महापौर प्रत्याशियों को भुगतना पड सकता है पार्षद टिकिट में असमंजस का खामियाजा

महापौर प्रत्याशियों को भुगतना पड सकता है पार्षद टिकिट में असमंजस का खामियाजा

brijesh parmar

उज्जैन। नगर पालिका निगम उज्जैन कांग्रेस ओर भाजपा दोनों ही दलों के लिए प्रदेश में महत्वपूर्ण है। इसकी प्रमुख वजह सिंहस्थ 2028 के आयोजन की तैयारी है। महापौर के लिए कांग्रेस ने राजनीति के खिलाडी तराना विधायक महेश परमार पर दांव खेला है तो भाजपा ने संगठन के साथ समाज में पकड़ रखने वाले मुकेश टटवाल पर दांव खेला है। दोनों दलों के पार्षद टिकिट का असमंजस महापौर प्रत्याशियों को चुकाने के हालात सामने दिखाई दे रहे हैं।

उज्जैन नगर निगम में कुल 4 लाख 61 हजार 103 मतदाता 
उज्जैन नगर पालिका निगम में नगरीय निर्वाचन के तहत प्रथम चरण में 06 जुलाई को मतदान होना है। यहां 54 वार्ड हैं। निर्वाचन कार्यालय द्वारा स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में दी गई जानकारी अनुसार 11 मई 2022 की स्थिति में उज्जैन नगर पालिक निगम में 2 लाख 30 हजार 879 पुरूष एवं 2 लाख 30 हजार 177 महिला व 47 थर्ड जेण्डर सहित कुल 4 लाख 61 हजार 103 मतदाता हैं। कुल 568 मतदान केंद्रों में से 121 मतदान केंद्र संवेदनशील हैं।

कांग्रेस के महेश परमार छात्र जीवन से ही राजनीति में 
निर्वाचन की घोषणा के बाद कांग्रेस की और से 43 वर्षीय  एम.ए. एल.एल.बी. शिक्षित तराना विधायक एवं कृषक महेश परमार को महापौर पद के लिए अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया है। परमार छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं। तराना विधायक से पूर्व वे जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित रहे। एक सप्ताह से अधिक समय से श्री परमार घोषणा के साथ ही प्रचार में कुद पडे हैं। उन्हें पार्टी ने सामाजिक समीकरण के तहत बलाई होने के प्राथमिकता देते हुए मैदान में उतारा है। कांग्रेस के नगर कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन्द्र मरमट कहते हैं कि हम महापौर प्रत्याशी घोषित करने में आगे रहे हैं । प्रचार भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस की सामाजिक पकड के तहत हमें सभी समाज और जाति का मतदाता योग्य प्रत्याशी को देखकर वोट देगा।

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मुकेश टटवाल पहली बार लड़ रहे कोई चुनाव 
भाजपा ने अपनी और से 47 वर्षीय बीए. आई टी आई. डिप्लोमा विघालय संचालक, समाजसेवी एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश टटवाल को अधिकृत महापौर प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा संगठन गतिविधियों में वे लंबे समय से सक्रिय रह कर सामाजिक दायित्वों के कार्य करते रहे हैं। उन्होंने अब तक कोई निर्वाचन सीधे तौर पर नहीं लड़ा है। भाजपा ने सामाजिक वोटरों के समीकरण के तहत बैरवा वोटरों की संख्या को देखते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी का कहना है कि महापौर के लिए हमने साफ स्वच्छ छवि के सामाजिक प्रत्याशी का नाम विचार के साथ घोषित किया है।

चुनाव में बैरवा समाज की महत्वपूर्ण भूमिका
उज्जैन के 54 वार्डों में 26 बस्तियां बैरवा मतदाताओं की हैं जिनमें हाल की स्थिति में करीब 48 हजार वोटर्स सामाजिक स्तर पर बताए जा रहे हैं। इसी के चलते पूर्व में भाजपा ने मदनलाल ललावत,रामेश्वर अखंड,मीना जोनवाल पर दाव खेल कर चुनाव में विजय श्री हासिल की थी।  भाजपा ने जब इससे पृथक होकर सुमित्रा चौधरी को टिकिट दिया तो उसे हार का सामना करना पड़ा था।। कांग्रेस ने इस पर विचार किया और महिला आरक्षित स्थिति में दमदार नेत्री सोनी मेहर को बैरवा समाज से मैदान में उतारा था जिसके तहत उसे विजय श्री हासिल हुई थी । बैरवा पंचायत सार्वजनिक न्यास के अध्यक्ष जयप्रकाश जूनवाल इस बात को पुष्ट करते हुए बताते है कि जिस पार्टी ने हमारे मतदाताओं की संख्या को देखते हुए उपेक्षा की उसको परिणाम भूगतना पड़ा है। जिसका साक्षी शहर है, बैरवा समाज हमेशा से सम्मान और विकास का पक्षधर रहा है। सिंहस्थ 2004,2016 में शहर में हमारे समाज से ही महापौर रहा है।

