noman khan
थांदला। आखिर गरीबो को न्याय कब और कैसे मिले जब षासन ओर प्रषासन मे बैठे लोग ही गरीब लोगो की अज्ञानता और मजबूरी का नाजायज फायदा उठाकर उनको उनके जायज हक से दूर रखने का कुत्सित प्रयास करते है ऐसा ही एक मामला थांदला नगर मे घटित हुआ है जिसमे पीडीतो के परिजन आज तक नगर परिषद के षड्यंत्रो के षिकार होकर अपने हक के लिये यहॉ से वहॉ चक्कर खा रहे है लेकिन कार्यवाही है कि पूरी होने का नाम नही ले रही है ।
नगर परिषद के जिम्मेदार न्यायालयीन कार्यवाही को धता बताते हुवे न्यायालय को भी गुमराह कर रहे है । थांदला नगर मे वर्ष 2014 मे निकाय के स्वामित्व वाली पूराना पोस्ट आफिस स्थित भूमि पर निकाय द्वारा दुकानो का निर्माण कार्य किया जा रहा था विभागीय लापरवाही और दुस्साहसी ठेकेदार के अति आत्मविष्वास ने निर्माण कार्य के दौरान एक दुर्घटना मे कार्यरत 4 मजदूरो की जान ले ली थी । जिन चार मजदूरो की दुर्घटना मे मौत हुई थी उनमे से तीन मजदूरो के परिजनो ने क्षतिपूति मुआवजे हेतु श्रम न्यायालय रतलाम मे नगर परिषद के विरूद्ध वाद दायर किया था । क्षतिपूति मुआवजा मजदूर का हक है ना कि मजदूर पर किया गया कोई एहसान लेकिन भ्रष्ट तंत्र किस प्रकार अपने निजी स्वार्थ के लिये गरीब मजदूर वर्ग के साथ छल करते है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है यह मामला श्रम न्यायालय रतलाम द्वारा तीनो मजदूरो के हक मे फैसला करते हुवे दिनांक 12 दिसम्बर 2015 को नगर परिषद थांदला के तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी ओर अध्यक्ष के विरूद्ध अवार्ड पारित करते हुवे दितु पति बददा गामड 10 लाख 97 हजार 360 रू जोसफ पिता इदवार 13 लाख 70 हजार 678 रुपए तथा रूमाल पिता दिता डामोर 10 लाख 37 हजार 653 रू को मुआवजे दिये जाने हेतु उक्त राशि जमा करवाने का आदेश पारित किया था। न्यायालय ने कलेक्टर झाबूआ को राषि वसूली के लिये आदेशित किया था तत्पश्चात कलेक्टर झाबुआ ने पत्र क्र 722 दिनांक 27 जनवरी 2016 द्वारा तहसीलदार थांदला को उक्त राशि की वसूली अध्यक्ष नगर परिषद व मुख्य नगरपालिका अधिकारी से करने हेतु निर्देशित किया था ।
तहसीलदार की कार्यवाही -
तहसीलदार थांदला ने उक्त प्रकरण मे सितम्बर 2016 से अध्यक्ष व सीएमओ को जवाब प्रस्तुत करने व राषि जमा करने के लिये पेषी नियत की जिसमे परिषद के अधिवक्ता प्रस्तुत होकर समय की माग करते रहे और उसके बाद तारीख पर तारीख का सिलसिला चलता रहा लेकिन नगर परिषद की ओर से कोई भी नुमाईंदा पेषी पर उपस्थित नही हुुआ और ना ही संतोषनक जवाब प्रस्तुत किया गया । तहसीलदार ने भी अपनी कर्तव्यो की इतिश्री के लिये दिनाक 19 दिसम्बर 2016 को कस्बा पटवारी को पत्र जारी कर राषि वसूली हेतु तत्कालीन अध्यक्ष व सीएमओ की चल अचल सम्पति की जानकारी प्रस्तुत करने हेतु कहा । बार बार स्मरण पत्र जारी करने के बाद भी सीएमओ अध्यक्ष , पटवारी ने उन गरीब विधवा महिला और अनाथ बच्चो के बारे मे नही सोचा और टालमटोल करते हुवे समय व्यतीत करते रहे । पूरे प्रकरण की सुनवाई मे तहसीलदार भी राजनैतिक हस्तक्षेप से अछूते नही रहे इसलिये उनकी न्यायालयीन कार्यवाही भी राजनैतिक दबावो से प्रभावित रही यह कहा जा सकता है।
पटवारी की कार्यवाही -
