जिसके यहां जाना है उनका नाम पता एवं मोबाइल नंबर क्या है
भोपाल, करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ है। ट्रेनों की संख्या वैसे भी कम है ऊपर से रेलवे नए नए नियमों की शर्ते यात्रियों पर लादकर उन्हें टिकट लेने से वंचित किया जा रहा है। एक तो यात्री वायरस से वैसे भी परेशान है ऊपर से टेन टिकट के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। इस मामले में रेलवे विभाग की दलील है कि यात्रियों के ट्रेन टिकटों को ई-पास के समान तैयार करवाया जा रहा है जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को दी जा रही है ताकि राज्य सरकार को यात्रियों के आवागमन की जानकारी रहे। जबकि राज्य सरकार को श्रमिक ट्रेनों के अलावा यात्रियों की जानकारी की जरूरत क्या है।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद कोविड-19 स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन इस दौरान कोरोना गाइडलाइन के नाम पर यात्रियों से यात्रा डिटेल के अलावा उनसे निजी जानकारियां भी ली जा रही हैं। यात्रियों को काउंटर टिकट लेने के लिए फॉर्म में कहां जाना है, किसके यहां जाना है, क्यों जाना है, संबधित व्यक्ति का नाम पता भी पूछा जा रहा है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी कारणवश कोई जानकारी अधूरी रह जाती है तो उसका टिकट रिजर्वेशन फॉर्म रिजेक्ट कर दिया जाता है। इस संबध में जब रेलवे के आला अफसरों से बात की गई की उन्होंने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया।
दरअसल, रेलवे द्वारा ट्रेन टिकट के जिस नए फॉर्म का उपयोग किया जा रहा है उसमें यात्रा करने वाले का व्यक्ति का ब्यौरा तो लिया ही जा रहा है। साथ ही उनसे यह भी जानकारी ली जा रही है कि उन्हें किस व्यक्ति के यहां जाना है, किस स्थान पर जाना है, क्यों जाना है, उनका नाम पता एवं मोबाइल नंबर क्या है आदि जानकारियां साझा करनी पड़ रही है। जबकि कोरोना के पहले के फॉर्म में ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी जाती थी। ऐसे में टिकट लेने की कतार में लगे यात्रियों ने रेलवे की मंशा पर भी सवाल उठा रहे हैं।