाया गया ।

मशीन से चढ़ा दूध-

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा द्वार क्रमांक 4 पर श्रद्धालुओं द्वारा श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान को अर्पित करने के लिए लाए दूध-जल के लिए पात्र लगाया गया था।श्रद्धालु पात्र में दूध -जल डाल रहे है और पाइप व पम्प के माध्यम से दूध-जल को श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान को सतत रूप से अर्पित किया गया ।