मुख्य सचिव ने ली जल संसाधन विभाग की बैठक, राम जल सेतु लिंक परियोजना एवं विभाग की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा

मुख्य सचिव ने ली जल संसाधन विभाग की बैठक, राम जल सेतु लिंक परियोजना एवं विभाग की विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा

जयपुर। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियाँ भू-जल उपलब्धता के विपरीत हैं, जबकि राज्य की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में यह राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि किसान को सिंचाई और कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो सके।
पंत मंगलवार को शासन सचिवालय में 100 करोड़ से अधिक लागत की 23 विभागीय परियोजनाओं एवं राम जल सेतु लिंक परियोजना से सम्बन्धित 7 कार्यों की प्रगति के संबंध में आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राम जल सेतु परियोजना राज्य सरकार की फ्लैगशिप परियोजना है।  जिससे राज्य के 17 जिले लाभान्वित हो रहे है। इसके मद्देनजर परियोजना के सभी कार्यों का गुणवत्तापूर्ण तरीके से समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चत किया जाना आवश्यक है।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि परियोजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए वर्तमान में प्रचलित सॉफ्टवेयर टूल्स का उपयोग कर योजनावार PERT-CPM तैयार किया जाए। जिससे कार्यों की प्रगति की वास्तविक स्थिति तुरंत पता चल सके। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों को समानांतर रूप से संचालित किया जा सकता है उन्हें एक साथ किया जाए ताकि संसाधनों और समय की बचत हो सके। निर्माण कार्यों में निविदा प्रक्रिया से लेकर कार्य संपादन समयसीमा को तर्कसंगत बनाया जाये ताकि योजनाओं का लाभ आमजन को त्वरित गति से प्राप्त हो सके। 

पंत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक कार्य की फील्ड विजिट नियमित रूप से की जाए, जिससे योजनाओं की जमीनी स्थिति का प्रत्यक्ष मूल्यांकन हो सके। उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर निगरानी और फॉलो-अप की मजबूत प्रणाली विकसित की जाए जिससे अनावश्यक देरी को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रगतिरत परियोजनाओं की निरंतर मॉनिटरिंग के लिए एक समर्पित प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) गठित कर उच्च स्तर पर समीक्षा की जाये। इस यूनिट में तकनीकी विशेषज्ञ, अभियंता और डेटा विश्लेषक शामिल किए जाएँ ताकि परियोजनाओं की पारदर्शिता बढ़ सके।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि निर्माण कार्यों की रैंडम चेकिंग की जाए तथा उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता का वैज्ञानिक परीक्षण नियमित रूप से कराया जाए। 

अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन अभय कुमार द्वारा वन भूमि प्रत्यावर्तन, भूमि अवाप्ति, विद्युत कनेक्शन, हाई-वे क्रॉसिंग व अन्य स्वीकृतियों के कारण कार्य के संपादन में होने वाले विलम्ब के दृष्टिगत अर्न्तविभागीयमुद्दों के निराकरण पर बल दिया गया। इस क्रम में मुख्य सचिव महोदय द्वारा ऐसी परियोजनाओं व मुद्दों को चिन्हित कर सचिव स्तर की बैठक में समाधान किये जाने का सुझाव दिया तथा उल्लेख किया कि आवश्यकता होने पर उनके स्वयं की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की जाए।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग अभय कुमार, मुख्य अभियन्ता एवं अतिरिक्त सचिव भुवन भास्कर, प्रबंध निदेशक ईआरसीपी रवि सोलंकी सहित संभाग स्तरीय मुख्य अभियन्ता एवं अतिरिक्त मुख्य अभियन्ता उपस्थित रहे।