विकासशील से आत्मानिर्भर होता अपना मध्यप्रदेश: स्थापना दिवस पर विशेष 

विकासशील से आत्मानिर्भर होता अपना मध्यप्रदेश: स्थापना दिवस पर विशेष 

डॉ. आनन्द प्रकाश शुक्ल

आज मध्यप्रदेश अपने स्थापना के 66वें वर्ष पर गौरवांवित और प्रफुल्लित है। मध्यप्रदेश का हर नागरिक अपने प्रदेश की अतीत की स्मृतियों के साथ अब भविष्य के नये और सुनहरे सपनों के उत्साहित होकर आत्मनिर्भरता को साकार करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश की स्थितियां प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टि से अन्य राज्यों से अलग है।

मध्यप्रदेश देश के मध्य में स्थित होने के साथ-साथ प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है। यहां की धार्मिक आस्थाएं अत्यंत प्रभावी है और यहां विभिन्न संस्कृतियों का समावेश है। यहां नर्मदा की अविरल धारा, ताप्तीश और बेतवा का पावन इतिहास, क्षिप्रा का अमृत और महाकाल का वरदान हमें गौरव प्रदान करता है। मध्यप्रदेश की सीमाएं देश के पांच राज्यों को स्पर्श करती हैं, जिसमें उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान प्रमुख हैं।

स्थापना के बाद अपनी छ: दशक की यात्रा में मध्यप्रदेश को विकास के मामले में बड़े लंबे समय का इंतजार और संघर्ष का सामना करना पड़ा है। लेकिन पिछले 15 वर्षों में मध्यप्रदेश के विकास को नई गति मिली है। अभी पिछले दो वषोज़्ं से वैश्विक महामारी कोरोना के चुनौतीपूर्ण संकट का सामना करते हुए मध्यप्रदेश ने अपने आपको बाहर निकाला है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका प्रदेश की जनभागीदारी की रही है। कठिन स्थितियों में भी मध्यप्रदेश की जनता ने अपनी धैर्यता और संयम का परिचय देकर आथिज़्क स्थिति को सुचारू रूप से बनाये रखने और सामाजिक ताने-बाने को ठीक रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कोरोना की आपदा ने यह सिखा दिया कि आने वाले समय में यदि सुखी और सुदृढ़ रहकर जीवन जीना है तो इसके लिए दूसरों पर निर्भरता समाप्तं करनी होगी। इसलिए आत्मनिर्भरता जरूरी है। यह आत्मनिर्भरता का संकल्पा व्यपक्ति हो या संस्था सभी के लिए हितकर होता है यह आज की जरूरत है। संकट की इस घड़ी में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आपदा में अवसर का मंत्र दिया और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढऩे का साहस भी दिया। मध्यप्रदेश ने इस मंत्र को आत्मसात करके आगे बढऩे का संकल्प लिया। यही कारण है कि देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया और आगामी तीन वर्षों में इसे पूरा करने का संकल्प भी लिया है। आत्मनिर्भरता का मंत्र मध्य प्रदेश के लिए सर्वोपरि है और इसे पूरा करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है।

प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह खासियत है कि उन्हों ने मुख्यमंत्री निवास पर सभी वर्ग की पंचायत बुलाईं और उनकी समस्याओं को करीब से समझा। उनसे चर्चा के पश्चात ही समस्याओं के अनुरूप योजनाओं का निर्माण कर उन्हेंर धरातल पर उतारने का काम किया है। 

प्रदेश में महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और सम्माधन के लिये योजनाएं बनी हैं। बेटी के जन्म से लेकर संपूर्ण जीवन के साथ उनके सुखद जीवन की व्यवस्था की गई है। महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। आज प्रदेश में 3 लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं, इनमें 38 लाख 10 हजार महिलायें जुड़ी हुई हैं। उनके द्वारा तैयार किए गये उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की समुचित व्यवस्था राज्य सरकार कर रही है। सरकार का लक्ष्यय है कि इस वित्तीय वर्ष में 2550 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें 600 करोड़ रुपये का ऋण उन्हें  प्रदान किया जा चुका है। 

