पीसीसी के सामने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राजौरा का पुतला फूंका

पीसीसी के सामने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राजौरा का पुतला फूंका
भोपाल। कर्ज माफी के बाद भी कांग्रेस की सरकार किसान यूनियन के निशाने पर है। शनिवार प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के सामने आयोजित प्रदर्शन इस कड़ी में अहम माना जा रहा है। हालांकि यह कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा को हटाए जाने की मांग को लेकर था, लेकिन भारतीय किसान यूनियन ने इसके साथ ही यह जता दिया है कि किसानों को राहत देने कर्जमाफी पर्याप्त नहीं है। यहां बता दें कि भारतीय किसान यूनियन देश की सबसे पुरानी यूनियन है और किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैट के सिद्धांतों पर चलते हुए यह मप्र में भी किसानों की आवाज बुलंद कर रही है। [caption id="attachment_162291" align="alignnone" width="300"]Flooring the effigy of Rajoura, Chief Secretary of Agriculture Department, before PCC rajesh rajora[/caption] संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने इस दौरान राजेश राजौर पर निशाना साधते हुए कहा कि वह जो भी योजनाएं बनाते हैं उसका परिपालन जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया गया है। क्योंकि इनका ध्यान किसानों की तरफ नहीं सरकार की तरफ ज्यादा है। विभाग में भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है और योजनाएं कागज में चल रही है। अनिल इस दौरान यह कहने से भी नहीं चूके कि पहले वह भाजपा के कार्यकर्ता बनकर काम कर रहे थे और अब कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इनकी प्रशासनिक क्षमताओं का आंकलन इसी से किया जा सकता है कि इनके द्वारा कर्ज माफी की योजनाएं बनाई लेकिन हाल ही में दो किसान मर गए। यदि ऋण माफी की योजना का स्वरूप स्पष्ट होता, तो यह शायद नहीं होती। इससे पहले भावांतर में भी किसानों को छह महीने समझने में लग गए। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस संबंध में किसी मंत्री या जिम्मेदार अधिकारी से बात हुई तो, उन्होंने कहा कि फिलहाल हमने बात रखी है। अब देखते हैं किसान आश्वासनों में कब तक जिंदा रहेंगे। 28 जिलों में था आंदोलन यहां बता दें कि किसानों की समस्याओं को लेकर किसान यूनियन के द्वारा प्रदेश भर में शनिवार आंदोलन किया गया। यादव ने बताया कि हमने बात रखने के लिए प्रदेश के 28 जिले में प्रदर्शन किया गया। वहीं रविवार भी शेष जिलों में यह आंदोलन किया जाएगा। यदि इसके बाद भी कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है तो सभी किसान यूनियन के सदस्य साझी रणनीति बनाकर सामूहिक रूप से आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।