कुल करदाताओं में से केवल एक प्रतिशत लोगों का ही होता है टैक्स रिटर्न असेस

रायपुर
फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम पर पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और रीजनल आऊटरीच ब्यूरो (आरओबी), रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर के अपर महानिदेशक, सुदर्शन पनतोड़े, रायपुर के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउन्टेंट, भावेश राठौर, गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के वाणिज्य संकाय के प्राध्यापक, डॉ. शैलेष द्विवेदी, चार्टर्ड एकाउन्टेंट एसोसिएशन, बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष, सचेन्द्र जैन, नेहरू युवक संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, रीजन आऊटरीच ब्यूरो के पंजीकृत लोक कलाकार, विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं सहित लगभग 50 प्रतिभागी शामिल हुए।
वेबिनार को संबोधित करते रायपुर के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउन्टेंट, भावेश राठौर ने कहा कि फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम का मतलब है कि करदाता और कर अधिकारी के बीच सीधा संवाद न हो, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संप्रेषण हो। उन्होंने बताया कि कुल करदाताओं में से केवल एक प्रतिशत लोगों का ही टैक्स रिटर्न असेस किया जाता है। राठौर ने फेसलेस टैक्स असेस सिस्टम्स के संबंध में संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि इस व्यवस्था में यदि किसी करदाता को कर अधिकारी, आयकर अधिनियम के तहत कोई नोटिस भेजता है तो वह ई-मेल अथवा उसके मोबाइल पर संदेश भेजेगा और करदाता को भी उसका जवाब 15 दिन के भीतर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही प्रस्तुत करना होगा। यह व्यवस्था ईमानदार करदाता के लिए बहुत ही फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-2020 में लगभग 58322 केसों के लिए 2286 अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
इस अवसर पर गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के वाणिज्य संकाय के प्राध्यापक, डॉ. शैलेष द्विवेदी ने कहा कि भ्रष्टाचार को कम करने तथा करदाता और कर अधिकारी के बीच व्यक्तिगत संपर्क को खत्म करने के उद्देश्य से ही फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम की शुरूआत की गयी है। इस सिस्टम्स में करदाता और कर अधिकारी दोनों ही व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे से अनभिज्ञ होते हैं। इस सिस्टम में तीन बिन्दु हैं - पहला है फेसलेस टैक्स अपील, दूसरा फेसेलेस टैक्स असेसमेंट और तीसरा है टैक्सपेयर चार्टर। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 06 करोड़ टैक्स रिटर्न दाखिल होते हैं जिनमें से 99 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दाखिल किए जा रहे हैं। इसमें से केवल 03 लाख रिटर्न ही रिस्क पैरामीटर में आते हैं। भ्रष्टाचार, दोनों पक्षों के आमने-सामने होने पर ही पनपता है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से बहुत बड़े-बड़े आर्थिक अपराधों को दूर रखा गया है। इस व्यवस्था से न केवल टैक्सपेयर बेस में इजाफा होगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
चार्टर्ड एकाउन्टेंट एसोसिएशन, बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष, सचेन्द्र जैन ने कहा कि फेसलेस टैक्स सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है - टैक्सपेयर चार्टर। उन्होने बताया कि इस चार्टर में करदाता के अधिकारों एवं दायित्वों का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि करदाता, ईमानदारी के साथ अपना टैक्स का भुगतान करता है और नोटिस का जवाब समय पर देता है, तो न केवल टैक्स असेसमेंट पारदर्शिता के साथ होगा बल्कि इसमें समय की भी बचत होगी, जिससे करदाता को रिफण्ड आदि मिलने में आसानी होगी। उन्होंने कहा इस सिस्टम्स के आने के बाद प्रशासनिक खर्चों में भी बचत होगी, क्योंकि सरकार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कर अधिकारियों को किसी भी एक स्थान में तीन साल से अधिक नहीं रखा जाता और इसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस व्यवस्था के लागू होने से अधिकारियों के स्थानांतरण में होने वाले व्यय में भी बचत होगी। इसके अलावा करदाता को कर अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने वाली परेशानियों और यातायात व्यय से भी निजात मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले दिनों में करदाताओं की संख्या में कम से कम 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी।
सचेन्द्र जैन ने कहा कि इस व्यवस्था में फायदे के साथ ही कुछ खामियां भी हैं जैसे- अधिकांश लोगों को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का बिलकुल भी ज्ञान नहीं हैं, वे अपना ई-मेल तक आॅपरेट नहीं कर पाते हैं। इसलिए करदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग और संचालन के संबंध में जागरूक और शिक्षित करना होगा। दूसरी समस्या भाषा की आ सकती है, क्योंकि भारत जैसे विशाल देश में सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाएं हैं। कर अधिकारी और करदाता के बीच संप्रेषण भाषा की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इस पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
पत्र सूचना कार्यालय, रायपुर के अपर महानिदेशक, सुदर्शन पनतोड़े, ने कहा कि सरकार की मंशा यह है कि फेसलेस टैक्स असेसमेंट सिस्टम के माध्यम से करदाताओं में भय कम किया जाए, ईमानदार करदाताओं को सम्मान मिले, साथ ही साथ करदाताओं के संख्या में इजाफा हो, ताकि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में उनका योगदान बढ़ सके। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था की लागू हो जाने के बाद चार्टर्ड अकाउन्टेंट की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है। उन्होंने वेबिनार में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। वेबिनार के दौरान इस विषय के संबंध में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का समाधान उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा किया गया। वेबिनार का संचालन रीजनल आऊरीच ब्यूरो (आरओबी), रायपुर के कार्यालय प्रमुख शैलैष फाये ने किया।