27% आरक्षण पर रार, 51 प्रतिशत ओबीसी को साधने में लगे दोनों ही दल

27% आरक्षण पर रार, 51 प्रतिशत ओबीसी को साधने में लगे दोनों ही दल

भोपाल
मध्य प्रदेश की आधी आबादी अर्थात लगभग 51 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने के मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आमने-सामने आ गए हैं। हाई कोर्ट जबलपुर में मौजूदा आरक्षण 14% को बरकरार रखने के आदेश के बाद से दोनों दलों के द्वारा अपनी पार्टी को ओबीसी हितेषी बताकर वोट बैंक की राजनीति को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसे लेकर लगातार बयान बाजी चल रही है।

 कांग्रेस का तर्क है कि दिग्विजय सरकार ने पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की शुरुआत की। जैसे ही कमलनाथ की सरकार बनी ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27% किया गया। इसे लागू किया जाता इससे पहले ही पिछड़ा वर्ग विरोधी मानसिकता के लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्थगन हासिल कर लिया। इसके बाद भाजपा की शिवराज सरकार ने हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में समुचित तरीके से अपना पक्ष नहीं रखा। इससे भाजपा सरकार की ओबीसी विरोधी मानसिकता का पता चलता है। भाजपा इस वर्ग को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।

जबकि भाजपा का मानना है कि मोदी सरकार ने ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है और इस वर्ग को आरक्षण का ज्यादा से ज्यादा लाभ देने के लिए क्रीमी लेयर की सीमा छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख की है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश की शिवराज कैबिनेट ने इसे मंजूरी देकर देश का पहला राज्य होने का गौरव दिलाया है। प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है ताकि इस वर्ग को 27% आरक्षण दिलाया जा सके। भाजपा ने कांग्रेस के इस आरोप को भी सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि शिवराज सरकार की ओर से हाईकोर्ट में समुचित ढंग से तर्क रखकर पैरवी की गई है।

 इधर संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार देश का संविधान संपूर्ण आरक्षण को किसी भी सूरत में 50% से ज्यादा करने की अनुमति नहीं देती। विशेष परिस्थितियों में ही इसे बढ़ाया जा सकता है जैसा कि कुछ राज्यों में कुल आरक्षण का प्रतिशत 60 से 62% तक हो गया है। अभी आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को भी शैक्षणिक और सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का मामला भी अटका हुआ है। आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े किसी भी वर्ग को आरक्षण देकर उनका उत्थान जरूरी है किंतु इसके लिए देश के संविधान को ताक में रखकर कोई भी निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए।

पिछड़ा विरोधी सरकार         
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पूरी तरह पिछड़ा विरोधी है। 51-52 प्रतिशत पिछड़े जनसंख्या के उत्थान के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रही है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27% किया। लेकिन शिवराज सरकार इसे आज तक लागू नहीं कर पाई। हाईकोर्ट में जवाब देने में गंभीरता नहीं दिखाई। सरकार को चाहिए कि बिना विलंब करें सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाकर प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग को न्याय दिलाएं। भाजपा सरकार ओबीसी को अपना वोट बैंक मानने की भूल कर रही है, अब प्रदेश की जनता के सामने भाजपा के झूठ और ओबीसी विरोधी मानसिकता का पर्दाफाश हो चुका है।
--राजमणि पटेल ,सांसद एवं अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग कांग्रेस

सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे               
केंद्र की मोदी सरकार के साथ ही प्रदेश की शिवराज सरकार ओबीसी वर्ग के बेहतरीन और उत्थान के लिए कृत संकल्प है। भाजपा और हमारी सरकार इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ही नहीं जहां तक जाना होगा जाएगी। कमलनाथ सरकार ने सिर्फ वोट की राजनीति के लिए इस वर्ग के आरक्षण को 27% किया था। जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो समुचित तरीके से सरकार की ओर से तर्क प्रस्तुत नहीं किया गया। दूसरी ओर शिवराज सरकार के महाधिवक्ताओ ने पूरी ताकत के साथ पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के पक्ष में समुचित तक हाईकोर्ट के समक्ष रखा।
--भरत सिंह कुशवाह , अध्यक्ष प्रदेश भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा