थेरेसा मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा, 19 वोटों से बची सरकार

थेरेसा मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरा, 19 वोटों से बची सरकार

ब्रेग्जिट पर संसद में करारी हार मिलने के बाद प्रधानमंत्री थेरेसा मे   के लिए राहत की खबर है. विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में थेरेसा मे को जीत मिली है. बीबीसी के मुताबिक, विपक्षी लेबर पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 306 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 325 सांसदों ने वोट किए. इस प्रकार थेरेसा मे सरकार पर छाए संकट के बादल छंट गए और उनकी सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया. हालांकि, यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को बाहर रखने के उनके प्रस्ताव पर आगे क्या होगा, यह स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है.

यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन को अलग करने वाले प्रधानमंत्री थेरेसा मे के प्रस्ताव पर मंगलवार को संसद वोटिंग हुई थी. ब्रिटिश संसद यानी हाउस ऑफ कॉमन्स में थेरेसा मे के समझौते के पक्ष में 202 वोट और विरोध में 432 वोट पड़े थे. यहां तक कि उनकी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने भी उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद विपक्षी लेबर पार्टी थेरेसा मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई, जिस पर भारतीय समयानुसार बुधवार देर रात वोटिंग कराई गई. इस वोटिंग में थेरेसा मे के समर्थन में 325 सांसद खड़े नजर आए और उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की, जबकि 306 सांसदों ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया. इस तरह थेरेसा मे जीत गईं और उनकी सरकार गिरने का संकट फिलहाल टल गया है.

1973 से यूरोपीय यूनियन में ब्रिटेन

ब्रिटेन ने 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ की सदस्यता हासिल की थी. उसे 29 मार्च को इस यूनियन से अलग होना है. इसे लेकर ही थेरेसा मे ने एक समझौता पेश किया था. इस समझौते पर उन्हें विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन समेत अपनी पार्टी के सांसदों का विरोध झेलना पड़ा. उनके प्रस्ताव पर जब संसद में वोटिंग हुई तो उन्हें इतिहास की सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा. हाउस ऑफ कामन्स में उनका प्रस्ताव 202 के मुकाबले 432 मतों से गिर गया. यानी 230 वोट का यह अंतर आधुनिक इतिहास में किसी भी ब्रिटिश पीएम की सबसे करारी हार है.

विपक्ष ने समझौते को बताया अधकचरा

विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने थेरेसा मे की हार को विनाशकारी बताते हुए उनके प्रस्ताव पर भी टिप्पणी की. कोर्बिने के थेरेसा के प्रस्ताव को अधकचरा और नुकसान पहुंचाने वाला बताते हुए कहा कि यह समझौता ब्रिटेन के लिए अंधेरे में अंधी छलांग लगाने जैसा होगा.

थेरेसा की हार के कुछ ही मिनटों बाद जेरेमी कोर्बिन ने थेरेसा मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया. जिसके बाद पूरी दुनिया में यह चर्चा होने लगी कि थेरेसा मे की सरकार अब खतरे में है. तमाम किस्म के कयास लगाए जाने लगे. लेकिन अगले ही दिन जब इस अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो जेरेमी कोर्बिन अपने उद्देश्य में विफल हो गए और 325 सांसदों ने थेरेसा मे का समर्थन किया.

अब देखना ये है कि ब्रेग्जिट पर क्या समाधान निकल पाता है. क्योंकि नियमों के मुताबिक, जब सांसद कोई विधेयक खारिज कर देते हैं, तो प्रधानमंत्री के पास दूसरी योजना के साथ संसद में आने के लिए तीन कामकाजी दिन होते हैं. यानी अब अविश्वास प्रस्ताव के संकट से उबरने के बाद थेरेसा मे के सामने ब्रेग्जिट पर एक ऐसा समझौता लाने की चुनौती है, जिस पर पूरी संसद सहमत हो सके और यूरोपीय यूनियन से बाहर होने का ब्रिटेन का रास्ता साफ हो सके.