शिवपुरी में न जाति न मुद्दे, अगर चलता है तो सिर्फ महल फैक्टर

शिवपुरी
शिवपुरी सीट वो विधानसभा सीट है जिस पर ना किसी जाति और ना किसी मुद्दे का जादू चलता है. अगर कुछ चलता है तो सिर्फ महल फैक्टर चलता है. इस सीट से यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. उन्होंने कांग्रेस के सिद्धार्थ लड्ढा को 29 हज़ार मतों से हराया.
शिवपुरी सीट पर सिंधिया घराने का राज है. शिवराज सरकार में खेल मंत्री रहीं यशोधरा राजे सिंधिया यहां का प्रतिनिधित्व करती आ रही हैं. वो इससे पहले लगातार 1998, 2003, 2008 और 2013 में यानि चार बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुकी हैं. शिवपुरी में महल फैक्टर के चलते जातिगत सभी समीकरण जीरो साबित हो जाते हैं. महल फैक्टर ही शिवपुरी में हार जीत का फैसला करता है.
वर्ष 1998 में यशोधरा राजे सिंधिया ने हरिवल्लभ शुक्ला को 7300 मतों से हराया था. साल 2003 में दूसरी बार फिर 25 हजार 734 वोटों से यशोधरा राजे ने गणेशराम गौतम को हराया. ग्वालियर से लोकसभा का उपचुनाव लड़ने की वजह से यशोधरा राजे ने शिवपुरी सीट छोड़ी तो वर्ष 2008 में भाजपा से माखलालन राठौर चुनाव लड़े और 1751 वोटों से वीरेन्द्र रघुवंशी को हराया. साल 2013 में यशोधरा राजे सिंधिया फिर आईं और 11145 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी को हराया. केवल उपचुनाव 2007 में जरूर यहां पर कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा के गणेश गौतम को चुनाव हराया था.
कांग्रेस ने शिवपुरी विधानसभा सीट से इस बार युवा व्यवसायी और नए चेहरे सिद्धार्थ लढ़ा को पहली बार मैदान में उतारा था. सिद्धार्थ को कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कट्टर समर्थक माना जाता है. उन्हें दो साल पहले ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था. पेशे से व्यवसायी सिद्धार्थ लढ़ा को शुरू से ही यशोधरा राजे सिंधिया के खिलाफ कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था.
यशोधरा राजे सिंधिया का सियासत में कद भले बड़ा हो लेकिन विकास के पैमाने पर शिवपुरी अभी भी छोटा ही माना जाता है. यशोधरा राजे सिंधिया का जन्म 19 जून 1954 को लंदन में हुआ था. उनका एजुकेशन मुंबई और ग्वालियर में हुआ और फिर 1977 में कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. सिद्धार्थ भंसाली से शादी के बाद वो अमेरिका में बस गयीं. 1994 में वो भारत लौट आयीं और राजनीति में शामिल हो गयीं. उनके तीन बच्चे अक्षय, अभिषेक और त्रिशला हैं. अक्षय मां के चुनाव प्रचार के लिए शिवपुरी आए थे.