दोनों ही दलों के प्रत्याशी जातिय समीकरण के तहत वोटरों की जातिगत संख्या को देखते हुए ही घोषित किए गए हैं। वोटरों की संख्या और पूर्व के इतिहास को देखा जाए तो अब तक भाजपा ने बैरवा समाज को ही महापौर पद के लिए प्राथमिकता दी है। महापौर प्रत्याशी की दोनों दलों की घोषणा के साथ खींचतान की राजनीति गर्माई, जिस पर समयानुकूल काबू कर लिया गया है।

पार्षद प्रत्याशी पर दोनों ही दल विचार की स्थिति में
नगर निगम उज्जैन के तहत 54 वार्ड हैं । वास्तविक रूप से एक-एक वार्ड के लिए दोनों ही दल में जमकर खींचतान की स्थिति रही है। पार्षद पद के लिए भाजपा ने दो टुकडे में सूची जारी की है। पहली सूची में 49 एवं दुसरी में 05 वार्ड के प्रत्याशी घोषित किए गए। भाजपा की सूची में सिंधिया गुट को भी स्थान मिला है। कई वार्डों में महिला आरक्षण को देखते हुए पूर्व पार्षदों की पत्नी को स्थान दिया गया है। कुछ पूर्व पार्षदों को भी बराबर अवसर दिया गया है।प्रत्याशी घोषणा के साथ ही सत्त्तारूढ भाजपा में घमासान सामने आया है।कुछ वार्डों की घोषणा से नाराज कार्यकर्ता भाजपा के विधायक पारस जैन के घर पहुंच गए और वहां उन्होंने नाराजगी जाहिर की है। 

तीन वार्डों में प्रत्याशी बदल सकती है भाजपा 
पांचाल समाज ने एक टिकिट भी नहीं मिलने पर भाजपा कार्यालय  लोकशक्ति पहुंचकर अपना पक्ष रखा है। ब्राम्हण समाज की और से कम प्रतिनिधित्व दिए जाने की शिकायत की जा रही है । भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि विरोध के स्वर के चलते तीन वार्डों में प्रत्याशी बदलने की कवायद हो सकती है। भाजपा नगर अध्यक्ष जोशी कहते हैं हमारा कार्यकर्ता भावुक होकर पार्टी को दिल से चाहता है।मन का नहीं होने पर वह क्रोध व्यक्त कर देता है।प्रजातंत्र में सबकों अपनी अभिव्यक्ति का अधिकार है।हमारा कार्यकर्ता संगठन का आदेश होते ही लामबद्ध होकर कार्य में लग जाता है।तीन वार्ड में तीन वार्डों में टिकिट बदलने का मामला अपीलीय समिति में विचाराधीन है।आज नामांकन का अंतिम दिन रहा है।नामांकन की स्थिति को देख कर इस पर निर्णय होगा।

कई कांग्रेसियों किया निर्दलीय नामांकन
कांग्रेस के घमासान के चलते अधिकांश वार्डों में विद्रोह के चलते कई लोगों ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है। ऐसे में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को भीतरघात से बचाने का मुद्दा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया के अनुसार पार्षद प्रत्याशियों की सूची देर रात जारी कर दी गई है/  वरिष्ठ नेताओं के बयान से हमारी नीति स्पष्ट है,जिससे एकमत होकर चुनाव जीतने वाले योग्य युवा उम्मीदवार ही मैदान में उतारे गए हैं।वरिष्ठ नेताओं की नीति के अनुसार ही चयन समिति का निर्णय रहा है।एक आध मामले में हो सकता है नीति से परे निर्णय हुए हों।एक एक वार्ड से कम से कम 5 दावेदार सामने आए ऐसे में जिसे टिकिट नहीं मिला उसकी नाराजगी हो सकती है।कुछ ऐसे ही दावेदारों ने नामांकन भी दाखिल कर दिए है तो परिवार का मामला है ऐसे कार्यकर्ताओं को मनाया जाएगा और फार्म वापसी करवा ली जाएगी।