मध्यप्रदेश स्वच्छ और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य

• क्रांतिदीप अलूने
उप संचालक
जनसम्पर्क विभाग, मप्र
भोपाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश स्वच्छ और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन और वर्ष 2070 तक ‘नेट ज़ीरो कार्बन फुटप्रिंट’ का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। मध्यप्रदेश इस राष्ट्रीय संकल्प को साकार करने में पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रदेश ने बीते 12 वर्षों में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 19 गुना वृद्धि की है। वर्तमान में मध्यप्रदेश की कुल ऊर्जा उत्पादन का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हरित ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त हो रहा है। यह अभूतपूर्व उपलब्धि राज्य की ऊर्जा नीति, तकनीकी नवाचारों और निवेशक-हितैषी दृष्टिकोण का परिणाम है।
राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मध्यप्रदेश अपनी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के कारण देश के अग्रणी ऊर्जा सरप्लस राज्यों में शामिल है। राज्य की नीति प्रधानमंत्री मोदी के ‘स्वच्छ ऊर्जा – आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार कर रही है।
जीआईएस–भोपाल के दौरान प्रदेश की ‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक’ रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी ने देश-विदेश के निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। इस नीति के कारण अब तक ₹5.72 लाख करोड़ से अधिक का निवेश प्राप्त हुआ है, जिससे 1.46 लाख से अधिक रोजगार अवसर सृजित होंगे। अवाडा एनर्जी, एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर, एनएसएल रिन्यूएबल पॉवर, टोरेंट पॉवर और जिंदल इंडिया रिन्यूएबल एनर्जी जैसी प्रतिष्ठित कंपनियां प्रदेश में व्यापक निवेश करने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जीआईएस-भोपाल का शुभारंभ करते हुए कहा था कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में पिछले दशक में जबरदस्त प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि में मध्यप्रदेश की भूमिका की सराहना करते हुए कहा था कि राज्य की कुल 31 हजार मेगावाट विद्युत क्षमता में लगभग 30 प्रतिशत योगदान हरित ऊर्जा का है।
हरित ऊर्जा के नए केंद्र है रीवा और ओंकारेश्वर
रीवा सोलर पार्क ने देश में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में नये मानदंड स्थापित किये हैं। यह देश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा पार्कों में से एक है और यहाँ से दिल्ली मेट्रो को भी बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसी क्रम में ओंकारेश्वर में देश का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट (278 मेगावाट) स्थापित किया गया है। इससे जलाशयों के उपयोग से स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को नई दिशा मिली है। हाल ही में मुरैना में स्थापित ‘सोलर प्लस बैटरी स्टोरेज’ परियोजना ने एक नया इतिहास रचा है। यहाँ केवल ₹2.70 प्रति यूनिट की दर से 24 घंटे हरित ऊर्जा उपलब्ध होगी। यह परियोजना भारत में ‘राउंड-द-क्लॉक ग्रीन पॉवर सप्लाई’ की दिशा में पहला बड़ा कदम है, जो कोयला आधारित संयंत्रों के समतुल्य ‘पीक-ऑवर्स’ में बिजली आपूर्ति करने में सक्षम है।
सांची बना प्रदेश का पहला सौर शहर
राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सांची को मध्यप्रदेश का पहला सौर शहर घोषित किया गया है। यह परियोजना ‘नेट ज़ीरो कार्बन सिद्धांत’ पर आधारित होगी, अर्थात जितनी ऊर्जा का उपभोग होगा, उतनी ही हरित ऊर्जा का उत्पादन भी किया जाएगा। यह पहल प्रदेश के साथ पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनेगी।
नर्मदापुरम जिले में नवकरणीय ऊर्जा उपकरणों और पॉवर उपकरणों के लिए समर्पित निर्माण क्षेत्र (डेडिकेटेड मैन्यूफैक्चरिंग जोन) विकसित किया जा रहा है। इससे राज्य में औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी और हजारों नए रोजगार सृजित होंगे। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 5 प्रमुख सौर परियोजनाएँ कार्यरत हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2.75 गीगावाट (2,750 मेगावाट) है। राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक 20 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है।
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने ‘टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक’ रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी लागू की है। इसमें सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को आकर्षक और अनुकूल अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। कुसुम-सी योजना में लगभग 18,000 मेगावाट क्षमता के लिए निविदाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें किसानों, एमएसएमई और निजी डेवलपर्स ने व्यापक भागीदारी की है। योजना में किसानों को दिन के समय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये 100% फीडर सोलरीकरण का प्रावधान किया गया है।
मध्यप्रदेश में पंप हाइड्रो परियोजनाओं और बॉयोफ्यूल परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अब तक 14 हजार 850 मेगावाट क्षमता की पंप हाइड्रो परियोजनाओं के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 8 हजार 450 मेगावाट परियोजनाओं का पंजीयन हो चुका है। कंप्रेस्ड बॉयोगैस (सीबीजी) और बॉयोमास पैलेट परियोजनाओं के लिए प्रतिदिन 6 हजार 500 टन से अधिक क्षमता की परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं।
मध्यप्रदेश ने रीवा, आगर, शाजापुर और नीमच में सफल सौर परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं। रीवा परियोजना देश की पहली ऐसी परियोजना थी जहाँ सौर टैरिफ 3 रूपये प्रति यूनिट से कम रहा, जबकि नीमच परियोजना में टैरिफ 2 रूपये 15 पैसे प्रति यूनिट दर्ज किया गया, जो सबसे कम तत्कालीन सौर-ऊर्जा दर थी। प्रदेश भारतीय रेल और अन्य राज्यों को भी हरित ऊर्जा आपूर्ति कर रहा है।
सरकारी भवनों का सौरीकरण और स्थानीय रोजगार
राज्य सरकार ने सभी 55 जिलों में सरकारी भवनों के लिए रिन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी (रेस्को) मॉडल पर सौर प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया प्रारंभ की है। इससे सरकारी बिजली व्यय में कमी आएगी, साथ ही स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। इसके साथ, सूर्य मित्र योजना, आईटीआई संस्थानों के साथ साझेदारी, और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से हजारों युवाओं को सौर ऊर्जा क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
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