वित्त वर्ष 2020-21 में अभी तक (31 जुलाई तक) मुद्रा भंडार में 56.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई
नई दिल्ली, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 31 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 11.94 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 534.57 अरब डॉलर के रिकॉर्ड सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
534.57 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार 13.4 माह के आयात खर्च के बराबर
गुरुवार को मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 534.57 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार 13.4 माह के आयात खर्च के बराबर है। उन्होंने कहा था कि वित्त वर्ष 2020-21 में अभी तक (31 जुलाई तक) मुद्रा भंडार में 56.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।
विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) का बढ़ने से हुई वृद्धि
24 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.993 अरब डॉलर बढ़कर 522.630 अरब डॉलर हो गया था। इससे पूर्व पांच जून को समाप्त सप्ताह में पहली बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर गया था। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होने का कारण 31 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) का बढ़ना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
विदेशी मुद्रा आस्तियां 10.35 अरब डॉलर बढ़कर 490.83 अरब डॉलर
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां 10.35 अरब डॉलर बढ़कर 490.83 अरब डॉलर हो गईं। रिजर्व बैंक के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण आरक्षित भंडार 1.53 अरब डॉलर बढ़कर 37.63 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विशेष आहरण अधिकार 1.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 1.48 अरब डॉलर हो गया, जबकि आईएमएफ में देश का आरक्षित मुद्रा भंडार 5.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.64 अरब डॉलर हो गया।
पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
चार बड़े फायदे
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।