नवंबर तक तैयार करना है रामलला की मूर्ति, गढ़ने का काम अगले महीने शुरू होगा 

नवंबर तक तैयार करना है रामलला की मूर्ति, गढ़ने का काम अगले महीने शुरू होगा 

अयोध्या, अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फैसला किया है कि रामलला की मूर्ति को गढ़ने का काम अगले महीने से रामसेवकपुरम स्थित कार्यशाला में शुरू होगा। इसे नवंबर तक पूरा करने की समय सीमा तय की गई है। शिलाओं की कटिंग का काम शुरू हो चुका है। वहीं, श्रीरामजन्म भूमि में विराजमान रामलला के निर्माणाधीन दिव्य मंदिर के प्रगति की समीक्षा के लिए भवन निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार से होगी। इसमें रामलला के श्रीविग्रह के निर्माण व सुरक्षा योजनाओं पर मंथन होगा।

समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र अयोध्या पहुंचे
इस बैठक के लिए समिति चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र दिल्ली से चलकर अयोध्या पहुंच गये। देर शाम पहुंचे चेयरमैन ने हनुमानगढ़ी में माथा टेका और फिर रामलला का दर्शन कर सर्किट हाउस लौट गये। शुक्रवार को बैठक से पहले दस बजे से साइट विजिट किया जाएगा जिसमें परिसर में विकास योजनाओं के निरीक्षण के अलावा रामसेवकपुरम की कार्यशाला में श्याम वर्ण शिलाओं की कटिंग का भी निरीक्षण करेंगे।

मूर्तिकारों ने पत्थर काटना शुरू कर दिया 
ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा के मुताबिक मूर्ति के लिए मूर्तिकारों ने पत्थर काटना शुरू कर दिया है। 52 इंच की मूर्ति को एक आसन पर रखा जाएगा। इसकी कुल ऊंचाई आठ फीट होगी। ट्रस्ट के एक सदस्य ने कहा कि मूर्ति पांच साल के रामलला को चित्रित करेगी। उनके साथ एक धनुष और तीर भी होगा।

कर्नाटक के नेल्लिकारू चट्टान से बनाया जाएगा
इसे कर्नाटक के नेल्लिकारू चट्टान से बनाया जाएगा। ट्रस्ट के अनुसार, दक्षिण भारत के मंदिरों में अधिकांश देवी-देवताओं की मूर्तियाँ नेल्लिकारू चट्टानों से ही तराशी गई हैं। भगवान कृष्ण के रंग के समान होने के कारण उन्हें 'कृष्ण शिला' भी कहा जाता है। बताया कि रामलला की मूर्ति अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार वासुदेव कामथ के रेखाचित्र पर आधारित होगी। ट्रस्ट ने मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगिराज को रामलला की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी दी है। 

मैसूर की खदानों से निकाल कर लाई गई हैं श्याम वर्णित शिलाएं 
गौरतलब है कि निर्माणाधीन दिव्य मंदिर में विराजित होने वाले रामलला के श्रीविग्रह के लिए श्याम वर्ण की शिलाओं को मूर्तिकारों के पैनल की ओर से चुना गया था। यह श्याम वर्णित शिलाएं कर्नाटक के मैसूर जिले की खदानों से निकाल कर लाई गई हैं। जिनकी कुल संख्या पांच है। इसके अलावा उड़ीसा से भी एक श्याम वर्ण शिला यहां लाई गई है।

गुणवत्ता के मानक पर खरी शिला से रामलला के श्रीविग्रह का निर्माण होगा
मूर्तिकला के विशेषज्ञ प्रो.जीएल भट्ट का कहना है कि अलग-अलग शिलाओं की आंतरिक स्थिति कई जानकारी उनके कटिंग के बाद ही पता चलेगी। इसके कारण कर्नाटक की पहली दो शिलाओं को कटिंग की जा रही है। इसके बाद उनकी गुणवत्ता की परख की जाएगी जो शिला गुणवत्ता के मानक पर खरी होगी, उसी शिला से रामलला के श्रीविग्रह का निर्माण होगा।

रामसेवकपुरम कार्यशाला में दोनों शिलाओं की है चुकी है कटिंग
रामसेवकपुरम कार्यशाला में बुधवार को ले जाई गई दोनों श्याम वर्णीय की कटिंग हो चुकी है। पहली शिला के अग्र व पृष्ठ भाग से एक-एक लेयर कटिंग के जरिए हटा दी गई है। इसके बाद शिला का स्लेटी (ग्रे) रंग उभर कर सतह पर आ गया है। इसी तरह दूसरी शिला की कटिंग के बाद उसका भी स्लेटी स्पष्ट हो गया है। यह वही रंग है जो तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों की पहली पसंद थी। फिलहाल अभी शिलाओं के गुणवत्ता की परख हो रही है लेकिन इस बारे में तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है और मूर्तिकार भी पूरी गोपनीयता बनाए हुए हैं।

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