तहसीलदार द्वारा कस्बा पटवारी को दिसम्बर 2016 से सीएमओ और अध्यक्ष की चल अचल संपति की जानकारी हेतु पत्र जारी किया गया किन्तु डेढ वर्ष तक कस्बा पटवारी तत्कालीन सीएमओ और अध्यक्ष की चल अचल सपंति की जानकारी नही जुटा पाया। अतत: पटवारी ने बगैर दिनांक अंकित किये एक प्रत्युत्तर तहसीलदार को प्रस्तुत कर दिया जिसमे पटवारी ने बताया कि अध्यक्ष महो ने कहा कि उनके पास कोई चल अचल संपति नही है और सीएमओ बामनीया निवास करते है इसलिये उनकी जानकारी मेरे कार्यक्षैत्र से बाहर है। पटवारी ने अध्यक्ष की बात आसानी से स्वीकार करते हुवे अपनी रिपोर्ट बना दी पटवारी ने अपने पास मौजूद राजस्व रिकार्ड और नगरपालिका के रिकार्ड को देखने की भी जहमत नही उठायी।
किसी ने सच ही कहा है गरीब का भगवान ही सहारा होता है उसी तरह धीरे धीरे समय बीतता गया और तत्कालीन परिषद का कार्यकाल समाप्त हो गया। पुरानी परिषद के अध्यक्ष और तत्कालीन सीएमओ ने इस सारे मामले से अपने आप बरी समझ लिया । अगस्त 2017 मेे नवनिर्वाचित परिषद ने कार्यभार संभाला लेकिन उन्होने भी गरीब श्रमिको के साथ न्याय नही करते हुवे अपने आपको तथा ठेकेदार को बचानेे लग गई। लेकिन षासकीय कार्यवाही और न्यायालय के फैसले कभी बदलते नही है एक बार फिर तहसीलदार थांदला द्वारा 35 लाख 5 हजार 691 रू की अवार्ड राषि वसूली हेतु वर्तमान सीएमओ और अध्यक्ष को पत्र जारी कर राषि जमा करवाने हेतु कहा किन्तु पहले की तरह वर्तमान सीएमओ और अध्यक्ष भी संवेदनहीन ही नजर आये ।
न्यायालयीन अवमानना से घबराये तहसीलदार ने 20 फरवरी 2018 को वर्तमान अध्यक्ष के गृह ग्राम खजुरी के पटवारी तथा वर्तमान सीएमओ अशोक चौहान के गुहनगर पेटलावद के तहसीलदार को पत्र जारी कर सीएमओ और अध्यक्ष की चल अचल संपति की जानकारी तत्काल भिजवाने के लिये लिखा लेकिन इसके बाद भी आज तक न तो उक्त राषि जमा हुई और ना ही चल अचल संपति की जानकारी प्राप्त हुई। थक हार कर तहसीलदार थांदला ने 16 अप्रले 18 को सीएमओ को न्यायालय की अवमानना का हवाला देकर पत्र जारी किया जिसमे न्यायालय की अवमानना होने पर सीएमओ को जवाबदार ठहराया कहा कि राशि जमा नही करने पर आप दोनो की सपंति जप्त कर कुर्की की जाएगी।
उक्त आषय का पत्र लेकर जमादार जब सीएमओ के पास पहुंचा तो सीएमओ ने पत्र नही लेते हुवे तहसीलदार से मिलनेे का कहकर जमादार को बैरंग लोटा दिया। वर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष भी आदिवासी वर्ग से ही आते है तथा मृतक निर्माण श्रमिक भी आदिवासी वर्ग से ही थे किन्तु अध्यक्ष द्वारा भी उनको उनका हक दिलाये जाने के लिये प्रयास नही किया जाना भी आश्चर्यजनक है । नगर परिषद अध्यक्ष बनने के पूर्व हादसे के समय वर्तमान अध्यक्ष ने भी पीडीतो को न्याय दिलाने तथा उचित मुआवजा दिये जाने की बात कही थी किन्तु कुर्सी पर बैठते गरीबो का दर्द भूल गये है।
विधि का विधान -
कर्म किया है तो उसका परिणाम भी अवष्य मिलेगा चाहे अच्छा हो या बुरा ऐसा ही कुछ प्रभारी सीएमओ अषोक चैहान के साथ होने वाला है क्योकि जिस समय पोस्ट आफिस की दुकान वाला हादसा हुआ था उस समय भी बतौर प्रभारी सीएमओ अषोक चैहान ही पदस्थ थे नियति का विधान देखो जब आज उन गरीब बेसहारा को न्यायालय के भय से सही न्याय मिलने और दोषीयो को सजा मिलने की उम्मीद जागी है तब भी प्रभारी सीएमओ के पद पर अषोक चैहान ही पदस्थ है । अब देखना है कि न्यायालय तहसीलदार अध्यक्ष व सीएमओ से उक्त अवार्ड राषि जमा करवाकर अथवा उनकी संपति जप्त कर अवार्ड राषि वसूल करके गरीबो को न्याय दिलवा पायेगे और उनको अपना हक दिलवायेगे या फिर राजनैतिक पैतरेबाजी और पूंजीपतियो के आगे प्रषासन नतमस्तक होकर न्यायालय एवं पीडीतो को गुमराह करते रहेगे ।
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