प्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए निरंतर प्रयास किये गये हैं। एक समय था कि किसानों को 18 प्रतिशत पर ऋण मिलता था, जिसे घटाकर अब 0 प्रतिशत किया गया है। कोरोना के संकटकालीन समय में भी एक लाख 49 हजार 670 करोड़ रुपये की राशि किसानों के खातों में डाली गई है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने किसानों को पूरा सम्माीन देते हुए किसानों के खाते में प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये किसान सम्मा न निधि के देने प्रारंभ किया है। इसमें मध्य्प्रदेश की शिवराज सरकार ने 4 हजार रुपये प्रतिवर्ष जोड़े हैं। इस प्रकार प्रति किसान को 10 हजार रुपये प्राप्ति हो रहे हैं। इसके अंतर्गत 74 लाख 50 हजार किसानों को पिछले 2 वर्षोंं में लगभग 4500 करोड़ रुपये दिये गये हैं।

मुख्यमंत्री की यह संवेदनशीलता कही जायेगी कि प्रदेश में गरीबों के कल्यासण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश के 6 लाख 20 हजार शहरी एवं ग्रामीण पथ व्य्वसायियों को 10-10 हजार रुपये का ब्याज मुक्तक ऋण उनकी आज़ीविका के लिये दिया गया है। प्रदेश के पथ व्यवसायियों के खातों में कोरोना काल में भी एक-एक हजार की आर्थिक सहायता अलग से दी गई थी।

प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये भी अनेक कार्य किये गये हैं। आज प्रदेश के हर जिले में प्राथमिक और शासकीय चिकित्सा केंद्रों का जाल बिछा हुआ है। जहां लोगों को समय पर उपचार मिल रहा है। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गरीबों को नि:शुल्क के लिये 2 करोड़ 55 लाख से अधिक नागरिकों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। यह कार्ड बनाने में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में 20 मेडिकल कॉलेज स्थापित हो चुके हैं।

कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जनभागीदारी मॉडल के माध्येम से प्रभावी नियंत्रण किया। इस मॉडल की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर भी हुई थी। इस मॉडल से मिले सुखद परिणामों का नतीजा है कि अन्य राज्यों ने भी जनभागीदारी मॉडल को अपनाया। प्रदेश में अब तक 7 करोड़ कोविड वैक्सीन की डोज लगायी जा चुकी हैं, जिसके कारण संभावित तीसरी लहर के खतरे को राकने में मध्य प्रदेश कामयाब हुआ हैं।

युवाओं को रोजगार देने की दिशा में भी अनेक कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में उद्योगों में वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2021 में 40 प्रतिशत अधिक रोजगार सृजित हुये हैं। बीते डेढ़ वर्ष में 16 हजार 700 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ है तथा 47 हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से युवाओं एवं श्रमिकों के लिये रोजगार की समुचित व्यवस्था की गयी है। युवाओं के पास स्वयं का अपना रोजगार हो इसके लिए उनको मुख्यमंत्री स्व-रोजगार के माध्यम से स्वरोजगार प्रदान करने का कार्य तेज गति से किया जा रहा है।

कुल मिलाकर देखा जाये तो यह लगने लगा है कि इन सभी प्रयासों से तथा जनभागीदारी के सहयोग से मध्यप्रदेश जल्द ही निश्चित समय सीमा में आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य  को पूरा कर लेगा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं हेागी कि सीएम शिवराज के अथक प्रयासों से प्रदेश के सर्वहारा वर्ग का विकास हो रहा है। इसके लिए वे रात-दिन एक किये हैं। ऐसे में उम्मीद की जायेगी कि मध्यप्रदेश आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर विकास का मॉडल बनकर अन्य राज्यों के लिए श्रेष्ट उदाहरण प्रस्तत करेगा।

आप सभी को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर बधाई और शुभकामनाएं।